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नगर परिषद हमीरपुर में भाजपा के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष हारे

रणवीर ठाकुर हमीरपुर नगर परिषद हमीरपुर में भाजपा समर्थित अध्यक्ष व उपाध्यक्ष दोनों के

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Jan 2021 11:19 PM (IST)Updated: Sun, 10 Jan 2021 11:19 PM (IST)
नगर परिषद हमीरपुर में भाजपा के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष हारे

रणवीर ठाकुर, हमीरपुर

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नगर परिषद हमीरपुर में भाजपा समर्थित अध्यक्ष व उपाध्यक्ष दोनों के हार जाने से भाजपा को झटका लगा है। भाजपा ने अध्यक्ष सलोचना देवी व उपाध्यक्ष दीप कुमार बजाज को अपना फिर से प्रत्याशी घोषित किया था लेकिन मतदाताओं की नाराजगी का बड़ा खामियाजा दोनों भुगतना पड़ा है। वार्ड नंबर चार में अधिक मतदान होना व वार्ड नंबर 10 में नोटा अधिक दबने से मतदाताओं की नाराजगी साफ झलकी है।

दूसरी तरफ कांग्रेस को भी चुनाव में करारा झटका दिया है। भले भाजपा नगर परिषद हमीरपुर में पांच सीटें जीतकर बढ़त बनाए हुए हैं लेकिन तीन बागियों की जीत, दो कांग्रेस प्रत्याशियों की जीत सहित एक आजाद प्रत्याशी भी आंकड़ों के हिसाब से उन पर भारी पड़ा है। सदर भाजपा के विधायक नरेंद्र ठाकुर के घर में कांग्रेस की नीना चौधरी का जीतना उनके लिए कांग्रेस की सीधी चुनौती मिली है।

सुजानपुर नगर परिषद में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का क्षेत्र होने के कारण वहां पर भाजपा व कांग्रेस बराबरी पर छूटी है। यहां भाजपा को चार सीटें मिली हैं तो कांग्रेस को भी चार सीटें ही मिली है जिससे चाबी अब एक आजाद प्रत्याशी के हाथ में चली गई है।

नादौन विधानसभा क्षेत्र में विधायक ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू को सोचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा वहीं भाजपा पूर्व विधायक विजय अग्निहोत्री को भी सत्ता में रहते हुए अभी तक काफी मेहनत की जरूरत खल रही है। भले ही नौदान में भाजपा समर्थित चार प्रत्याशी जीते हैं लेकिन दो आजाद प्रत्याशियों की जीत व कांग्रेस की एक सीट पर जीत भी कहीं न कहीं सत्तापक्ष के लिए खतरे की घंटी के सामान है। नादौन में भी दूसरी बार बनी नगर पंचायत अध्यक्ष रीना देवी की हार कोई कम नहीं हैं।

भोटा नगर पंचायत की अध्यक्ष सर्वजीत कौर व उनके पत्नी शरण प्रसाद की हार भी कांग्रेस के लिए सोचने को मजबूर कर रही है। आजाद प्रत्याशियों कर जीत व भाजपा में आपसी गुटबाजी भी उन्हें संजीवनी देने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। नगर परिषद व नगर पंचायत के इन चुनावों में भाजपा सरकार की कारगुजारी को लें तो इस चुनाव से आने वाले समय के लिए शुभ संकेत नहीं हैं और कांग्रेस पार्टी को भी अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को बचाने के सोचने को मजबूर होना पड़ा है।


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