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जनजागरूकता से ही होगा नशे का नाश

राज्य सरकार के तत्वाधान में नशा प्रभावितों के पुनर्वास को नीति बनाने के लिए राज्यस्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

By Edited By: Published: Mon, 06 Aug 2018 09:43 PM (IST)Updated: Tue, 07 Aug 2018 09:30 AM (IST)
जनजागरूकता से ही होगा नशे का नाश
जनजागरूकता से ही होगा नशे का नाश

धर्मशाला, जेएनएन।पंजाब में खतरे की हद को पार चुके नशे के सेवन और इससे जुड़े कारोबार से प्रभावित हो रहे हिमाचल प्रदेश को बचाने के लिए न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद राज्य सरकार के तत्वाधान में नशा प्रभावितों के पुनर्वास को नीति बनाने के लिए सिद्धबाड़ी स्थित क्षेत्रीय संसाधन प्रशिक्षण केंद्र-2 (आरआरटीसी) में मंत्रणा के लिए राज्यस्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया।

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इस दौरान सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के निदेशक हंसराज चौहान ने कहा कि राज्य में ड्रग्स प्रभावितों के पुनर्वास के लिए नीति निर्माण से पूर्व इससे जुड़े मुद्दों पर समाज के सभी वर्गो में व्यापक चर्चा होनी चाहिए। यह कार्यशाला इस सिलसिले की प्रथम कड़ी है। सभी संबंधित विभागों, वर्गों और पंचायती राज संस्थाओं को इसमें शामिल किया जाएगा। इससे ड्रग्स प्रभावितों के पुनर्वास की नीति निर्माण में सभी वर्गों के सुझावों को सम्मिलित करने में मदद मिलेगी। समाज, विशेषकर युवाओं में नशे के बढ़ते चलन की रोकथाम के लिए लोगों को जागरूक करना अनिवार्य है।

इसमें ग्राम सभाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। इस अवसर पर क्षेत्रीय अस्पताल धर्मशाला की डॉ. अनिता, टांडा मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सक डॉ. मेजर सुखजोत, डीआरडीए के पीओ मुनीष शर्मा, डीएसपी सुरेंद्र शर्मा, चंबा से आए स्वयंसेवी तथा ग्राम प्रधान नरेश रावत, अमर ज्योति कला मंच बिलासपुर की संचालक अमरावती, विवेक, सहयोग संस्था ऊना के प्रेमी, दयानंद शर्मा और विशाल ने भी अनुभव साझा किए। स्वयंसेवी विजय कुमार ने कार्यशाला का संचालन किया। यह समस्या अवैध उत्पादन, अवैध कारोबार और नशे के सेवन तक ही सीमित नहीं है। इसे कुछ लोग सुनियोजित ढंग से चला रहे हैं। वह विशेषकर युवाओं को निशाना बना रहे हैं। भांग और अफीम के उत्पादन के लिए प्रयोग की जाने वाली अधिकांश भूमि सरकारी और वन विभाग की है। भांग का पौधा अपने अनुकूल प्राप्त जलवायु में बेहद खतरनाक ढंग से फैलता है। मलाणा घाटी के अलावा इस धंधे में लगे लोग अन्य ऐसी जगहों को इस्तेमाल कर रहे हैं जहां आम आदमी का पहुंचना मुश्किल है।

महिलाएं भी नशे के गिरफ्त में फंस रही हैं। लेकिन जो छूटना चाहती हैं, उनके लिए कोई पुनर्वास केंद्र राज्य में मौजूद नहीं है। भांग और लैंटाना के स्थान पर अगर जंगली गैंदा लगाया जाए तो यह इन दोनों हानिकारक पौधों को समाप्त कर सकता है। शालिनी अग्निहोत्री, एसपी कुल्लू इन्होंने दिए बहुमूल्य सुझाव जिला विधिक सेवा की सचिव नेहा दहिया ने सुझाव दिया कि प्रदेश में चलाए जाने वाले भांग उन्मूलन अभियान को मनरेगा में शामिल किया जाना चाहिए। एम्स नई दिल्ली के सहायक प्रोफेसर डॉ. आलोक अग्रवाल ने कहा कि नशा सेवन तथा इसके कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कदम उठाने के लिए सभी विभागों को बेहतर समन्वय स्थापित करना होगा। स्वास्थ्य विभाग के सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक वीके मोदगिल ने सभी संबंधित एनजीओ और पुनर्वास केंद्रों से आग्रह किया कि वे नशे के आदी के इलाज में प्रशिक्षित चिकित्सकों की सहायता लें और उन्हीं के परामर्श से दवाएं उपलब्ध करवाएं। नवनीत शर्मा ने विभाग से आग्रह किया कि इस तरह की कार्यशालाओं में तमाम मीडिया कर्मियों को आमंत्रित किया जाना चाहिए।


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