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दर्द तो रूकने का नाम नहीं लेता है

सामुदायिक अस्पताल भोरंज को सिविल अस्पताल का दर्जा जरूर मिल गया हैं लेकिन अस्पताल में मरीजों के लिए सुविधाएं सामुदायिक अस्पताल की भी नहीं हैं। सिविल अस्पताल भोरंज में मरीजों को स्वास्थ्य के नाम पर बहुत कम सुविधाएं मिल रही हैं जिससे लोगों को अपना इलाज करवाने के लिए मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के लिए रेफर होना पड़ रहा हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 Sep 2018 08:38 PM (IST)Updated: Fri, 07 Sep 2018 08:38 PM (IST)
दर्द तो रूकने का नाम नहीं लेता है
दर्द तो रूकने का नाम नहीं लेता है

रणवीर ठाकुर, भोरंज (हमीरपुर)

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सामुदायिक अस्पताल भोरंज को सिविल अस्पताल का दर्जा जरूर मिल गया है लेकिन मरीजों को यहां सुविधाएं सामुदायिक अस्पताल की भी नहीं मिल रही। आलम यह है कि लोगों को स्वास्थ्य बेहतर स्वास्थ्य लाभ के लिए हमीरपुर मेडिकल कॉलेज को दौड़ लगाना पड़ रही है। सिविल अस्पताल भोरंज स्वास्थ्य विभगा के कागजों में 50 बिस्तर स्वीकृत हैं। वर्तमान की स्थिति हैरान करती है। अस्पताल के दो वार्डों महिला व पुरुष वार्डों सहित दो कमरों में 18 बिस्तर ही लगे हैं। अस्पताल की हर रोज की ओपीडी 300 से 400 के बीच पंजीकृत है लेकिन स्टाफ की कमी अभी तक दूर नहीं हुई है।

भोरंज अस्पताल का दर्जा बढ़ने पर एक डाक्टर व एक स्टॉफ नर्स का पद स्वीकृत हुआ था लेकिन ये रिक्त हैं। अस्पताल में एक बीएमओ और दो डॉक्टर ही सेवाएं दे रहे हैं और तीन डाक्टरों के पद खाली पड़े हैं। अस्पताल में दंत रोग विशेषज्ञ न होने से भी लोगों का दर्द दूर होता नहीं दिख रहा है। भोरंज अस्पताल का भवन बहुत पुराना हो चुका है और बरसात में यह टपकने लगा है। भवन की दीवारों पर सीलन आ चुकी हैं, जो मरीजों को परेशान कर रही हैं। अस्पताल की खिड़कियों के शीशे टूटे हुए हैं। अस्पताल भवन के कमरे बिस्तर के लिए कम पड़ रहे हैं। अस्पताल के भवन को असुरक्षित घोषित करने के अनुमित तो मिल गई हैं लेकिन टेंडर लगाने के चलते इस कार्य को करवाने के लिए अभी तक कोई आगे नहीं आया हैं। अस्पताल में कार्यरत डाक्टरों के आवास भी बदहाल हैं। नया भवन बनाने के लिए अभी तक स्वास्थ्य विभाग व सरकार की ओर से किसी भी बजट का प्रावधान नहीं किया गया हैं। डाक्टरों को स्टाफ के अभाव में 24 घंटे ड्यूटी देनी पड़ रही है।

सिविल अस्पताल भोरंज के बीएमओ डॉक्टर ललित कालिया ने बताया कि सिविल अस्पताल को सुविधाएं भी उसके दर्जे के मुताबिक मिलनी चाहिए। अस्पताल में डॉक्टरों की कमी खल रही है। भवन काफी पुराना हो चुका है तथा नए अस्पताल के बजट का प्रावधान नहीं हैं। कम स्टाफ होने से दिक्कतें आ रही हैं। अस्पताल की स्थिति से स्वास्थ्य विभाग व सरकार को अवगत करवा दिया है। बरसात में भवन की छत से रिसाव रोकने के लिए लोक निर्माण विभाग को अवगत करवाया गया हैं। पुराने भवन को हटाने के लिए जल्द ठोस कदम उठाए जाएंगे।


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