सर्पदंश : टोटकों से करें परहेज, सीधे अस्पताल जाएं
मुनीष गारिया, धर्मशाला बरसात के मौसम में सर्पदंश से सावधान रहें। खासकर इस मौसम में सांप के
मुनीष गारिया, धर्मशाला
बरसात के मौसम में सर्पदंश से सावधान रहें। खासकर इस मौसम में सांप के डसने की घटनाएं ज्यादा सामने आती हैं और इससे मौतों का आंकड़ा भी बढ़ता है। सर्पदंश के बाद कोताही नहीं बरतनी चाहिए और पीड़ित व्यक्ति को सीधे अस्पताल का रुख करना चाहिए। स्वास्थ्य विभाग ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी एंटी स्नेक वेनम उपलब्ध करवाई है। 108 एंबुलेंस में भी यह टीका उपलब्ध है। देखने में आता है कि कई बार लोग सर्पदंश के बाद सपेरों या फिर टोटकों के चक्कर में फंस जाते हैं। जब पीड़ित को कोई आराम नहीं पहुंचता है तो उस स्थिति में अस्पताल का रुख करते हैं, लेकिन तब देर हो चुकी होती है। सांप का जहर शरीर में फैलकर व्यक्ति की जान ले लेता है। व्यक्ति के शरीर में रक्त व किडनी पर सर्पदंश का सबसे ज्यादा असर पड़ता है और इससे मौत हो जाती है। अगस्त में ही डमटाल में एक युवक की सर्पदंश से मौत हो गई है। इसके अलावा जुलाई के अंतिम सप्ताह में धर्मशाला के साथ लगते घरोह गांव की 15 वर्षीय छात्रा द्रम्मण में रिश्तेदार के पास गई थी, वहां रात को उसे सांप ने डस लिया, लेकिन ग्रामीण रातभर टोटकों के चक्कर में पड़े रहे और सुबह जब उसे डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा पहुंचाया तो उसकी मौत हो गई थी।
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सर्पदंश के मामलों का ब्योरा
जनवरी से जून तक 135 मामले
जुलाई में 58 मामले
अगस्त में पांच मामले
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एंटी स्नेक वेनम ही उपचार
सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति को एंटी स्नेक वेनम वैक्सीन दिया जाता है। इसके अलावा एंटी डॉट भी अन्य किसी जहरीले जानवर के काटने पर पीड़ित को दिया जाता है।
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जून से अगस्त तक सामने आते हैं मामले
सर्पदंश के मामले जून से अगस्त तक ज्यादातर सामने आते हैं। बरसात के कारण अक्सर सांप सूखी जगह की ओर रुख करते हैं। कई दफा चूहों के बिलों से होते हुए सांप घरों तक पहुंच जाते हैं। कच्चे मकानों में ऐसी घटनाएं ज्यादा होती हैं। खेतों में भी सर्पदंश का ज्यादा खतरा रहता है। शिकार की तलाश में सांप खेतों में ही विचरते हैं और घास काटते समय कई बार लोग इनका शिकार हो जाते हैं।
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ये बरतें सावधानियां
-खेतों में लंबे जूते पहनकर जाएं।
-घरों के आसपास के क्षेत्र को साफ सुथरा रखें।
-घास काटते समय पूरी नजर आसपास रखें।
-कोई भी आवाज या हरकत होने पर सतर्क हो जाएं।
-झाड़ीदार रास्तों से न गुजरें व रात को रोशनी में ही घर से बाहर निकलें।
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'बरसात में सर्पदंश के मामले ज्यादा आते हैं। सर्पदंश के बाद कोताही नहीं बरतनी चाहिए। दवा के साथ सावधानी भी बरतनी जरूरी है। समय पर चिकित्सालय में पहुंचे मरीज की जान को बचाया जा सकता है। यदि किसी को कोई सांप डस जाता है तो कोशिश करें कि प्रभावित हिस्से की कम से कम मूवमेंट हो, क्योंकि अधिक मूवमेंट से जहर शरीर में फैल जाता है। हालांकि केवल 10 फीसद सांप ही जहरीले होते हैं, लेकिन सर्पदंश पर पीड़ित व्यक्ति को किसी भी सूरत में घर में न रखें और न ही झाड़ फूंक के चक्कर में पड़ें'।
-डॉ. राजेश गुलेरी, जिला स्वास्थ्य अधिकारी
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सर्पदंश के लक्षण
-मांसपेशियां व नसें प्रभावित होती हैं।
-पीड़ित व्यक्ति को तेज दर्द होता है।
-डसने वाली जगह नीली हो जाती है।
- मसूड़ों से खून आता है या चक्कर भी आ जाता है।
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प्रदेश में सांपों की प्रजातियां
हिमाचल प्रदेश में मुख्य रूप से कोबरा व क्रेट वाइपर सांप पाए जाते हैं। सबसे खतरनाक बाइपर होते हैं। बाइपर की दो किस्मे हैं। पिटवाइपर, जिसके नाक में गढ्डा होता है तथा रस्ल वाइसर। इसके अलावा क्रेट की भी दो किस्में हैं, इनमें कोमन क्रेट व अन्य क्रेट सांप शामिल हैं। कोबरा की अन्य कोई भी प्रजाति यहां नहीं पाई जाती है। कोबरा 5000 फीट की ऊंचाई पर पाया जाता है, जबकि क्रेट चार व पांच हजार फीट की ऊंचाई में पाया जाता है। वाइपर समुद्र तल से 9000 फीट की ऊंचाई तक पाया जाता है।