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कृषि कानूनों से खत्म होगी मुनाफाखोरी

राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश धवाला ने पत्रकारों से बातचीत में क

By JagranEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2020 09:07 PM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2020 09:07 PM (IST)
कृषि कानूनों से खत्म होगी मुनाफाखोरी

संवाद सहयोगी, ज्वालामुखी : राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश धवाला ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल किसानों को गुमराह कर रहे हैं। किसानों के हित में लिए गए फैसलों और बनाए गए नए नियमों को उनका विरोधी बता रहे हैं जबकि सच्चाई यह है कि कृषि के नए कानून लागू हो जाने से न केवल बिचौलियों और मुनाफाखोरी का खेल खत्म होगा बल्कि उपभोक्ताओं को सस्ता उत्पाद बाजारों से उपलब्ध होगा।

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उन्होंने कहा कि इससे किसानों को उनके उत्पाद के बेहतर दाम भी मिलेंगे। इससे सिर्फ बिचौलियों और मुनाफाखोरी को तकलीफ हो रही है और वे किसानों का भेष बदलकर गुमराह और उकसा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानून किसानों और उपभोक्ताओं के लिए बेहतरीन साबित होंगे। इससे मुनाफाखोरों, जमाखोरों और बिचौलियों को तकलीफ होगी जो न केवल किसानों के उत्पाद की कीमत कम कर देते थे बल्कि मंडियों में जाकर महंगे दामों पर इन उत्पादों को बेचकर देश में महंगाई, भ्रष्टाचार, मुनाफाखोरी को बढ़ावा देते थे।

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दोनों सरकारें पूंजीपतियों व बड़े घरानों के साथ : सीटू

संवाद सहयोगी, धर्मशाला : सीटू के जिला उपाध्यक्ष प्रताप सिंह व किसान सभा जिला कांगड़ा के अध्यक्ष जगदीश जग्गी ने कहा कि केंद्र की मोदी व हरियाणा की खट्टर की भाजपा सरकारें किसानों को कुचलने पर आमदा हैं। किसान आंदोलन को दबाने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे स्पष्ट है कि दोनों सरकारें पूंजीपतियों और बड़े घरानों के साथ हैं।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीनों नए कृषि कानून किसान विरोधी हैं। इसके कारण किसानों की फसलों को कांट्रैक्ट फार्मिग के जरिये विदेशी और देशी कंपनियों व बड़े पूंजीपतियों के हवाले करने की साजिश रची जा रही है। इन कानूनों से फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की अवधारणा को समाप्त कर दिया जाएगा। आवश्यक वस्तु अधिनियम के कानून को खत्म करने से जमाखोरी, कालाबाजारी व मुनाफाखोरी को बढ़ावा मिलेगा। कृषि कानूनों के बदलाव से बड़े पूंजीपतियों और देशी विदेशी कंपनियों का कृषि पर कब्जा हो जाएगा और किसानों की हालत दयनीय हो जाएगी। आज कृषि भारी संकट में है। उसे मदद देने के बजाय केंद्र सरकार किसानों को तबाह करने पर तुली हुई है। न तो कृषि बजट में बढ़ोतरी हो रही है और न ही किसानों की सबसिडी में। इसके अलावा न ही किसानों को सरकार उपकरण मुहैया करवा रही है और न कर्ज माफ किए जा रहे हैं।


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