बर्ड फ्लू वायरस की जांच के लिए शोध शुरू
कौन सी प्रजाति के विदेशी प¨रदों में वर्ड फ्लू का वायरस होता है, इ
संवाद सहयोगी, धर्मशाला : कौन सी प्रजाति के विदेशी प¨रदों में बर्ड फ्लू का वायरस होता है, इसका खुलासा जल्द हो सकेगा। इस संबंध में नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसिज (एनसीबीएस) बंगलोर (कर्नाटका) में पीएचडी कर रही 27 वर्षीय रिसर्च स्कॉलर रूपसी खुराना हिमाचल के अंतरराष्ट्रीय रामसर वेटलैंड पौंग बांध में शोध कार्य में जुट गई है। कार्य को सफल बनाने में एनसीबीएस की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. उमा रामाकृष्णन रूपसी का मार्गदर्शन कर रही हैं। अभी तक पौंग बांध में आने वाले विदेशी प¨रदों की विभिन्न प्रजातियों के 250 प¨रदों के बेस्ट मैटीरियल के सैंपल रूपसी एकत्रित कर चुकी हैं। वहीं ऐसा पहली बार हो रहा है जब हिमाचल में बड़े स्तर पर विदेशी प¨रदों की प्रजातियों में बर्ड फ्लू के वायरस पाए जाते हैं को लेकर शोध किया जा रहा है। एनसीबीएस की ओर से शुरुआत की गई शोध का लाभ भविष्य में वाइल्ड लाइफ को मिलेगा, क्योंकि मनुष्य का स्वास्थ्य व वाइल्ड लाइफ भी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, ऐसा रूपसी खुराना का मार्गदर्शन कर रही एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. उमा रामाकृष्णन का मानना है।
वहीं इस शोध के बाद जब यह पता चलेगा कि विदेशी प¨रदों की कौन सी प्रजातियों के प¨रदों में बर्ड फ्लू का वायरस होता है, इस बारे में आम जनता को जागरूक किया जाएगा। रूपसी का कहना है कि विदेशी प¨रदे जिनकी आवाजाही एक स्थान से दूसरे स्थान पर जारी रहती है, उनमें वर्ड फ्लू का वायरस इनसोलवेंजा पाया जाता है। हालांकि इनकी क्षमता के अनुसार जब तक इसकी मात्रा अधिक नहीं होती है तब तक प¨रदों के लिए ये हानिकारक नहीं होता है। जब इसकी मात्रा अत्यधिक बढ़ जाती है तब प¨रदों को हानि पहुंचती हैं और उनकी मौत होनी शुरू हो जाती है। यही नहीं प¨रदों के वेस्ट मैटीरियल में भी वायरस की मात्रा पाई जाती है। इसीलिए शोध शुरू किया गया है। इससे ये पता चल पाएगा कि कौन सी प्रजाति के प¨रदों में ये वायरस पाया जाता है। हालांकि डक्स व गीज प्रजाति के प¨रदों में इनके पाए जाने की उम्मीद अधिक होती है, लेकिन शोध से ये पूर्णतया साफ हो जाएगा।
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पौंग बांध में हजारों प्रजातियों के लाख से भी ज्यादा विदेशी प¨रदें दस्तक देते हैं। इसलिए यहां शोध किया जा रहा है। अभी तक करीब 250 प¨रदों के वेस्ट मैटीरियल के सैंपल लिए गए हैं। प्रयास है कि सभी प्रजातियों के प¨रदों के सैंपल लिए जा सकें।
- रूपसी खुराना, रिसर्च स्कॉलर एनसीबीएस बेंगलुरु
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अभी तो एनसीबीएस बंगलोर ने इस दिशा में शोध शुरू किया है। इसके परिणाम आने में अभी समय लगेगा। स्वास्थ्य और वाइल्ड लाइफ दोनों ही विषय एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
-डॉ. उमा रामाकृष्णन, एसोसिएट प्रोफेसर, एनसीबीएस बेंगलुरु
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कौन से विदेशी प¨रदों की प्रजातियों में वर्ड फ्लू के वायरस पाए जाते हैं, इस पर एनसीबीएस की ओर से शोध कार्य किया जा रहा है। इसके लिए वाइल्ड लाइफ की ओर से भी सहयोग किया जाएगा।
-कृष्ण कुमार, डीएफओ वाइल्ड लाइफ