स्क्रब टायफस पर मेडिकल कालेज चंबा में अलर्ट
मंडी व कुल्लू में स्क्रब टायफस से दो लोगों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग चंबा व मेडिकल कालेज प्रबंधन अलर्ट हो गया है। पिस्सू चंबा में लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। चंबा में स्क्रब टायफस बुखार के जुलाई व अगस्त में 35 मामले आ चुके हैं।
चंबा, जागरण संवाददाता। मंडी व कुल्लू में स्क्रब टायफस से दो लोगों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग चंबा व मेडिकल कालेज प्रबंधन अलर्ट हो गया है। स्क्रब टायफस फैलाने वाला पिस्सू चंबा जिला में लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। चंबा में स्क्रब टायफस बुखार के जुलाई व अगस्त में 35 मामले आ चुके हैं। आए दिन स्क्रब टायफस बुखार से ग्रस्त मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं। इनका आंकड़ा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। पहली से 10 सितंबर तक तीन मामले सामने आ चुके हैं। चंबा में स्क्रब टायफस के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग भी पूरी तरह अलर्ट हो गया है। विभाग ने कालेज में ही टेस्ट की व्यवस्था के साथ सभी विभागाध्यक्षों को भी अलर्ट कर दिया है। लिहाजा चंबा जिला में भी कोरोना के साथ अब स्क्रब टाइयस का खतरा बढऩे लगा है।
वर्ष 2018 में करीब 50 से अधिक स्क्रब टायफस के मामले आए थे । इनमें से चार को टांडा अस्पताल रेफर किया गया था। इसमें तीन की मौत हो गई थी। वर्ष 2019 में जुलाई में छह मामले सामने आए थे जबकि 2020 में जुलाई माह में कोई भी मामला सामने नहीं आया था। लिहाजा इस वर्ष जुलाई व अगस्त माह में चंबा में स्क्रब टायफस के मरीजों की संख्या बढऩे के बाद स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट हो गया है। विभाग ने अस्पताल में स्क्रब टायफस से ग्रस्त मरीज आने वालों को प्राथमिक उपचार की पूरी व्यवस्था कर दी गई है।
यह है स्क्रब टायफस
स्क्रब टायफस घास में मौजूद एक विशेष प्रकार के पिस्सू की वजह से होता है। इस पिस्सू के काटने से उसकी लार में मौजूद एक बेहद खतरनाक बैक्टीरिया रिक्टशिया सुसुगामुशी मनुष्य के रक्त में फैल जाता है। सुसुगामुशी दो शब्दों से मिलकर बना है जिसका मतलब होता है सुसुगा यानी के छोटा और बेहद खतरनाक और मुशी मतलब माइट। इसके काटने से डेंगू की तरह प्लेटलेट््स की संख्या घटने लगती है। ये खुद तो संक्रामक नहीं है, लेकिन इसकी वजह से शरीर के कई अंगों में संक्रमण फैलने लगता है।
संक्रमण फैलने से होती है मौत
स्क्रब टायफस का कीड़ा जब काटता है तो वह अपनी लार छोड़ता है, ऐसे में पीडि़त व्यक्ति को संक्रमण हो जाता है। जब यह संक्रमण फेफड़ों, किडनी, लीवर में पहुंचता है तो मरीज को बचा पाना मुश्किल होता है। इसके अलावा मरीज का अस्पताल में देर से लाने पर भी जान जा सकती है।
चंबा में जुलाई में करीब 35 मामले स्क्रब टायफस स्क्रब के आ चुके हैं। स्क्रब टायफस के ज्यादातर लक्षण चिकनगुनिया और डेंगू से मिलते-जुलते हैं। इस पिस्सू के काटने से पहले तेज बुखार (करीब 103 से 104 डिग्री फारनेहाइट) चढ़ता है। इसके साथ ही सिरदर्द, खांसी, मांसपेशियों में दर्द और शरीर में कमजोरी भी आने लगती है। पिस्सू के काटने वाली जगह पर फफोलेनुमा काली पपड़ी जैसा निशान दिखता है। कालेज प्रबंधन द्वारा चंबा के लोगों को बेहतर उपचार की सुविधा दी जा रही है।
-डा. पंकज गुप्ता, मेडिसन विशेषज्ञ।
स्क्रब टायफस के लक्षण
-104 व 105 डिग्री तक तेज बुखार होना।
-जोड़ों में दर्द व कंपकंपी के साथ बुखार।
-शरीर में अकडऩ व टूटा हुआ महसूस होना।
-अधिक संक्रमण पर गर्दन, बाजुओं के नीचे व कूल्हों के ऊपर गिल्टियां होना।
रोकथाम
-बुखार कैसा भी हो, नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर विशेषज्ञ से परामर्श लें।
-शरीर की सफाई का विशेष ध्यान रखें।
-घर तथा आसपास के वातारण को साफ रखें।
-घर के चारों ओर घास व खरपतवार न उगने दें।
-घर के अंदर और आसपास कीटनाशक का छिड़काव करें।
चंबा मेडिकल कालेज में आइजीएम टेस्ट की पूरी व्यवस्था के साथ दवाइयों की पूरी व्यवस्था कर दी गई है। जुलाई व अगस्त में अब तक 35 मामले सामने आए हैं। कालेज प्रबंधन ने बेहतर उपचार के लिए उचित निर्देश के साथ अलर्ट जारी कर दिया है।
-डा. देङ्क्षवद्र कुमार , चिकित्सा अधीक्षक मेडिकल कालेज, चंबा