पर्यटन क्षेत्र खुलने से व्यवसायी खुश, चार युवाओं ने बनाई ईको हॉस्पिटेलिटी कंपनी; कर्मियों को दिया वेतन
Tourism Destination संकटमोचन के समीप 50 कमरों का रिजॉर्ट बनाकर तैयार किया लेकिन कोरोना संकट के कारण पहली अप्रैल को शुरुआत लटक गई।
शिमला, जेएनएन। संकटमोचन के समीप 50 कमरों का रिजॉर्ट बनाकर तैयार किया, लेकिन कोरोना संकट के कारण पहली अप्रैल को शुरुआत लटक गई। कोरोना दौर में ये घटना ईको हॉस्पिटेलिटी कंपनी के साथ हुई। कंपनी का संचालन करने वाले चार युवाओं ने 80 कर्मियों को घर भेजने के बजाय अप्रैल तक का पूरा वेतन चुकाया। उसके बाद किसी कर्मी को निकाला नहीं, प्रत्येक कर्मी को खर्च दिया जा रहा है। अब हिमाचल में सरकार के होटल खोलने के निर्णय से सभी युवा खुश और उत्साहित हैं।
पर्यटन विभाग के दिशा-निर्देश का पालन करते हुए पर्यटन केंद्रों में रौनक लौटेगी। यहां पर कोरोना परीक्षण रिपोर्ट पर्यटन व्यवसायियों को खटक रही है। पर्यटन विभाग की ओर से जारी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर के तहत 72 घंटे पहले कोरोना जांच रिपोर्ट, 48 घंटा पहले ई-पंजीकरण और कम से कम पांच दिन की बुकिंग करवाना अनिवार्य रहेगा।
वर्ष 2018 में अस्तित्व में आई थी कंपनी
ईको हॉस्पिटेलिटी कंपनी का शिमला के ढली में वुडरीना होटल, संकटमोचन में गोल्डन फर्न रिजॉर्ट और धर्मशाला में वाव्स एंड वारले होटल है। वर्ष 2018 में सुधीर जसवाल, सुशील शर्मा, संजय शर्मा व ज्योति गुलेरिया ने मिलकर कंपनी स्थापित की। डेढ़ करोड़ रुपये के निवेश से होटलों का संचालन शुरू किया। मासिक आठ से दस लाख रुपये का खर्च उठा रही कंपनी को आने वाला समय कुछ बेहतर नजर आ रहा है।
आशा करते हैं कि दूसरे राज्यों से पर्यटक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए घर से निकलेंगे। हिमाचल प्रदेश पर्यटकों का स्वागत करने के लिए तैयार है। अभी तक कोई ऑनलाइन बुङ्क्षकग तो आनी शुरू नहीं हुई है, देखते हैं कि लोग कब तक प्रदेश की ओर रुख करते हैं। हमारी तीन पर्यटन इकाइयों में कुल 80 कमरों की क्षमता है। -सुधीर जसवाल, निदेशक ईको हॉस्पिटेलिटी कंपनी।
पर्यटन इकाइयों को तैयार करने के लिए सभी कर्मचारियों को वापस लाना होगा। लोगों को पहले डॉक्टरों के चक्कर काटने होंगे। 48 घंटे पहले ई-पंजीकरण करवाना पड़ेगा और कम से कम पांच दिन तक यहां पर ठहरना होगा। देखते हैं कि आने वाले दिनों में पर्यटन क्षेत्र को नई गाइडलाइन का कितना लाभ होता है। -प्रताप चौहान, प्रबंध निदेशक, अज्ञातवास दि हिमालयन रिट्रीट।