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पैराट्रूपर की हादसे में मौत : पिता के सपनों की उड़ान को पंख दे गए धोखा

paratrooper died in accident शक्ति सिंह घर को पलस्तर करवाने की तैयारी कर रहे थे कि इस दौरान उन्हें बड़े बेटे अमित सिंह की देश पर कुर्बान होने की खबर आ गई।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Sat, 09 Mar 2019 11:43 AM (IST)Updated: Sat, 09 Mar 2019 12:07 PM (IST)
पैराट्रूपर की हादसे में मौत : पिता के सपनों की उड़ान को पंख दे गए धोखा
पैराट्रूपर की हादसे में मौत : पिता के सपनों की उड़ान को पंख दे गए धोखा

धर्मशाला, जेएनएन। गरीब, मेहनतकश परिवार के एक बेटे का सपना था वायुसेना में जाना। उसे इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए पिता ने मेहनत-मजदूरी की। बेटे को इस लायक बनाया कि वह अपने सपने को साकार करने के साथ देश की सेवा कर सके। पिता की उम्मीदों पर खरा उतरकर बेटा सेना में भर्ती भी गया। परिवार को आस जगी कि उनकी गरीबी दूर होगी। वे अच्छा जीवन व्यतीत कर सकेंगे, लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था। शुक्रवार को जिला कांगड़ा की बड़ोह तहसील के बूसल गांव के शक्ति सिंह घर को पलस्तर करवाने की तैयारी कर रहे थे कि इस दौरान उन्हें बड़े बेटे अमित सिंह की देश पर कुर्बान होने की खबर आ गई। इससे तो उनके पैरों तले जमीन ही खिसक गई। वे समझ नहीं पा रहे थे कि भाग्य ने उनके साथ कैसा खेल खेला है।

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हादसा उस समय हुआ जब आगरा के मलपुरा के ड्रापिंग जोन में पैराजंपिंग केदौरान अमित सिंह का पैराशूट ही नहीं खुला। वह भुज में तैनात थे। 27 वर्षीय अमित सिंह 2012 में वायुसेना में भर्ती हुए थे। आगरा में उनका पैराजंपिंग प्रशिक्षण चल रहा था। मलपुरा ड्रापिंग जोन में वीरवार शाम अमित ने एएन-32 से छह हजार फीट की ऊंचाई से छलांग लगाई थी। अमित सिंह की मौत से पूरे गांव शोक में डूब गया है।

परिवार का सहारा था अमित

अमित परिवार का बड़ा बेटा होने के साथ-साथ इकलौता कमाने वाला था। हालांकि उसका छोटा भाई पिछले साल से प्राइवेट नौकरी कर रहा है, लेकिन पूरा परिवार मुख्य रूप से अमित पर ही निर्भर था। भर्ती होने के बाद पिछले वर्ष से अमित ने नया घर बनाने का काम शुरू किया था। जिसकी छत तो डाल दी है, लेकिन अभी पलस्तर करवाना बाकी है। पलस्तर का काम करवाने के लिए अमित ने सीमेंट मंगवाया था। शुक्रवार को घर को पलस्तर करवाने की तैयारी चल रही थी।

दो साल पहले हुई थी शादी

अमित सिंह की दो वर्ष पहले ही संगीता देवी से शादी हुई थी। भाग्य की विडंबना है कि दो वर्ष बाद ही संगीता का सुहाग उजड़ गया।


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