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श्रद्धालुओं की जिंदगी से कब तक होता रहेगा खिलवाड़

By Edited By: Published: Wed, 23 Apr 2014 01:01 AM (IST)Updated: Wed, 23 Apr 2014 01:01 AM (IST)
श्रद्धालुओं की जिंदगी से कब तक होता रहेगा खिलवाड़

संजय गोस्वामी, बड़सर

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दियोटसिद्ध मंदिर परिसर में गुंबद गिरने से हुई श्रद्धालु की मौत ने दियोटसिद्ध मंदिर न्यास प्रशासन को एक बार फिर कटघरे में खड़ा कर दिया है। मंदिर में हुई इस दर्दनाक घटना के उपरांत मेलों में पुख्ता प्रबंधों का राग अलापने वाले दियोटसिद्ध न्यास प्रशासन के पुख्ता प्रबंधों के सभी दावे धरे के धरे रह गए। अपने परिवार के साथ सलामती की दुआ मांगने बाबा बालक नाथ के दर्शनों को आए जिला कांगड़ा के निवासी सुरेंद्र कुमार को क्या पता था कि मंदिर न्यास प्रशासन की घोर लापरवाही उसकी जान पर बन आएगी। श्रद्धालुओं की जिंदगी से हुए खिलवाड़ की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी श्रद्धालुओं को न्यास प्रशासन की लापरवाही का भुगतान पहले भी भुगतना पड़ा है। हैरत की बात है कि दियोटसिद्ध मंदिर का चढ़ावा लगभग बीस करोड़ का आंकड़ा पार कर चुका है लेकिन श्रद्धालुओं को न तो सुविधाएं मिली ना ही सुरक्षा। सुरेंद्र कुमार दिल्ली में सरकारी नौकरी पर कार्यरत था। उसके परिवार में तीन बेटियां व एक बेटा है। इस हादसे के बाद पूरा परिवार स्तब्ध है। पत्नी व बच्चों को यकीन ही नहीं हो रहा है कि बाबा के दर परिवार की सलामती की दुआ मांगने पर उन पर दुखों का पहाड़ क्यों टूट पड़ा। इससे पहले गत वर्ष भी दियोटसिद्ध में निजी सराय का छज्जा गिरने से तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इसके अलावा दियोटसिद्ध में अस्थायी दुकानें गिरने से दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। दियोटसिद्ध में आने वाले श्रद्धालुओं द्वारा करोड़ों रुपये का चढ़ावा मंदिर में चढ़ाया जाता है तो श्रद्धालुओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी मंदिर न्यास प्रशासन की ही बनती है। जिस गुंबद के गिरने से श्रद्धालु की मौत हुई है वहां झडा चढ़ाने की योजना थी, परंतु उचित स्थान न मिलने से झडा किसी दूसरे स्थान पर लगाया जाता था। मंदिर न्यास प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि यह गुंबद बंदरों के बार-बार चढ़ने से हिल गया था तथा गुफा के ऊपर बनाया यह गुंबद भूमि से अलग हो गया था। गुबंद का भूमि से अलग हो जाना भी इसके निर्माण की गुणवत्ता पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर रहा है। अगर यह गुंबद जर्जर हालत में था तो इसे आज तक क्यों नहीं हटाया गया। बेशक मंदिर न्यास प्रशासन अब इस गुंबद का हिलने व गिरने का कारण बंदरों को मान रहा हो लेकिन मंदिर न्यास प्रशासन सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ सकता।


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