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करुणामूलक नौकरियां बहाल करने वाले को 2022 विधानसभा चुनाव में समर्थन, संघ ने बैठक कर बनाई रणनीति

Compassionate Association करुणामूलक संघ की बैठक प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार की अध्यक्षता में गूगल मीट के जरिये हुई। जिसमें प्रदेशभर के करीब 300 आश्रितों ने भाग लिया। गूगल मीट के जरिये ऐलान किया गया कि जो करुणामूलक नौकरियां बहाल करेगा। 2022 के चुनाव में उसी को सत्ता में लाएंगे

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 12:48 PM (IST)Updated: Sun, 11 Apr 2021 12:48 PM (IST)
करुणामूलक संघ की बैठक प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार की अध्यक्षता में गूगल मीट के जरिये हुई।

धर्मशाला, जागरण संवाददाता। Compassionate Association, करुणामूलक संघ की बैठक प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार की अध्यक्षता में गूगल मीट के जरिये हुई। जिसमें प्रदेशभर के करीब 300 आश्रितों ने भाग लिया। गूगल मीट के जरिये ऐलान किया गया कि जो करुणामूलक नौकरियां बहाल करेगा। 2022 के चुनाव में उसी को सत्ता में लाएंगे व वह ही 2022 में राज करेगा। करुणामूलक संघ लंबे समय से करुणामूलक नौकरी बहाली के लिए संघर्षरत है और सरकार इन परिवारों के लिए कुछ भी नहीं कर रही है। हिमाचल प्रदेश में करीब 4500 मामले अनेक विभागों, बोर्डों व निगमों में लंबित पड़े हैं और इन परिवारों को रोजी रोटी परिवार के लालन पालन के लाले पड़ गए हैं।

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उन्होंने कहा वे कई बार स्थानीय विधायकों मंत्रियों यहां तक की हिमाचल प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जिसे कई बार मिले हैं। लेकिन उन्होंने अभी तक आश्वासन के सिवा कुछ भी नहीं दिया है। इस बैठक में उपाध्यक्ष राहुल कुमार, सचिव रजत पठानिया, मीडिया प्रभारी राजनिश चौधरी, अरुण, प्रताप सिंह, राजेंद्र, अरविंद, शशि कांत, रजत मेहरा, संजय, कमल सिंह, अशोक कुमार, संजय कुमार, संजय कुमार, आदि आश्रित मौजूद रहे।

प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से आग्रह किया कि जल्द करुणामूलक संघ कि इन मांगों को पूरा करने के लिए आदेश दें। मुख्य मांगों में समस्त विभागों, बोर्डों, निगमों में लंबित पड़े करुणामूलक आधार पर दी जाने वाली नौकरियों के मामले को सात मार्च 2019 की पॉलिसी में आ रहे हैं। वन टाइम सेटलमेंट के तहत सभी को एक साथ नियुक्तियां दी जाएं।

करुणामूलक आधार पर नौकरियों वाली पॉलिसी में संशोधन किया जाए व उसमें 62500 रुपये एक सदस्य सालाना आय सीमा शर्त को पूर्ण रूप से हटा दिया जाए। ययोग्यता के अनुसार आश्रितों को बिना शर्त के सभी श्रेणियों में नौकरी दी जाए। पांच प्रतिशत कोटा शर्त को हटा दिया जाए, ताकि विभाग अपने तौर पर नियुक्तियां दे सके। जब किसी महिला आवेदक की शादी हो जाती है तो उसे पॉलिसी से बाहर किया जाता है। इस शर्त को भी हटाया जाए। जिनके केस कोर्ट मैं बहाल हो गए है उन्हे भी नियुक्तियां दी जाएं।

बता दें कि करुणामूलक आधार पर नौकरी देने के मामलों पर अभी सरकार कोई अंतिम फैसला नहीं ले पाई है। जबकि सरकार के पास विभिन्न विभागों, बोर्डों व निगमों में करुणामूलक के लंबित करीब 4500 मामले पहुंचे हैं और प्रभावित परिवार करीब 15 साल से नौकरी का इंतजार कर रहे हैं।


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