सरकार ने सड़क के लिए कब्जा ली थी जमीन, 53 साल बाद मिला न्याय; जानिए विद्या देवी की प्रतिक्रिया
नादौन के गांव जलाड़ी के पूर्व सैनिक स्व. रघुवीर सिंह की पत्नी 84 वर्षीय विद्या देवी को राज्य सरकार और अधिकारियों की गलती के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी है।
हमीरपुर, रणवीर ठाकुर। नादौन के गांव जलाड़ी के पूर्व सैनिक स्व. रघुवीर सिंह की पत्नी 84 वर्षीय विद्या देवी को राज्य सरकार और अधिकारियों की गलती के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी है। जीवन के इस पड़ाव पर उसे उस जमीन का मुआवजा मिलेगा जो 53 साल पहले उससे सरकार ने जबरन ले ली थी। सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि विद्या की जमीन बिना कानूनी प्रक्रिया पूरी किए हुए ली गई थी। पूर्व सैनिक की पत्नी विद्या देवी व ग्रामीण वर्षों से अधिकारियों व सरकार से बार-बार मुआवजा देने का आग्रह करते रहे लेकिन उन्हें अंत में सुप्रीमकोर्ट से ही राहत मिली।
विद्या देवी के पति रघुवीर सिंह की 1970 में नौकरी के दौरान मौत हो गई थी। विद्या देवी के दो बेटियां 59 वर्षीय कल्पना देवी व 55 वर्षीय अमिता देवी हैं। कल्पना देवी विधवा हैं और मां के पास ही रहती हैं। दूसरी बेटी अमिता देवी की शादी देशराज निवासी चौड़ू के साथ हुई है जो रेलवे में कार्यरत हैं। उनके दो बेटे सबू और अंकु इंजीनियर हैं। विद्या देवी को दोनों बेटियों का ही मात्र सहारा है।
यह था मामला
1967-1968 में हिमाचल प्रदेश सरकार ने सड़क निर्माण के लिए जलाड़ी के ग्रामीणों की 20 कनाल जमीन कब्जे में ली थी। इसमें विद्या देवी की 3.34 हेक्टेयर भूमि को भी सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया था। नादौन से सुजानपुर सड़क खड्ड के बीच से गुजरती थी। नया पुल बनाने से लगभग 20 कनाल जमीन सड़क में चली गई। ग्रामीणों ने सरकार से आग्रह किया कि सभी को मुआवजा दिया जाए लेकिन मुआवजा नहीं दिया गया। 2004 में इसी गांव के अनख सिंह ने मुआवजे के लिए हाईकोर्ट में पहला मामला दर्ज किया। उसका फैसला उनके हक में गया। भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1894 के तहत इसका मुआवजा 11 लाख 37 हजार मिला जिसका केस अभी भी हाईकोर्ट मेंं है। दूसरी ओर विद्या देवी और दूसरे प्रार्थियों ने दूसरी बैंच में केस कर रखा था। अन्य ग्रामीणों में ओंकार ङ्क्षसह, ध्यान ङ्क्षसह, होशियार सिंह, संतोष कुमार, रणवीर सिंह, अजीत सिंह, दुनी चंद व कशमीर ङ्क्षसह शामिल हैं। अजीत ङ्क्षसह व विद्या देवी हाईकोर्ट में केस हार गईं और अन्य सभी ग्रामीण मामला जीत गए। 2013 में विद्या देवी व अजीत सिंह का मामला हाईकोर्ट में खारिज हो गया।
विद्या देवी ने हिम्मत बनाए रखी और अपनी बेटियों और भतीजे मनविंद्र सिंह के सहारे हाईकोर्ट के अधिवक्ता विरेंद्र ठाकुर के माध्यम से सुप्रीमकोर्ट में जमीन का मामला पहुंचाया। ग्रामीण अजीत सिंह का देहांत हो जाने पर वे मामला सुप्रीमकोर्ट में दायर नहीं कर सके थे। उनके दो बेटे पवन कुमार व अश्वनी कुमार अभी तक मुआवजे के इंतजार में हैं। वर्षों से जमीन के मुआवजे की जंग लड़ रही वीर नारी विद्या देवी निवासी जलाड़ी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जताई है और कहा कि उन्होंने अपनी दो बेटियों व भतीजे के सहारे इस जंग में सफलता हासिल की है।