पुस्तकों में उकेरी जाएंगी हिमाचली बोलियां
हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी ने साहित्यकार कलाकार प्रलेखन योजना के अंतर्गत शुक्रवार को धर्मशाला में केन्द्रीय विश्वविद्यालय में साहित्य संगोष्ठी एवं लेखक संवाद व साक्षात्कार कार्यक्रम आयोजित किया।
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : हिमाचल अकादमी के सचिव डॉ. कर्म ¨सह ने कहा कि हिमाचल अकादमी द्वारा प्रदेश के मेले, पर्व, त्योहारों का फिल्मांकन किया जाता है। डॉ. पूर्णिमा चौहान, सचिव, भाषा संस्कृति की अगुवाई में अकादमी द्वारा सरकार के दृष्टिपत्र के अंतर्गत हिमाचली भाषा की विभिन्न बोलियों के संरक्षण के लिए बधारी, सिरमौरी, कुल्लवी तथा अन्य बोलियों की पुस्तिका तैयार की जा रही है। 'आज पुरानी राहों में' योजना के अंतर्गत कला एवं संस्कृति से संबंधित स्मृति चिन्ह तैयार किए जा रहे हैं और प्रदेश के वरिष्ठ कलाकारों तथा साहित्यकारों के योगदान तथा जीवन पर आधारित डॉक्यूमेंट्री तैयार की जा रही हैं। इस योजना में अब तक प्रख्यात लेखक, आरसी शर्मा तथा प्रो. केशव शर्मा की डॉक्यूमेंट्री बन चुकी है तथा प्रो. वेद प्रकाश अग्नि और डॉ. गौतम शर्मा व्यथित का धर्मशाला तथा नेरटी में फिल्मांकन किया जा रहा है। यह जानकारी उन्होंने हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी के तत्वाधान में केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला में साहित्य संगोष्ठी एवं लेखक संवाद व साक्षात्कार कार्यक्रम के दौरान दी। इस दौरान प्रो. वेद प्रकाश अग्नि ने हिमाचली परंपरा में सिद्ध एवं नाथ परंपरा, इतिहास तथा लोक मान्यताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने सिद्ध और नाथ परंपरा पर शोध कार्य किए जाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए इसका महत्व बताया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के लोक साहित्य में देव परंपरा का विशेष महत्व है। हिमाचल में पारंपरिक लोक गीतों, गाथाओं, सामाजिक धार्मिक रीति-रिवाजों, लोक आस्थाओं, देव गाथाओं, लोक संगीत, संस्कार गीतों में देवी-देवताओं के इतिहास, उनकी उत्पत्ति तथा देव संस्कृति से संबंधित अनेक धारणाएं प्रचलित हैं जिनके अध्ययन से सिद्ध तथा नाथ परंपरा को समझा जा सकता है।
गुरु गोरखनाथ, भतृहरी, बाबा बालक नाथ की मान्यता आज भी लोक साहित्य में विशेष स्थान रखती है। डॉ. ओम प्रकाश शर्मा ने प्रो. वेद प्रकाश अग्नि के जीवन तथा उनके साहित्यिक योगदान पर उनसे संवाद किया।
साहित्यकारों व कलाकारों के जीवन तथा योगदान पर डॉक्यूमेंट्री तैयार कर उनके योगदान तथा लोक साहित्य की परंपरा को संरक्षित किया जा रहा है। इस मौके पर डॉ. इंद्र ठाकुर, चेतराम, डॉ. विवेक शर्मा, डॉ. भाग ¨सह चौहान, विजय मोहन पुरी, भूमिदत्त शर्मा, डॉ. चंद्र, डॉ. आशा भंडारी ने भाग लिया।