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तिब्बती चुनाव: बड़े दायित्वों के बाद शीर्ष पद की दौड़, सेरिंग, दोरजे व डोलमा निभा चुके हैं बड़ी जिम्मेदारी

पश्चिम बंगाल के केलिंपोंग में वर्ष 1968 में जन्मे ऑकत्संग केलसंग दोरजे ने सेंट स्टीफन कॉलेज दिल्ली से इंग्लिश ऑनर्स में स्नातक की पढ़ाई की। इंग्लैंड से मास्टर ऑफ आर्ट्स इन लॉ एंड डिप्लोमेसी की। दलाईलामा के उतरी अमेरिका में प्रतिनिधि और निर्वासित तिब्बतियन प्रधानमंत्री के मुख्य सलाहकार भी रहे।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 11 Feb 2021 12:37 PM (IST)Updated: Thu, 11 Feb 2021 12:37 PM (IST)
तिब्बती चुनाव: बड़े दायित्वों के बाद शीर्ष पद की दौड़, सेरिंग, दोरजे व डोलमा निभा चुके हैं बड़ी जिम्मेदारी
तिब्बत की सरकार...निर्वासन का दंश। फाइल फोटो

धर्मशाला, जेएनएन। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) के अध्यक्ष (प्रधानमंत्री) व संसद सदस्यों के पहले चरण के चुनाव का परिणाम आठ फरवरी को घोषित हो गया। इसके बाद इस प्रशासन का चुनाव अब महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि दलाईलामा की राजनीतिक शक्तियां केंद्रीय तिब्बती प्रशासन को मिल चुकी हैं। वहीं, अमेरिका द्वारा कुछ माह पहले केंद्रीय तिब्बत सरकार के आग्रह पर तिब्बत नीति और समर्थन अधिनियम पारित होने से इस सरकार का महत्व बढ़ा है। धर्मशाला से विशेष रिपोर्ट:

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कौन किस पर भारी: यदि दो बार केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के प्रमुख रहे डा. लोबसंग सांग्ये के कार्यकाल को देखें, तो उनके कार्यकाल की बड़ी उपलब्धि चीन के विरोध के बावजूद अमेरिका की 2020 के तिब्बत नीति और समर्थन अधिनियम का पारित होना रहा है। अमेरिकी नीति के अनुसार दलाईलामा को चुनने का फैसला विशेष रूप से वर्तमान दलाईलामा, तिब्बती बौद्ध नेताओं और तिब्बती लोगों के अधिकार क्षेत्र में है।

ऐसे समझें चुनाव

  • पहले चरण के चुनाव परिणाम में तिब्बती संसद के पूर्व अध्यक्ष पेंपा सेरिंग को 24,488 वोट मिले हैं
  • ऑकत्संग केलसंग दोरजे को 14,544 वोट और गेरी डोलमा 13,363 वोट के साथ तीसरे स्थान पर हैं
  • इस पद की दौड़ में सात उम्मीदवार थे। अब तिब्बती चुनाव आयोग 21 मार्च को अंतिम चरण के लिए दो शीर्ष उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करेगा
  • इनमें 11 अप्रैल को अंतिम चरण के चुनाव में मुकाबला होगा
  • अंतिम चरण के मतदान का परिणाम 14 मई को घोषित होगा। निर्वासित सरकार 20 व 21 मई को मैक्लोडगंज में शपथ ग्रहण करेगी

संसद की 45 सीटों के लिए 150 प्रत्याशी मैदान में

अध्यक्ष पद के लिए शेष बचे दावेदारों में से 21 मार्च को दो ही रह जाएंगे। मतों के हिसाब से इनकी छंटनी की जाएगी। संसद की 45 सीटों के लिए 150 प्रत्याशी मैदान में हैं। विश्व में लगभग 80 हजार तिब्बती मतदाता हैं। लगभग 55 हजार मतदाता भारत और 24 हजार से अधिक मतदाता विदेशों में हैं।

2012 में सरकार के मुखिया को सिक्योंग नाम दिया

तिब्बती सरकार के मुखिया को सिक्योंग भी कहते हैं। यानी तिब्बत सरकार के मुखिया। तिब्बती भाषा के इस शब्द को वर्ष 2012 में उपयोग में लाया गया। पहले तिब्बत सरकार के मुखिया को कलोन ट्रिपा कहा जाता था यानी तिब्बत सरकार के मंत्रियों के मुखिया। सबसे पहले चुने गए कलोन ट्रिपा लोबसंग तेंजिन थे, जिन्हेंं सामदोंग रिंपोंछे के नाम से जाना जाता है। 20 अगस्त, 2001 को उन्हें निर्वासित तिब्बत सरकार का अध्यक्ष चुना गया था। उस समय तिब्बत सरकार की सभी शक्तियां दलाईलामा के पास थीं। वर्ष 2011 में उन्होंने सारी शक्तियां निर्वासित तिब्बत सरकार को हस्तांतरित कर दिया था।

26 साल की उम्र में निर्वासित सांसद चुनी गई डोलमा

पश्चिम बंगाल के केलिंपोंग में वर्ष 1964 में जन्मी गेरी डोलमा की प्रारंभिक शिक्षा सेंटर स्कूल फॉर तिब्बतियन दार्जिलिंग से हुई। उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से राजनीतिक शास्त्र में स्नातक और दिल्ली यूनिवर्सिटी से एलएलबी की। पढ़ाई के दौरान जब वह दार्जिलिंग और चंडीगढ़ में थीं, तब वह इंटरनेशनल स्टूडेंट, तिब्बतियन स्टूडेंट और तिब्बतियन महिलाओं की प्रतिनिधि भी रही हैं। चंडीगढ़ में रहते हुए क्षेत्रीय तिब्बतियन यूथ कांग्रेस के साथ काम कर रही थीं तो सेंट्रल तिब्बतियन यूथ कांग्रेस (टीवाईसी) में शामिल हुईं। डोलमा टीवाईसी की संयुक्त सचिव व सूचना सचिव रहीं। वह 26 साल की आयु में निर्वासित सांसद के लिए चुनी गईं। वह सबसे कम आयु में सांसद चुनी गई महिला बनीं। वर्ष 1991 से 2011 तक संसद की उपसभापति रहीं। 2011 में अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरा, लेकिन बाद में नाम वापस ले लिया। चुनाव के बाद उन्हें गृह मंत्री बनाया गया था। वर्ष 2004 में धर्मगुरु दलाईलामा ने उन्हें तिब्बतियन सेंटर ऑफ ह्यूमन राइटस एंड डेमोक्रेसी (टीसीएचआरडी) का चेयरमैन बनाया।

सेरिंग, दोरजे व डोलमा निभा चुके हैं बड़ी जिम्मेदारी

17वीं निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रधानमंत्री पद की दौड़ में पेंपा सेरिंग, ऑकत्संग केलसंग दोरजे व गेरी डोलमा पहले तीन स्थानों पर हैं। अध्यक्ष पद के उम्मीदवार होने से पूर्व ये तीनों प्रत्याशी संसद में कई जिम्मेदार ओहदों पर रह चुके हैं। अनुभव में तीनों किसी से कम नहीं हैं।

धर्मशाला से चलती है केंद्रीय तिब्बती सरकार

तिब्बत पर चीन का कब्जा होने के बाद तिब्बती सर्वोच्च धर्मगुरु दलाईलामा भारत आ गए थे। सरकार ने उनके रहने की व्यवस्था हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला के मैक्लोडगंज में की थी। तब से दलाईलामा यहीं रहते हैं। यहीं से केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की सरकार चलती है। चीन के आक्रामक रुख और अमेरिका की नीति के बीच केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की बागडोर संभालने की जिम्मेदारी काफी अहम हो गई है।

चार बार सांसद व एक बार अध्यक्ष रहे सेरिंग

चुनाव में सबसे आगे चल रहे पेंपा सेरिंग का जन्म कर्नाटक के बेलाकूपी में वर्ष 1967 में हुआ। उन्होंने सेंटर स्कूल ऑफ तिब्बतियन बेलाकूपी से जमा दो की पढ़ाई की। इसके बाद मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज चेन्नई से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल की। विद्यार्थी काल में ही तिब्बतियन फ्रीडम मूवमेंट के महासचिव रहे। वह 2001 से 2008 तक तिब्बतियन पार्लियामेंट एंड रिसर्च सेंटर दिल्ली नई दिल्ली के निदेशक रहे। वह 1996, 2001, 2006 और 2011 में सांसद बने। वर्ष 2011 में संसद के अध्यक्ष पद का दायित्व सौंपा गया।


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