कार हादसे में मां व दादा को बचाने वाली अलाइका को मिला राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार, 13 वर्षीय बच्ची की कहानी
अलाइका बोली खुशी हो रही है। मैं परिवार के लिए कुछ करना चाहती थी। जिस समय सड़क हादसा हुआ उस दौरान मैं भी घायल थी लेकिन मां और दादा की चिंता में अपना दर्द भूल गई थी।
पालमपुर, कुलदीप राणा। बहुत खुशी हो रही है। मैं परिवार के लिए कुछ करना चाहती थी। जिस समय सड़क हादसा हुआ उस दौरान मैं भी घायल थी लेकिन मां और दादा की चिंता में अपना दर्द भूल गई थी। मन में यही बात थी कि किस तरह से स्वजनों की मदद करूं। कार 500 फीट गहरी खाई में चीड़ के पेड़ में फंस गई थी। जैसे-तैसे हिम्मत कर कार का दरवाजा खोला और खड़ी चढ़ाई में झाडिय़ों के सहारे सड़क पर पहुंची। इसके बाद एक गाड़ी रोकी और चालक को पूरी बात बताकर स्वजनों की जान बचाई।
खुशी है कि मैंने अपना फर्ज निभाया। यह कहना है बुधवार को नई दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार प्राप्त करने वाली हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा के पालमपुर उपमंडल के कालू दी हट्टी (मारंडा) की बेटी अलाइका का। इस बहादुरी बेटी ने दैनिक जागरण से मोबाइल फोन पर मन की बात साझा की।
इसलिए मिला पुरस्कार
पहली सितंबर, 2018 को अलाइका चचेरे भाई के जन्मदिन को मनाने के लिए कालू दी हट्टी से पैतृक गांव खैरा माता सविता, उपाध्याय दादा केके अवस्थी व कार चालक के साथ निकली थी। खैरा से करीब दो किलोमीटर पहले कुडंग के पास कार अचानक अनियंत्रित होकर 500 फीट नीचे खाई में लुढ़ककर पेड़ पर फंस गई। हादसे में दादा और मां समेत मैं भी घायल हो गई थी। इस दौरान अलाइका ने सड़क पर पहुंचकर अन्य लोगों की सहायता से स्वजनों को निकाला और अस्पताल में भर्ती करवाया था। हालांकि केके अवस्थी हादसे के बाद एक सप्ताह तक आइसीयू में रहे थे। चिकित्सकों का कहना था कि अगर घायलों को समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जाता तो जान भी जा सकती थी।
मुख्यमंत्री भी कर चुके हैं सम्मानित
15 अगस्त, 2019 को राजधानी शिमला में आयोजित राज्यस्तरीय समारोह में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अलाइका को बहादुरी सम्मान देकर सम्मानित किया था। 15 वर्षीय अलाइका अनुराधा पब्लिक स्कूल मारंडा में दसवीं की छात्रा है। हादसे के समय अलाइका नौंवी में पढ़ती थी। दादा केके अवस्थी सेना से रिटायर कैप्टन जबकि मां गृहिणी हैं।
अलाइका पर गर्व है। मैंने हमेशा उसे एक ही बात सिखाई है कि कभी हिम्मत मत हारना। यही कारण है कि जब हादसा हुआ तो मासूम बेटी ने सड़क तक पहुंचाया था। पोती के अदम्य साहस पर मुझे नाज है। -केके अवस्थी, अलाइका के दादा।