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अब सिस्टम के फेर में नहीं फंसेगा एफआरए

देश में वर्ष 2006 में अस्तित्व में आए वन अधिकार कानूृन एफआरए हिमाचल में 11 वर्षों बाद पूरी तरह से लागू होगा। अब यह कानून सिस्टम के फेर में नहीं फंसेगा। जनजातीय मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडेय ने विधानसभा में पेश किए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब में कहा कि सरकार इसे मिशन मोड़ में लागू करेगी। 17500 कमेटियों का गठन हो गया है। भाजपा सरकार ने वर्ष 200

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Dec 2018 07:53 PM (IST)Updated: Fri, 14 Dec 2018 07:53 PM (IST)
अब सिस्टम के फेर में नहीं फंसेगा एफआरए

राज्य ब्यूरो, धर्मशाला : देश में 2006 में अस्तित्व में आए वन अधिकार कानून (एफआरए) को हिमाचल में 11 साल बाद पूरी तरह लागू किया जाएगा। अब यह कानून सिस्टम के फेर में नहीं फंसेगा। कृषि एवं जनजातीय विकास मंत्री डॉ. रामलाल मार्कंडेय ने विधानसभा में पेश किए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब में कहा कि सरकार इसे मिशन मोड में लागू करेगी। 17500 कमेटियों का गठन हो गया है। भाजपा सरकार ने 2008 में इसे जनजातीय क्षेत्रों में लागू किया। 2012 में गैर जनजातीय इलाकों के लिए लागू किया। अब इसमें राज्यस्तरीय कमेटी गठित कर ली है। राजस्व सचिव के माध्यम सभी उपायुक्तों को आदेश दे दिए हैं। उन्हें दोबारा भी हिदायतें दी गई हैं। दावों का निपटारा प्राथमिकता के आधार पर होगा। असली अधिकार पंचायतों की ग्राम सभाओं को हैं। आवेदनों को वहां से न तो रद किया और न ही इसे एक्स्टेंशन दी गई। इसके बाद एसडीएम की अध्यक्षता में मंडलस्तरीय कमेटी स्वीकृति देती है। इसके बाद उपायुक्त पूरी अथॉरिटी होते हैं। उनकी अध्यक्षता में जिलास्तरीय कमेटी गठित की गई है। सरकार पूरी तरह से गंभीर है। मंत्री ने कहा कि एक्ट का पालन हुआ या नहीं, वह खुद भी जांच करेंगे।

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इससे पहले ठियोग के विधायक राकेश ¨सघा ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार देश की संसद से पारित कानून को लागू करने के प्रति गंभीर नहीं है। 1980 से पहले के 44000 किसानों को जमीन आवंटित की गई थी, लेकिन 1980 में वन अधिकार संरक्षण कानून (एफसीए) आ गया। इन्हें अब तक मालिकाना हक नहीं मिले। कांग्रेस विधायक आशीष बुटेल ने भी सरकार की नीयत पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पूर्व यूपीए सरकार का कानून अधूरा लागू हो रहा है। पूर्व भाजपा सरकार ने अतिक्रमण करने वालों के लिए कानून बनाने की बात कही थी। लोगों ने बड़ी तादाद में आवेदन किए, पर उन्हें बदले में जमीन नहीं बेदखली मिली।


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