आत्मरक्षा के गुर सिखाना सही पर परीक्षा के दौर में न हों गतिविधियां
आत्मरक्षा तो जरूरी है लेकिन यह भी देखने वाली बात है कि कब और किस समय इसे लेकर छात्राओं को जागरूक किया जा रहा है। इस अभियान को लेकर शिक्षक संघों ने छात्रों के लिए जरूरी तो बताया है लेकिन वार्षिक परीक्षाओं के समय में इनके आयोजन को उन्होंने इसे सिरे से खारिज किया
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : स्कूलों में विद्यार्थियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाना तो सराहनीय है पर ये गतिविधियां परीक्षा के दौर में नहीं होनी चाहिए। शिक्षक संघों का कहना है कि सरकार के मुखिया का भी यह फर्ज है कि वे भी देखें कि इस तरह के कार्यक्रमों से विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित न हो। इन दिनों स्कूलों में विद्यार्थियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाए जा रहे हैं। हालांकि शिक्षा विभाग ने 31 दिसंबर के बाद स्कूलों में किसी भी प्रकार की गैरशैक्षणिक गतिविधियों पर रोक लगाई है, लेकिन फिर भी नियमों को तोड़ा जा रहा है। विद्यार्थियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाना तो सही है, लेकिन इसका समय निर्धारित होना चाहिए। शिक्षा विभाग ने यह कार्यक्रम शुरू किया है और यह विद्यार्थियों के हित में है।
-विकास धीमान, प्रदेश मीडिया प्रभारी पदोन्नत प्रवक्ता संघ सरकार को यह देखना चाहिए कि इस प्रकार के कार्यक्रमों से विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित न हो। अगर शिक्षा विभाग ने 31 दिसंबर के बाद स्कूलों में गैरशैक्षणिक गतिविधियों पर रोक लगाई है तो फिर क्यों ऐसे आयोजन करवाए जा रहे हैं।
-संजय मोगू, संयोजक हिमाचल प्रदेश शिक्षक मंच सत्र शुरू होने पर ही ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन होना चाहिए। स्कूलों में सुबह की बजाय दोपहर बाद ऐसे आयोजन होने चाहिए। सुबह ही अगर बच्चे थक जाएंगे तो वे दिन में क्या पढ़ाई करेंगे।
-अभिनव, ब्लॉक अध्यक्ष धर्मशाला, प्राथमिक शिक्षक संघ
स्कूलों में कोई भी गैरशैक्षणिक गतिविधियां दिसंबर के बाद नहीं होनी चाहिए। इस समय बच्चों पर वार्षिक परीक्षाओें के लिए पढ़ाई का बोझ है और ऐसे आयोजनों का कोई औचित्य नहीं है।
-जीएस बेदी, प्रदेश अध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ