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मंत्रिमंडलीय उपसमिति की बैठक : आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति बनेगी या नहीं, अभी साफ नहीं

Policy for Outsourced Employees हिमाचल प्रदेश में आउटसोर्स आधार पर सरकारी विभागों निगमों व बोर्डों में सेवाएं प्रदान कर रहे आउटसोर्स कर्मचारियों का शोषण हो रहा है और एक ही पद के लिए अलग-अलग वेतन प्रदान किया जा रहा है। यह रहस्योद्घाटन मंत्रिमंडलीय उपसमिति की बैठक में हुआ।

By Virender KumarEdited By: Published: Fri, 28 Jan 2022 03:55 PM (IST)Updated: Fri, 28 Jan 2022 08:25 PM (IST)
मंत्रिमंडलीय उपसमिति की बैठक : आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति बनेगी या नहीं, अभी साफ नहीं
मंत्रिमंडलीय उपसमिति की बैठक मंत्री महेंद्र सिंह की अध्‍यक्षता में हुई। जागरण आर्काइव

शिमला, राज्य, ब्यूरो। Policy for Outsourced Employees, हिमाचल प्रदेश में आउटसोर्स आधार पर सरकारी विभागों, निगमों व बोर्डों में सेवाएं प्रदान कर रहे आउटसोर्स कर्मचारियों का शोषण हो रहा है और एक ही पद के लिए अलग-अलग वेतन प्रदान किया जा रहा है। यह रहस्योद्घाटन मंत्रिमंडलीय उपसमिति की बैठक में हुआ।

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आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति बनाने के लिए गठित मंत्रिमंडलीय उपसमिति के अध्यक्ष जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि कर्मचारियों को अलग-अलग वेतन दिया जा रहा है और शोषण से संबंधित शिकायतें भी मिली हैं। इस संबंध में अभी आउटसोर्स पर सेवाएं प्रदान करने वाले कर्मचारियों का डाटा नहीं आया है और तीन फरवरी को दोबारा बैठक रखी गई है जिसमें सारा डाटा उपलब्ध करवाने के विभागों को निर्देश दिए गए हैं। आउटसोर्स कर्मचारियों को ईपीएफ कार्ड जारी करने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे उन्हें जानकारी मिल सके कि उनका कितना ईपीएफ कट रहा है और उनके खाते में कंपनी की तरफ से कितनी राशि जमा हो रही है। यह निर्देश सभी विभागों व कंपनियों को जारी किए गए हैं। हालांकि महेंद्र सिंह ने यह साफ नहीं किया कि इस बजट में आउटसोर्स कर्मियों को लेकर नीति बनेगी या नहीं।

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आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति बनाने को लेकर गठित मंत्रिमंडल उपसमिति की बैठक जल शक्ति मंत्री महेंद्र ठाकुर की अध्यक्षता में हुई और इसमें सभी विभागाध्यक्ष शामिल हुए। मंत्रिमंडलीय उपसमिति के पास अभी तक आउटसोर्स पर सेवाएं प्रदान करने वाले कर्मचारियों का डाटा नहीं आया है।

बैठक के बाद महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि जब डाटा उपलब्ध हो जाएगा उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है। हिमाचल प्रदेश में 30 हजार के लगभग आउटसोर्स कर्मी हैं, जिनको करीब 125 कंपनियों के माध्यम से रखा गया है। इन कंपनियों की मनमानी, पैसे के हेरफेर की मिल रही शिकायतों व दबाव के चलते आउटसोर्स कर्मियों के लिए सरकार नीति बनाने की बात कह रही है। कंपनियों से आउटसोर्स कर्मियों का रिकार्ड मांगा गया गया, जिसमें ईपीएफ, जीएसटी व अन्य वित्तीय व दूसरा लेखा-जोखा कंपनी का मार्जन आदि शामिल है। चुनावी वर्ष में आउटसोर्स कर्मियों के लिए सरकार की चिंता उन्हें लाभ जरूर पहुंचा सकती है। आउटसोर्स कर्मचारियों के भविष्य निधि खातों तथा उन्हें प्रदान की जा रही अन्य सुविधाओं के बारे में जागरूक करने के लिए विशेष शिविर आयोजित करने के भी निर्देश दिए।

यह भी निर्देश दिए

विभागाध्यक्षों को यह भी निर्देश दिए कि आउटसोर्स एजेंसियों द्वारा जीएसटी, ईपीएफ, ईएसआइसी के समयबद्ध भुगतान से संबंधित ब्योरो की निगरानी के लिए एक तंत्र विकसित करें। विभागाध्यक्ष अपने विभागों के माध्यम से चयनित एजेंसियों के साथ बैठक कर इसका पुनर्मिलान भी करें। जीएसटी, ईपीएफ, ईएसआइसी अंशदान के समयबद्ध भुगतान की निगरानी के लिए एक समरूप प्रणाली विकसित करने के लिए सभी विभागों से सुझाव भी आमंत्रित किए। विभिन्न विभागों, निगमों व बोर्डों में कर्मचारियों की सेवाएं उपलब्ध करवा रही एजेंसियों के सर्विस चार्ज में भी समरूपता लाई जानी चाहिए।


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