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सौरभ वन विहार अब रेत का टापू

हल्की बारिश की बूंदाबांदी और ठंडी हवाओं के बीच सौरभ वन विहार की हर वक्त रहने वाली चहल पहल आज गायब थी। जो मार्ग सौरभ वन विहार को मुख्य सड़क से जाता था,

By JagranEdited By: Published: Sat, 29 Sep 2018 06:30 AM (IST)Updated: Sat, 29 Sep 2018 06:30 AM (IST)
सौरभ वन विहार अब रेत का टापू
सौरभ वन विहार अब रेत का टापू

दिन : शुक्रवार

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समय : दोपहर के तीन बजे

स्थान : सौरभ वन विहार

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हल्की बूंदाबांदी और सर्द हवाओं के बीच सौरभ वन विहार में हर वक्त रहने वाली चहल पहल शुक्रवार को गायब थी। जो मार्ग सौरभ वन विहार को मुख्य सड़क से जोड़ता था न्यूगल खड्ड बहाव में आकर बह गया था। न गेट दिखाई दे रहा था और न ही पार्किंग। हर तरफ पत्थर और रेत ही दिखाई दे रही थी। हां, वन विभाग का एक कर्मचारी गड्ढे खोद रहा था। पूछने पर बोला, कोई खड्ड पार करके न जाए इसके लिए नो एंट्री का बोर्ड लगाया जा रहा है। खड्ड पार करके सौरभ वन विहार पहुंचे तो सेना के टैंक को रखने के लिए बनाया गया फर्श भी आधा टूट चुका था।

पांच दिन पहले न्यूगल खड्ड के बदले बहाव ने कितनी तबाही मचाई होगी इसका अंदाजा वहां के मंजर को देखकर ही लगाया जा सकता था। गेट और उसके साथ बना कमरा कहीं नहीं दिख रहे थे। वहां घोड़े व अन्य आकृतियां पेड़ों में फंसी थीं। पर्ची काउंटर के साथ बने कमरे में करीब पांच फीट तक रेत भरी थी। जहां कभी पर्यटक अठखेलियां करते थे, उन पार्को में सिर्फ रेत ही नजर आ रही थी, मानों हम किसी समुद्री टापू पर आ गए हों। रास्तों का नामोनिशान नहीं था और हर जगह पत्थर, रेत और बहकर आई लकड़ी व झाड़ियां ही पड़ी थीं। पर्यटकों की पसंदीदा जगह बन चुकी मीन वाटिका का भवन दूर से तो देखने में ठीक लग रहा था, लेकिन जब पास जाकर देखा तो मंजर दर्द भरा था। पांच दिन भी कमरे में मरी मछलियां पड़ी थीं। मीन वाटिका के एक्वेरियम टूटे-फूटे पड़े थे। रेत पर रेड फिश पड़ी थी। जिन एक्वेरियम में मछलियां होती थी उसमें कीचड़ था। यहां एक पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी स्कूटी जो शायद पानी में बहकर आई थी, पड़ी थी। प्रशासनिक व्यवस्था भी केवल शायद मंत्रियों और अफसरों के आने जाने का ही इंतजार कर रही होगी। टूटे फूटे रास्ते में आगे बढ़े तो यह समझ नहीं आया कि झील किस तरफ है। न्यूगल ने जब अपना रास्ता बदला तो सौरभ वन विहार के बायीं ओर झील में चली गई। वहां एक कार भी पड़ी थी। दूर से झील के ऊपर बना पुल दिखा, यह स्थान तो ऐसे लग रहा था जैसे रेत और पत्थर का मैदान हो। झील में किश्तियां भी इधर उधर पड़ी थीं। इस स्थान पर घूमने के लिए कभी पर्यटक घंटों अपनी बारी का इंतजार करते थे। झील के साथ स्थित युवाओं के नहाने के लिए बनाए गए तालाब का तो नामोनिशान ही नहीं था। यहां से न्यूगल का रुख निचली ओर हुआ तो कारगिल शहीद पार्क में अधिक नुकसान नहीं हुआ है। हां, शहीद सौरभ कालिया की प्रतिमा और वहां बनी अन्य आकृतियां बच गई हैं।

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पुनस्र्थापित किया जाएगा सौरभ वन विहार : परमार

दोपहर साढ़े तीन बजे स्वास्थ्य मंत्री विपिन ¨सह परमार दल बल सहित सौरभ वन विहार पहुंचे। उन्होंने यहां बाढ़ से सुरक्षित बच गए एक कमरे का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों को सौरभ वन विहार में हुए नुकसान का आकलन शीघ्र रिपोर्ट तैयार करने को कहा। उन्होंने इसे पालमपुर पर्यटन के लिए बड़ा नुकसान माना, साथ ही इसके पुनस्र्थापित करने के लिए हरसंभव कदम उठाने की बात कही।

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साहब जी, हमारी कोई नहीं सुन रहा

जैसे ही स्वास्थ्य मंत्री सौरभ वन विहार से जाने लगे तो न्यूगल खड्ड की प्रलय का शिकार हुए ओम की पत्नी सोनू ने उन्हें रोका और कहा कि साहब जी, हमारी कोई नहीं सुन रहा। न्यूगल की प्रलय के कारण मकान का एक कमरा गिर गया और जिस गाड़ी से घर परिवार पल रहा था, वह भी इसकी चपेट में आकर बह गई। पति बीमार हो गए हैं, परिवार के भरण पोषण की ¨चता सता रही है। स्वास्थ्य मंत्री ने मौके पर ही नायब तहसीलदार को तुरंत राहत राशि और अन्य कार्रवाई करने के आदेश दिए।

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सौरभ वन विहार में हुए नुकसान का आकलन किया जाएगा। इस संबंध में कमेटियों के साथ बैठक की जाएगी। इसके बाद ही निर्णय लिया जाएगा कि करना क्या है और कैसे।

-बीएस यादव, डीएफओ वन विभाग।

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प्रस्तुति : मुकेश मेहरा


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