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हद है..डेढ़ साल से डीसी आवास में कचरा उठाने नहीं गए एमसी कर्मी

जिला ग्रामीण विकास अभिकरण डीआरडीए सभागार में मुख्य सचिव बीके अग्रवाल की अध्यक्षता में कूड़ा कचरा प्रबंधन को लेकर हुई समीक्षा बैठक में उपायुक्त कांगड़ा ने नगर निगम के अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को खूब लताड़ लगाई है। बैठक में जब डोर-टू-डोर कूड़ा एकत्र करने की समीक्षा शुरू हुई तो नगर निगम धर्मशाला के अधिकारियों से जब

By JagranEdited By: Published: Sat, 06 Apr 2019 07:30 PM (IST)Updated: Sun, 07 Apr 2019 06:45 AM (IST)
हद है..डेढ़ साल से डीसी आवास में कचरा उठाने नहीं गए एमसी कर्मी
हद है..डेढ़ साल से डीसी आवास में कचरा उठाने नहीं गए एमसी कर्मी

संवाद सहयोगी, धर्मशाला : शहर में सफाई की व्यवस्था कैसी है यह तो बाद की बात है, लेकिन कांगड़ा के मुखिया यानी उपायुक्त के आवास में कूड़ा उठाने नगर निगम के कर्मचारी पिछले डेढ़ साल से नहीं गए हैं। हद तो तब हो गई, जब उपायुक्त कांगड़ा को खुद सुलभ शौचालय के कर्मचारियों को कचरा ठिकाने लगाने के लिए बुलाना पड़ रहा है। यह पीड़ा खुद उपायुक्त कांगड़ा संदीप कुमार ने शनिवार को समीक्षा बैठक में बयां की। डीआरडीए के सभागार में मुख्य सचिव बीके अग्रवाल की अध्यक्षता में कूड़ा कचरा प्रबंधन को लेकर बैठक हुई। उपायुक्त कांगड़ा ने नगर निगम के अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को खूब लताड़ लगाई है। बैठक में जब डोर-टू-डोर कूड़ा एकत्र करने की समीक्षा हुई तो नगर निगम धर्मशाला के अधिकारियों से जानकारी ली जाने लगी, तभी महापौर देवेंद्र जग्गी ने बताया कि पिछले 10 दिन से ही यह व्यवस्था शुरू की गई है। इस पर उपायुक्त ने कहा कि डेढ़ साल से उनके ही आवास का कूड़ा नहीं उठाया गया। उन्हें स्वयं हर सप्ताह सुलभ शौचालय वालों को बुलाकर कूड़ा उठाना पड़ रहा है। उपायुक्त ने कहा कि नगर निगम प्लांटेड पिक्चर न जाहिर करे, बल्कि इस पर काम करे। धर्मशाला प्रदेश का दूसरा बड़ा शहर है और यहां नगर निगम होने के साथ-सथ स्मार्ट सिटी परियोजना भी चल रही है, लेकिन ऐसे में इस प्रकार की लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए। डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने के मामले में सबसे पहले नगर निकायों को सरकारी अधिकारियों की कॉलोनियों से शुरुआत करनी चाहिए, क्योंकि सरकारी अधिकारी इसमें सहयोग देते हैं। बैठक में दुकानदारों द्वारा सड़क किनारे कूड़ा फेंकने का मामला भी उजागर हुआ, लेकिन इस मामले में सभी कार्रवाई करने में अपने आप को असमर्थ इसलिए बता गए, क्योंकि चर्चा में यह सामने आया कि यहां तो यह ही कोई नहीं जानता है कि आखिर चालान करने के लिए कौन सा अधिकारी अधिकृत है। बैठक में हुई चर्चा के दौरान उपरोक्त समस्या कोतवाली बाजार की सामने आई। इस पर मुख्य सचिव बीके अग्रवाल ने कहा कि इस मामले में पार्षदों का सहयोग लिया जाए।

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