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फर्जी डिग्रियां मामले में सीआइडी की एपीजी विश्वविद्यालय में दबिश, कब्जे में लिया रिकॉर्ड; हुए कई खुलासे

Fake Degree Case क्राइम इन्वेस्टीगेशन डिपार्टमेंट (सीआइडी) के विशेष जांच दल (एसआइटी) ने फर्जी डिग्री मामले में आरोपों की जांच तेज कर दी है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Thu, 13 Aug 2020 08:53 AM (IST)Updated: Thu, 13 Aug 2020 08:53 AM (IST)
फर्जी डिग्रियां मामले में सीआइडी की एपीजी विश्वविद्यालय में दबिश, कब्जे में लिया रिकॉर्ड; हुए कई खुलासे

शिमला, जेएनएन। क्राइम इन्वेस्टीगेशन डिपार्टमेंट (सीआइडी) के विशेष जांच दल (एसआइटी) ने फर्जी डिग्री मामले में आरोपों की जांच तेज कर दी है। इस सिलसिले में शिमला के एपीजी विश्वविद्यालय में टीम ने दबिश दी। इस दौरान 2013 से 2020 तक का डिग्रियों व दाखिलों का रिकॉर्ड कब्जे में लिया गया। यह कार्रवाई एसएचओ रामानंद की अगुवाई में की गई। आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रबंधन दाखिलों का उचित रिकॉर्ड नहीं रखता है।

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सूत्रों के अनुसार इसमें कई अनियमितताएं पाई गईं। विदेशी विद्यार्थियों का उचित रिकॉर्ड नहीं रखा गया है।

2015 में जमा दो पास, 2014 में लॉ में दाखिला

एक विदेशी छात्र ने जमा दो कक्षा 2015 में पास की है, जबकि उसका एपीजी विश्वविद्यालय में 2014 में लॉ का दाखिला दर्शाया गया है। कई कोर्स में पहले सेमेस्टर में 30 सीटों पर 30 दाखिल हुए हैं, दूसरे और तीसरे में सेमेस्टर में ये दाखिले बढ़ गए।

नए दाखिलों पर है रोक

सीआइडी के कारण राज्य निजी शिक्षण संस्थान आयोग ने नए दाखिलों पर रोक लगाई है। नए कोर्स को भी आयोग स्वीकृति नहीं दे रहा है। इस मसले को हाल ही में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के साथ भी उठाया गया था। राज्यपाल ने पहले से दाखिल विद्यार्थियों का भविष्य सुरक्षित रखने के लिए कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए थे।

आयोग ने तलब किया था रिकॉर्ड

इससे पहले आयोग ने भी इसी विवि से रिकॉर्ड तलब किया था। ऐसा तब हुआ था जब बजट सत्र के दौरान राज्य विधानसभा में फर्जी डिग्रियों का मामला उछला था। तब गुमनाम शिकायत के आधार पर सरकार ने दो विश्वविद्यालयों एपीजी, मानव भारती की सीआइडी जांच के आदेश दिए थे। इसके बाद मानव भारती मामले में अलग से पुलिस की एसआइटी गठित की गई थी। सीआइडी ने इसमें एफआइआर दर्ज करने की सिफारिश की थी। उधर, सीआइडी ने अपने शिमला थाने में अलग से एफआइआर दर्ज कर रखी है, ताकि इसके आधार पर दबिश दी जा सकें।

आयोग ने एपीजी की कई तरह की अनियमितताएं पकड़ी थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण जांच कार्य प्रभावित हुआ। दाखिलों और डिग्रियों का रिकॉर्ड मेल नहीं खा रहा है। -डॉ. एसपी कत्याल, पूर्व सदस्य, निजी शैक्षणिक संस्थान नियामक आयोग

एपीजी विवि से कुछ रिकॉर्ड कब्जे में लिया गया है। इसकी छटनी की जा रही है। अभी आरोपों की जांच की जा रही है। -वीरेंद्र कालिया, एसपी, सीआइडी।


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