दियोटसिद्ध में लाखों श्रद्धालुओं के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं
संजय गोस्वामी, बड़सर प्रसिद्ध सिद्धपीठ बाबा बालक नाथ मंदिर ट्रस्ट के बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के
संजय गोस्वामी, बड़सर
प्रसिद्ध सिद्धपीठ बाबा बालक नाथ मंदिर ट्रस्ट के बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के दावों की पोल खुलकर सामने आने लगी है। चैत्र मास मेले में दियोटसिद्ध मंदिर न्यास प्रशासन की बदइंतजामी की वजह से श्रद्धालुओं को परेशानी झेलनी पड़ रही है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए लोअर बाजार में सराय नंबर चार में विशेष तौर पर चैत्र मास मेलों के दौरान खोली जानी वाली डिस्पेंसरी इस बार बंद पड़ी है। ऐसे में श्रद्धालुओं को निजी क्लीनिकों का सहारा लेना पड़ रहा है। इन मेलों के दौरान आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को आपात स्थिति में या तो 18 किलोमीटर दूर बड़सर अस्पताल जाना पड़ रहा है या फिर निजी क्लीनिकों में जाने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है।
यही नहीं पिछले साल भी डिस्पेंसरी चैत्र मास मेलों के दौरान बंद पड़ी थी। हालांकि दियोटसिद्ध मंदिर ट्रस्ट ने लंगर के नजदीक आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी तो खोली है लेकिन सही मायने में डिस्पेंसरी का लाभ नहीं मिल पाता है। आपात स्थिति में अगर श्रद्धालु को डिस्पेंसरी में ले जाना पड़े तो चैत्र मास मेले में भारी भीड़ व वाहनों के वजह से कम से कम एक घंटे का समय लग जाता है। इस वजह से मंदिर ट्रस्ट द्वारा सराय नंबर चार में चैत्र मास मेलों में डिस्पेंसरी की सुविधा मुहैया करवाई जाती थी, लेकिन पिछली बार की तरह इस बार भी डिस्पेंसरी पर ताला लटका हुआ है। श्रद्धालु जब उपचार के लिए डिस्पेंसरी जाते हैं तो ताला लटका हुआ देख लौटना पड़ रहा है। पिछले साल भी चैत्र मास मेलों के दौरान सीढि़यों से गिरने से एक जालंधर से आई महिला श्रद्धालु घायल हो गई थी तो उसे शाहतलाई स्थित निजी क्लीनिक में ले जाना पड़ा।
इस बार भी चैत्र मास मेले के पहले नवरात्र पर रविवार को एक श्रद्धालु की हृदयाघात से मौत हो गई थी। अगर समय पर श्रद्धालु को उपचार मिलता तो उसकी जान बच सकती थी। यहीं नहीं श्रद्धालुओं को खांसी, जुकाम, बुखार आदि के लिए शाहतलाई में निजी क्लीनिक में जाना पड़ रहा है।
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फार्मासिस्ट उपलब्ध न होने के कारण लोअर बाजार में डिस्पेंसरी नहीं खोली जा सकी है। लंगर भवन के साथ ट्रस्ट की ओर से डिस्पेंसरी खोली गई है, जहां उपचार की सुविधा उपलब्ध है।
-प्रेम सिंह भाटिया, मंदिर न्यास अधिकारी।
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योजनाएं फाइलों में बंद
दियोटसिद्ध मंदिर ट्रस्ट द्वारा अस्पताल के निर्माण की योजना कई बार बनी लेकिन अधिकारियों के तबादलों के साथ योजना धरातल पर धराशायी होती रही। ट्रस्ट के मास्टर प्लान में योजना को अमलीजामा पहनाया जाना था, लेकिन अब न तो ट्रस्ट द्वारा अस्पताल के निर्माण में कोई दिलचस्पी दिखाई देती है और न ही ट्रस्ट की बैठकों में अस्पताल के निर्माण में कोई चर्चा की जाती है। सालाना करीब 25 करोड़ के चढ़ावे का आंकड़ा पार कर चुका मंदिर ट्रस्ट प्रशासन श्रद्धालुओं को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के दावे व वादे करता रहा है, लेकिन आज तक अस्पताल के निर्माण पर एक ईट तक नहीं लगी है।