ऊर्दू व फारसी के ज्ञाता हैं खंदेड़ा के अमर ¨सह
विधि चंद, हमीरपुर राजस्व विभाग से कानूनगो के पद से सेवानिवृत हुए खंदेड़ा गांव निवासी
विधि चंद, हमीरपुर
राजस्व विभाग से कानूनगो के पद से सेवानिवृत हुए खंदेड़ा गांव निवासी 84 वर्षीय अमर ¨सह आज भी राजस्व विभाग व जिला के लोगों को प्ररेणा बने हुए हैं।
वर्ष 1954 में राजस्व विभाग में नौकरी पर लगे तथा जुलाई 1992 में वे भोरंज राजस्व विभाग से कानूनगो के पद से सेवानिवृत हुए। ऊर्दू तथा फारसी भाषा में दसवीं कक्षा तक की शिक्षा प्राप्त की।
अमर ¨सह आज भी पुराने राजस्व विभाग के उर्दू भाषा में रिकॉर्ड की नकल को पढ़ने में माहिर हैं। राजस्व विभाग में कम मेहनताने पर आज वे सेवानिवृत होने पर अपनी सेवाएं देने में जुटे हैं।
ऊर्दु भाषा में राजस्व विभाग के रिकॉर्ड को गांव तथा शहर के लोगों तक पहुंचाने में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वर्ष 1961- 62 तक का राजस्व विभाग का ऊर्दू भाषा में दर्ज इस रिकॉर्ड के दस्तावेज को चंद सैकंड में पढ़ने में भी महारत हासिल कर रहा है।
डीएवी स्कूल नादौन में दसवीं कक्षा की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने नौकरी करने की जालंधर में राजस्व विभाग में अपनी सेवाएं देना शुरू की। तत्कालीन समय में जालंधर, गुरदास तथा हिमाचल प्रदेश का कुछ हिस्सा भी पंजाब सरकार के अधीन था।
राजस्व विभाग में बेहतर सेवाओं के अधीन एक विशाल समारोह में भी 250 गिफ्ट कूपन के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। साधारण परिवार में अपनी शिक्षा को प्राप्त करने के लिए परिजनों से शिक्षा को लेकर आत्मनिर्भरता जीवन की प्रेरणा मिली। चंडीगढ़ में इस सम्मान को लेकर परिवार के लोगों को खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अमर ¨सह के अपने पिता स्वर्गीय धुरी राम को अपनी शिक्षा का प्ररेणा मानते हैं। पढ़ाई के बाद नौकरी में आत्म निर्भरता भी उन्हें परिवार के लोगों से अधिक सीखने को मिली। ऊर्दू ज्ञान में प्ररेणा को लेकर उन्हें किसी भी स्कूल द्वारा पहल नहीं की। उन्होंने कहा कि जिला के अन्य लोगों को इस प्रकार प्रेरणा पाने वाले लोगों से सीख की आवश्यकता है। दिन भर राजस्व विभाग की पुरानी राजस्व संबंधी नकल को लेकर लोगों को उनके पास आना जाना लगा रहता है। इस कार्य के लिए वे राजस्व विभाग से कम मेहनताना भी प्राप्त कर रहे हैँ।