करमापा के भारत लौटने पर संशय
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : तिब्बतियों के सर्वोच्च धर्मगुरु दलाईलामा के बाद महत्वपूर्ण माने जाने वा
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : तिब्बतियों के सर्वोच्च धर्मगुरु दलाईलामा के बाद महत्वपूर्ण माने जाने वाले धर्मगुरु त्रिनले दोरजे करमापा के भारत लौटने पर संशय है। वह कुछ समय अमेरिका गए थे, लेकिन अब उन्होंने प्रवास कार्यक्रम बढ़ा लिया है। सूचना आ रही है कि तिब्बती धर्मगुरु अमेरिका में ही शरण ले सकते हैं। अमेरिका में करमापा कहीं भी आने-जाने के लिए स्वतंत्र हैं, जबकि भारत में हर समय खुफिया एजेंसियों और हिमाचल प्रदेश पुलिस के दायरे रहते हैं। तिब्बती धर्मगुरु को कहीं जाने यहां तक कि अपने गुरु ताई सितु रिपोंछे से मिलने के लिए भी अनुमति लेनी पड़ती है। सूत्रों की मानें तो करमापा ने अमेरिका जाने के पीछे स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है। वह मई 2017 को धर्मशाला से तीन माह के लिए अमेरिका गए थे। उनकी आधिकारिक वेबसाइट में केवल इतनी जानकारी दी गई है कि करमापा अंतरराष्ट्रीय दौरे में टी¨चग, साक्षात्कार व अन्य कार्यक्रमों में व्यस्त हैं। विदेश यात्रा के लिए तिब्बती आइसी (पहचान प्रमाणपत्र) धारकों को तीन माह का वीजा जारी किया जाता है। स्थानीय एजेंसियों और ग्यूतो मठ से जुड़े सूत्रों की मानें तो करमापा अमेरिका में रहने की अवधि न केवल बढ़वा सकते हैं, बल्कि वहां शरण भी ले सकते हैं। इस संबंध में आधिकारिक रूप से टिप्पणी करने के लिए कोई भी तैयार नहीं है। त्रिनले दोरजे करमापा धर्मशाला के समीप सिद्धबाड़ी में ग्यूतो मठ में रहते हैं और काग्यू संप्रदाय के प्रमुख हैं।
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कौन हैं करमापा
17वें त्रिनले दोरजे करमापा का नाम भारत में 2000 में सुर्खियों में आया था। उस समय चीन की सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देते हुए करमापा और उनकी बहन भारत पहुंचे थे। करमापा उस समय तिब्बत में त्सुर्फू मठ से बच निकले थे और 5 जनवरी, 2000 को धर्मशाला पहुंचे थे। बाद में पता चला था कि चीन की सेना को चकमा देते हुए करमापा ने 1100 किलोमीटर का पैदल सफर तय किया था। चीन में 14वें करमापा की अल्पायु में मौत होने के बाद 15वें करमापा को चीन से निर्वासित कर दिया था। इसके बाद 16वें करमापा का शिकागो में 5 नवंबर, 1981 में कैंसर से देहांत हो गया। इसके बाद 17वें करमापा उग्येन त्रिनले दोरजे सामने आए। उस समय करमापा जिस ढंग से भारत पहुंचे थे तो संभावना जताई गई थी कि कहीं इनके माध्यम से काग्यू पंथ के करमापा को स्थापित करने के लिए चीन सरकार की कोई रणनीति तो काम नहीं कर रही है। सिक्किम की रूपटेक मठ को काग्यू पंथ मुख्यालय माना जाता है और इस मठ में सावधानी से रखा गया 'काला हैट' जिसके पास होता है, वही अधिकृत रूप से करमापा माना जाता है। भले ही दलाईलामा ने उग्येन त्रिनले को 17वें करमापा का अवतार मानते हुए मान्यता दे दी है, परन्तु कालिम्पोंग स्थित काग्यू पंथ के मठाधीश ने शमार रिम्पोंछे को (समटेक मठ) का करमापा का 17वां अवतार माना था।