विद्यार्थियों को रोजगार दिलाने के लिए कार्य करें वैज्ञानिक
कृषि विश्वविद्यालय में दो महीने तक चलने वाले हिम पालम ऑनलाइन एग्री-बिजनेस इनक्यूबेटर की ओर से आयोजित “कृषि-उद्यमिता उन्मुखीकरण-सह-ऊष्मायन कार्यक्रम का उद्घाटन सोमवार को कुलपति प्रो. अशोक कुमार सरयाल ने किया। अपने मुख्य अतिथि संबोधन में कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय में दो महीने की उपासना से गुजरने के लिए चुने गए
संवाद सहयोगी, पालमपुर : कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में दो महीने का हिम पालम ऑनलाइन एग्री-बिजनेस इनक्यूबेटर की ओर से कृषि उद्यमिता उन्मुखीकरण सह ऊष्मायन कार्यक्रम सोमवार को शुरू हुआ। इसमें कुलपति प्रो. अशोक कुमार सरयाल ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में दो महीने की उपासना से गुजरने के लिए चुने गए विद्यार्थियों को प्रस्तावित विचार में अपना दिल और आत्मा लगाना चाहिए और विश्वविद्यालय में पूर्ण समर्पण के साथ कड़ी मेहनत करनी होगी। विश्वविद्यालय ने उन्हें अनुभवी और ज्ञात विशेषज्ञों का संरक्षक प्रदान किया है। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से कहा कि विद्यार्थियों के स्केलेबल और रिपीटेबल बिजनेस मॉडल को सफल उद्यमों में बदलने और कई अन्य लोगों को रोजगार दिलाने के लिए कार्य करें। कुलपति प्रो. अशोक कुमार सरयाल ने कहा कि बढ़ती बेरोजगारी सभी के लिए एक चुनौती थी और भारत और हिमाचल प्रदेश की सरकारें युवाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने और सफल उद्यमी बनने के लिए प्रेरित करने के लिए ऐसी स्टार्टअप योजनाएं लेकर आई हैं। विशेष अतिथि अनुसंधान निदेशक डॉ. डीके वत्स और कृषि महाविद्यालय के डीन डॉ. अश्विनी कुमार बसंदरी ने कहा कि स्टार्टअप योजनाओं को समय की जरूरत थी और मूल उद्देश्य नवीन समाधानों के साथ कृषक समुदाय की मदद करना था। इस अवसर पर सह प्रधान अन्वेषक एवं गृह विज्ञान महाविद्यालय के डीन डॉ. वाईएस धालीवाल, मृदा विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. वीके शर्मा व अन्य मौजूद रहे।
-----------------
सब्जियों की संरक्षित खेती की नवीनतम तकनीकों को सीखें प्रतिभागी
जागरण संवाददाता,पालमपुर : कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में सोमवार को उच्च मूल्य वाली सब्जी फसलों के संरक्षित संवर्धन में अग्रिमों पर मॉडल प्रशिक्षण पाठ्यक्रम शुरू हुआ। विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. वीपी ठाकुर ने आठ दिवसीय पाठ्यक्रम का उद्घाटन करते हुए देशभर के बीस प्रशिक्षुओं से कहा कि वे सब्जियों की फसलों की संरक्षित खेती के बारे में नवीनतम कृषि तकनीकों को सीखें। इसे खेतों में प्रचारित करें। यहां पर जो कुछ सीखने को मिलेगा उसे जब अपने खेतों में अम्ल लाया जाएगा तो उत्पादन कई गुना बढ़ सकता है। पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. परवीन शर्मा ने संरक्षित खेती के क्षेत्र में उत्पन्न तकनीक की जानकारी दी। समन्वयक डॉ. प्रदीप कुमार ने पाठ्यक्रम का महत्व बताया।