ट्रक हड़ताल : डमटाल में बंद, कांगड़ा में बेअसर
ट्रकों के पहिये थमने से सामान की आपूर्ति प्रभावित होगी जिसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।
डमटाल, जेएनएन। सरकार की ट्रांसपोर्ट पॉलिसी के खिलाफ ट्रक यूनियन की हड़ताल का जिला में असर मिला-जुला रहा। पॉलिसी के विरोध में जहां डमटाल क्षेत्र में ट्रक ऑपरेटरों ने हड़ताल की, वहीं कांगड़ा की ट्रक यूनियन में हड़ताल नहीं की गई। डमटाल ट्रक यूनियन में ट्रक खड़े रहे और कोई भी डिमांड नहीं ली गई।
इस संबंध में डमटाल ट्रक यूनियन के प्रधान मस्तराम ने बताया कि ट्रांसपोर्टरों के अहित के मद्देनजर आज पूरे देश में हड़ताल की गई है जिसका डमटाल यूनियन ने भी समर्थन करते हुए अपने ट्रक खड़े रखे। उन्होंने बताया कि डीजल के दाम में बढ़ोतरी, प्रदेश में अपने ही ट्रकों पर प्रवेश शुल्क, ग्रीन टैक्स शुल्क, थर्ड पार्टी इंश्योरेंस बढ़ाकर 90 प्रतिशत करना जैसे मुद्दों पर केंद्र सरकार के संशोधित बिलों में ट्रांसपोर्टरों का हनन हो रहा है। इस कारण हमारे व्यवसाय बंद होने की कगार पर हैं। उन्होंने कहा कि अगर ट्रांसपोर्टरों के हितों के लिए उचित कदम नहीं उठाए तो ट्रांसपोर्टरों कंगाल हो जाएंगे।
वहीं कांगड़ा में हड़ताल के कारण फल, सब्जी, खाने-पीने और रोजमर्रा के जरूरतों की वस्तुओं के दाम बढ़ने की आशंका है। ट्रकों के पहिये थमने से सामान की आपूर्ति प्रभावित होगी जिसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। ज्यादातर उपभोक्ताओं तथा व्यापारियों को ट्रकों की हड़ताल के बारे पता ही नहीं था, जिससे फल सब्जियों के मोलभाव में कोई उतार चढ़ाव देखने को नहीं मिला।
ये कहते हैं विक्रेता
सब्जी विक्रेता सुरेंद्र चावला का कहना है कि ट्रकों की हड़ताल का सब्जियों के रेटों पर कोई असर नहीं पड़ा है। कुल्लू से आने वाली सब्जियां आसानी से कांगड़ा में पहुंच रही हैं। सब्जी मंडी कांगड़ा आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान इंद्रजीत सिंह का कहना है कि दिल्ली मुंबई जैसे बड़े शहरों में हड़ताल का असर हो सकता है परंतु कांगड़ा सब्जी मंडी में ट्रकों की हड़ताल का कोई असर नहीं है।