पंचायत चुनाव से पहले ग्रह चाल पर नजर, ज्योतिषियों के चक्कर काटने लगे चुनाव लड़ने के तलबगार
Panchayat Election पंचायत चुनाव जल्द घोषित हो सकते हैं। अभी आधिकारिक घोषणा बेशक नहीं हुई है लेकिन पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव लडऩे के तलबगारों ने ज्योतिषियों के चक्कर काटने शुरू कर दिए हैं। कुल पुरोहितों को कुंडलियां दिखवा रहे हैं।
धर्मशाला, जेएनएन। पंचायत चुनाव जल्द घोषित हो सकते हैं। अभी आधिकारिक घोषणा बेशक नहीं हुई है, लेकिन पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव लडऩे के तलबगारों ने ज्योतिषियों के चक्कर काटने शुरू कर दिए हैं। कुल पुरोहितों को कुंडलियां दिखवा रहे हैं। जिन ग्र्रहों की चाल ठीक नहीं है, उनके उपाय करवा रहे हैं। इससे पुरोहितों का मान सम्मान अचानक बढ़ गया है। वे भी ज्योतिष गणना के अनुसार उन्हें उचित सियासी सलाह दे रहे हैं। आखिर चुनाव से जुड़ा मसला जो ठहरा। हालांकि लोकतंत्र में असली ताकत जनता के हाथ में होती है, लेकिन जनप्रतिनिधि का सपना देखने वाले फिलहाल ज्योतिषी के वचनों में ही अपना भविष्य देख रहे हैं। कई ने तो पंडित की सलाह पर चुनावी अखाड़े में कूदने का मन बना लिया है। बस अब आरक्षण रोस्टर में चुनावी दौड़ से बाहर न हो जाएं।
आइएएस अधिकारी की ड्रीम पार्टी
हिमाचल सरकार के एक आइएएस अधिकारी ने अगले विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। चुनाव जीतने वाले ऐसे नेताओं, पूर्व आइएएस अधिकारियों, समाजसेवा में जुटे प्रतिष्ठित लोगों की तलाश का काम चल रहा है। राजनीति का केंद्र बिंदु जिला मंडी होगा। क्योंकि स्वयं भी अधिकारी मंडी जिला से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में सरकार के छोटे ठाकुर के लिए राजनीतिक मुश्किलें पैदा हो सकती हैं, क्योंकि यह आइएएस अधिकारी उनके विधानसभा क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि आंखें मूंदकर सियासत करने का निर्णय लिया गया है। अंदरखाते राजनीतिक सुगबुगाहट शुरू कर दी गई है। उपयुक्त समय आने पर राजनीतिक एजेंडा सार्वजनिक किया जाएगा। उनका तर्क है कि जब जेआर कटवाल, बीके चौहान और हिरदाराम सफल राजनीतिज्ञ हो सकते हैं तो वह क्यों नहीं। पर क्या प्रदेश के लोग तीसरे विकल्प का प्रयोग करने को तैयार हैं।
कांग्रेस के मुखिया की सक्रियता
हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं। हर जिले का दौरा शुरू किया गया है, कार्यकर्ताओं और नेताओं की बैठकें लगातार हो रही हैं। इसके साथ-साथ सत्तारूढ़ भाजपा सरकार पर राजनीतिक हमला करने का बाकायदा प्लान बनाया गया है ताकि रोजाना फीडबैक दिल्ली भेजकर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला को अपडेट किया जा सके। ऐसा सब कुछ इसलिए किया जा रहा है ताकि विधानसभा चुनावों तक कुर्सी कायम रहे। विरोधी गुट के नेता विधानसभा चुनाव से पहले किसी भी तरह से नेतृत्व परिवर्तन चाह रहे हैं, पर राठौर कोई मौका नहीं देना चाहते। प्रदेश प्रमुख की सक्रियता से विरोधियों के मंसूबों पर पानी भी फिर सकता है।
अधिकारी की विदाई में निकले आंसू
यूं तो किसी भी अधिकारी की विदाई होने पर पार्टी होती ही है, लेकिन शिमला में खास पार्टी हुई। मौका था आइएएस अधिकारी पंकज रॉय की विदाई का। सत्ता क्या, विपक्ष सभी पार्षदों ने जमकर ठुमके लगाए। फोटो सोशल मीडिया में वायरल हो गई। इस समारोह में कई की आंखों से आंसू निकल आए। खुद रॉय साहब भी भावुक हो गए। असल में उन्होंने नगर निगम शिमला में लंबी पारी खेली। इतने घुल-मिल गए थे कि उन्हें पार्षद अपने परिवार के मुखिया की तरह मानते रहे हैं। अब वह शीत मरुस्थल लाहुल-स्पीति में नई पारी शुरू करेंगे। करीब छह महीने तक बंद रहने वाली लाहुल घाटी के लिए अटल सुरंग ने नई संभावनाएं बनाई हैं। इनकी गिनती काबिल अधिकारियों में की जाती है, अब काबिलियत की परीक्षा जनजातीय जिला में होगी।
तो मंत्री के विभाग का नाम भी बदलेगा
हिमाचल में आयुर्वेद विभाग का नाम बदलकर आयुष विभाग रख दिया है। नाम बदलने के प्रयास दो वर्ष से हो रहे थे, लेकिन सिरे नहीं चढ़ पा रहे थे। इसका मुख्य मकसद यही था कि उपचार की पद्धतियां एक विभाग के अधीन आ सकें। मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने के बाद साहब को सब बधाइयां दे रहे थे कि आपके समय में यह हो गया और अब तो श्रेय आपको होगा। साहब बोले, 'अधिकारियों को श्रेय कहां, श्रेय तो सरकार को, जिसने यह सब किया और निर्णय लिया। बधाइयों के लेन-देन के दौरान बीच से आवाज आई, 'केंद्र में आयुष मंत्रालय और प्रदेश में भी आयुष विभाग हो गया। अब तो मंत्री जी के विभाग का नाम भी आयुर्वेद मंत्री से बदलकर आयुष मंत्री करना पड़ेगा।