औद्योगिक क्षेत्रों में हर तीन माह बाद होगी पेयजल की जांच
जिला कुल्लू के आनी में जलोडी जोत में सुंरग का निर्माण होगा। इस क्षेत्र के लोगों की वर्षों से यह मांग भी रही है। इस सुरंग को बनाने के लिए औपचारिकताएं पूरी करने का काम शुरू कर दिया गया है। 4.20 किलोमीटर लंबी यह सुरंग बनाने का प्रस्ताव है। आगामी वर्ष के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए दो करोड़ रुपए की धनराशि का प्रावधान इसके लिए किया गया है। सुरंग के निर्माण के लिए 6.30
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों में भूमिगत पेयजल की जांच अब हर तीन माह बाद होगी। सरकार लोगों को स्वच्छ पानी देने के लिए गंभीर है और इसके लिए दिशा निर्देश जारी हैं। पहले इन क्षेत्रों में छह माह में एक बार जांच होती थी। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर शुक्रवार को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान इंदौरा की विधायक रीता धीमान के सवाल का जवाब दे रहे थे।
रीता धीमान ने इंदौरा हलके में फैक्ट्रियों से निकल रहे तेजाब से पेयजल दूषित होने का प्रश्न उठाया। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इंदौरा हलके में लगाई गई फैक्ट्रियों से निकल रहे तेजाब से पेयजल दूषित नहीं हो रहा है। उन्होंने आश्वस्त किया कि इंदौरा हलके में पेयजल को लेकर फिर से जांच एक माह के अंदर की जाएगी, ताकि किसी प्रकार का कोई संशय न रहे।
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केंद्र को भेजा जलोड़ी जोत सुरंग का प्राकलन
आनी के विधायक किशोरी लाल के जलोड़ी जोत सुरंग निर्माण को लेकर उठाए गए प्रश्न के जवाब में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सदन को बताया कि इस सुरंग को बनाने के लिए औपचारिकताएं पूरी करने का काम शुरू कर दिया गया है। इसे 4.20 किलोमीटर लंबा बनाने का प्रस्ताव है। अगले साल भूमि अधिग्रहण के लिए दो करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। सुरंग के निर्माण के लिए 6.3 करोड़ रुपये का प्राकलन केंद्र सरकार को भेजा गया है। इस सुरंग के बनने से आनी के लोगों को सुविधा प्राप्त होगी। पर्यटन की दृष्टि से भी यह सुरंग महत्वपूर्ण साबित होगी। आनी व बंजार हलके भी आपस में जुड़ेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां के लोगों के लिए रास्ता काफी दुर्गम है और सुरंग का निर्माण अत्यंत आवश्यक है। केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय से स्वीकृति मिलते ही इसका कार्य शुरू होगा।
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कुल्थी में जून 2019 में मिलेगी पुल की सुविधा
विधायक पवन काजल द्वारा पंचायत कुल्थी के टीका कोई-बलोल पर बनने वाले पुल की स्थिति पर मुख्यमंत्री ने बताया कि पुल का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। बैड लेवल तक निर्माण किया जा चुका है। पुल के डिजाइन में बदलाव के कारण कुछ देरी हुई है। विभाग की यह कोशिश है कि जून 2019 तक पुल बनकर तैयार हो जाए।