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स्वच्छता अभियान में दिलचस्पी नहीं दिखा रही बैजनाथ की पंचायतें

स्वच्छता को लेकर सरकार की पहल के बावजूद बैजनाथ ब्लाक की पंचायतें स्वच्छ भारत मिशन में दिलचस्पी नहीं दिखा रही हैं। यहां से अभी केवल तीन पंचायतों ने ही इस तरफ अपने कदम बढ़ाए हैं। अभी भी यहां की अधिकांश पंचायतें रास्तों के निर्माण में फंसी हुई है।

By Richa RanaEdited By: Published: Wed, 02 Dec 2020 03:10 PM (IST)Updated: Wed, 02 Dec 2020 03:10 PM (IST)
स्वच्छता अभियान में दिलचस्पी नहीं दिखा रही बैजनाथ की पंचायतें
बैजनाथ ब्लाक की पंचायतें स्वच्छ भारत मिशन में दिलचस्पी नहीं दिखा रही हैं।

बैजनाथ, मुनीष दीक्षित। स्वच्छता को लेकर सरकार की पहल के बावजूद बैजनाथ ब्लाक की पंचायतें स्वच्छ भारत मिशन में दिलचस्पी नहीं दिखा रही हैं। यहां से अभी केवल तीन पंचायतों ने ही इस तरफ अपने कदम बढ़ाए हैं। जबकि 47 पंचायतों ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत अपनी पंचायतों के निकलने वाले कूड़े कचरे के वैज्ञानिक निष्पादन के लिए कोई पहल ही नहीं की है।

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अभी भी यहां की अधिकांश पंचायतें रास्तों के निर्माण में फंसी हुई है। जबकि स्वच्छ भारत मिशन के तहत यहां कोई नई पहल शुरू करने का बीड़ा नहीं उठाया जा रहा है। बैजनाथ ब्लाक में मौजूदा समय में 50 पंचायतें हैं। इनमें दो पंचायतें अभी नई शामिल हुई है। इसके अलावा बैजनाथ क्षेत्र में पंचरूखी ब्लाक के अधीन भी कुछ पंचायतें आती हैं। इसमें बीड़ बिलिंग एक ऐसा क्षेत्र है, जहां पर्यटन गतिविधियां सबसे अधिक हैं।

मगर यहां भी अभी तक कूड़ा निष्पादन संयंत्र का निर्माण नहीं हो पाया है। यहां के कई नाले व जंगल कूड़े कचरे से भरने लगे हैं। हैरानी की बात यह है कि बैजनाथ से ही पूरे हिमाचल में स्वच्छ भारत मिशन की मुहिम चलती है। यहां से इस अभियान के लिए कोई कमी नहीं छोड़ी जाती। बावजूद इसके यहां की पंचायतें सरकार की नई मुहिम के तहत भवारना ब्लाक की आईमा, घुग्घर व खलेट पंचायतों की तर्ज पर कोई पहल नहीं कर रही हैं।

कहां जा रहा तिब्बतियन कॉलोनियों का कूड़ा कोई नहीं जानता

बैजनाथ ब्लाक में इस समय चार बड़ी तिब्बतियन कॉलोनियां व बौद्ध मठ भी हैं। यहां हजारों की संख्या में तिब्बती लोग व तिब्बती स्टूडेंट रहते हैं। यह सभी स्थान पंचायतों में आते हैं, इनमें टाशीजोंग कॉलोनी झिकली भेठ, शेराबिलिंग बौद्ध मठ भट्टू पंचायत तथा बीड़ में दो कॉलोनियां चौगान पंचायत में आती हैं। यहां से रोजाना काफी मात्रा में कूड़ा उत्पन्न होता है। लेकिन इस कूड़े का निष्पादन कहां होता है, यह कोई नहीं जानता।

झिकली भेठ पंचायत के प्रधान हौंसर राम का कहना है कि टाशीजोंग कॉलोनी में कॉलोनी प्रबंधन ने एक कमरा बनाया है, इसमें सारा कूड़ा कचरा एकत्रित किया जाता है और इसे बाद में पपरोला व पालमपुर में भी भेजा जाता है। जबकि पंचायत के पास जमीन की कमी है, ऐसे में यहां अभी कचरा निष्पादन संयंत्र नहीं बन पाया है। जबकि भट्टू पंचायत के उपप्रधान सुरेंद्र कपूर का कहना है कि भट्टू में स्थित बौद्ध मठ का कूड़ा आसपास जलाया जाता है, इस पर उन्होंने कई बार अपना विरोध भी जताया है। वहीं बैजनाथ पपरोला नगर पंचायत और पालमपुर नगर परिषद के अधिकारियों का कहना है कि झिकली भेठ पंचायत या तिब्बती कॉलोनी से यहां कोई कूड़ा नहीं लिया जाता है।

बैजनाथ के बीडीओ कुलवंत सिंह ने कहा कि ब्लाक की बीड़, चौगान व क्योरी पंचायतों ने इसके लिए दिलचस्पी दिखाई है। यहां के क्योरी में प्लांट लगाने की योजना भी है। कुछ जमीन संबंधी औपचारिकताओं को पूरा करवाया जा रहा है। अन्य पंचायतों को भी इस संबंध में जागरूक किया जा रहा है।

बैंचों पर खर्च किया जा रहा स्वच्छता का पैसा

जिला कांगड़ा की कई पंचायतों में स्वच्छता के लिए आए धन को स्वच्छता की बजाए पंचायतों में बैंच लगाने पर ही खर्च कर दिया जा रहा है। बैंच लगाने को लेकर भी यहां कोई मापदंड नहीं हैं। हालांकि 14वें वित्त योग में इसके लिए धन की व्यवस्था का जिक्र तो है, लेकिन इसके लिए क्या मापदंड होंगे इसको लेकर कोई नहीं जानता। अधिकांश पंचायतों में स्वच्छ भारत मिशन के तहत पंचायतों ने क्षेत्र में कई बैंच लगवा दिए हैं, जबकि स्वच्छता के नाम पर ऐसी पंचायतों में कुछ नहीं हुआ है। जिला पंचायत अधिकारी अश्वनी शर्मा का कहना है कि यह बैंच 14वें वित्त योग के तहत भी लग रहे हैं और इनमें रेट व लगाने के स्थानों का सही प्रबंधन जरूरी है।


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