लाहुल-स्पीति के खमिंगर ग्लेशियर में फंसे 12 ट्रैकर व मजदूर काजा पहुंचाए
लाहुल-स्पीति के खमिंगर ग्लेशियर में फंसे पर्वतारोही दल के 12 सदस्यों को बचाव दल ने बुधवार देर सायं काजा पहुंचाया। सभी का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) काजा में प्राथमिक उपचार किया गया। इनमें एक शेरपा यानी गाइड छह मजदूर व तीन ट्रैकर हैं।
मंडी/मनाली, जागरण टीम। लाहुल-स्पीति के खमिंगर ग्लेशियर में फंसे पर्वतारोही दल के 12 सदस्यों को बचाव दल ने बुधवार देर सायं काजा पहुंचाया। सभी का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) काजा में प्राथमिक उपचार किया गया। इनमें एक शेरपा यानी गाइड, छह मजदूर व तीन ट्रैकर हैं। चार मजदूरों व दो ट्रैकर के शव को खमिंगर ग्लेशियर से नीचे लाया जा रहा है। वे भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) के बेस कैंप में पहुंच गए हैं। एडीएम काजा मोहन दत्त शर्मा ने दल के सभी सदस्यों का हाल जाना। बंगाल के एक मंत्री से फोन पर ट्रैकर की बात करवाई।
यूटर्न के साथ पहुंचना था मणिकर्ण
15 सितंबर को बातल से 18 सदस्यीय खङ्क्षमगर ग्लेशियर के लिए रवाना हुआ था। इसमें छह ट्रैकर, एक शेरपा और 11 मजदूर (पोटर) थे। इनका ट्रैक बातल, बड़ा ग्लेशियर, खमिंगर ग्लेशियर था। यहीं से यूटर्न के साथ मणिकर्ण पहुंचना था। खमिंगर ग्लेशियर पहुंचने तक यह लोग सात जगह रुके थे। बर्फबारी के कारण इन्होंने आगे का सफर रोक दिया था। 24 सितंबर जैसे ही आठवें प्वाइंट पर पहुंचे तो ट्रैकर संदीप ठाकुराता और भास्कदेव मुखोप्धाय पीछे रह गए थे। दोनों टेंट तक पहुंच ही नहीं पाए थे। शेरपा व एक अन्य मजदूर पीछे गए और जिस स्थान पर दोनों रुके हुए थे। वहीं पर टेंट लगा दिया था। स्लीङ्क्षपग बैग के साथ टेंट में ठहराकर आगे आ गए थे। 25 सितंबर को तीन मजदूर दोनों को देखने के लिए करीब सात बजे सुबह गए। दोनों की मौत हो चुकी थी। तीनों मजदूरों ने लौटकर दल के अन्य सदस्यों को इसकी सूचना दी थी। इसके बाद स्थानीय प्रशासन को सूचित करने का निर्णय लिया था। ट्रैकर अभिजीत के साथ मजदूर जीवन को काजा रवाना किया था।
काजा पहुंचने में लगे थे दो दिन
दोनों को काजा पहुंचने में दो दिन लग गए थे। 27 सितंबर की सुबह दोनों ने एडीएम काजा मोहन दत्त को वस्तुस्थिति से अवगत कराया था। प्रशासन ने आइटीबीपी, डोगरा स्काउट और मजदूरों का 32 सदस्यीय रेस्क्यू दल का गठन कर पिन घाटी के काह गांव के लिए रवाना कर दिया था। 28 सितंबर को रेस्क्यू दल की एंडवास पार्टी को उक्त सदस्य रास्ते में मिल गए। इनमें से दो ट्रैकर शीतदंश से पीडि़त थे। चलने में दिक्कत आ रही थी। रेस्क्यू दल ने कंधों का सहारा लेकर इन्हें काह तक पहुंचाया था।
बर्फबारी रुकने के बाद आगे बढऩे का निर्णय लिया था
अभिजीत के मुताबिक 24 सितंबर को जब सुबह बर्फबारी नहीं हो रही थी तो दल ने आगे के ट्रैक पराया काल के लिए निकलने का निर्णय लिया। उन्होंने राहत एवं बचाव कार्य के लिए स्पीति प्रशासन, आइटीबीपी, डोगरा स्काउट का आभार जताया है।
एक्सप्लोर करना था खङ्क्षमगर ग्लेशियर
ट्रैकर रनोधीर राय ने बताया कि वह छोटी उम्र से ट्रैङ्क्षकग के शौकीन रहे हैं। पहले से अपने दोस्तों के साथ ट्रैङ्क्षकग करता रहता था। देबाशीष बर्धन के साथ मिलना हुआ तो उन्होंने बताया कि लाहुल-स्पीति के काजा के अज्ञात ग्लेशियर ट्रैक को ढूंढना और उन्हें एक्सप्लोर करना चाह रहे हैं। तीन सालों से यहां पर आ रहे है। यह ट्रैक भी काफी अच्छा और रोमांचक था। हिमाचल व बंगाल सरकार ने रेस्क्यू करने की पल पल खबर ली।
पर्वतारोही दल के 12 सदस्य सुरक्षित काजा पहुंच गए हैं। शव व चार मजदूरों को आइटीबीपी के बेस कैंप तक पहुंचाया गया है।
-नीरज कुमार, उपायुक्त लाहुल स्पीति।