मरीज मेडिकल केस से पहले इंसान : कोविंद
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा है कि एक चिकित्सक के लिए मरीज सिर्फ मेडिकल केस ही नहीं है।
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि चिकित्सक के लिए मरीज सिर्फ मेडिकल केस ही नहीं बल्कि इससे पहले वह इंसान भी है। उसमें संवेदना, भावनाएं व आशंकाएं भी होती है और हर कुछ सहने-सुनने की शक्ति भी होती है। इसलिए जरूरी है कि चिकित्सक उसे सही ढंग से परखे व उसका इलाज करे। इससे वह अपने मरीज का विश्वास भी जीतता है।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज टांडा (टीएमसी) के प्रथम दीक्षा समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे राष्ट्रपति ने कहा कि तकनीक व आधुनिक पद्धति के उपयोग के साथ-साथ सबको मानवीय पक्ष भी याद रखना होगा। इससे स्वास्थ्य सेवाओं में बदलाव भी आया और इसी आधुनिक तकनीक से युवा चिकित्सक भी आगे बढ़े।
कोविंद ने नसीहत दी कि चिकित्सक का पेशा केवल पैसा कमाने का साधन नहीं है बल्कि सेवा का मार्ग है। इसमें मानवीय संवेदनाओं को प्राथमिकता दी जाती है। राष्ट्रपति ने कहा कि देश के पहले परमवीर चक्र विजेता विजेता मेजर सोमनाथ व शहीद वजीर राम ¨सह पठानिया की पावन धरती के साथ हिमाचल देवभूमि भी है। हिमाचल आज देश के अन्य राज्यों के लिए मॉडल प्रदेश बनकर भी उभरा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज से साठ वर्ष पूर्व जब डा. राजेंद्र प्रसाद ने ग्रामीण क्षेत्र में इस चिकित्सा संस्था का उद्घाटन किया था तब देश में स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर बहुत पिछड़ा हुआ था, आज स्थिति इससे अलग है और अब देश में विदेश से लोग स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ लेने के लिए आते हैं। इसलिए इसे मेडिकल टूरिज्म का नाम भी दिया जाता है। देश में औसत आयु सीमा अब 69 वर्ष पहुंच चुकी है जोकि आजादी के समय मात्र 32 वर्ष थी। पोलियो व चेचक जैसी जानलेवा बीमारियों पर तक जीत पा चुके हैं। आयुष्मान भारत नाम से जन आरोग्य योजना बड़ी स्वास्थ्य सुरक्षा योजना है, जिससे करोड़ों परिवारों पर बीमारी के कारण पड़ने वाला आर्थिक बोझ भी कम होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि टीएमसी ने बहुत कम समय में तेजी से प्रगति की है और यहां पर पीजी के 17 कोर्स चल रहे हैं। खुशी है कि स्वर्ण पदक पाने वाले आठ विद्यार्थियों में से सात बेटियां हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि बेटियां विकसित भारत के निर्माण में भी योगदान देंगी। उन्होने मेडिकल के छात्रों, उनके अभिभावकों व शिक्षकों के उज्ज्वल भविष्य की कामना भी की।
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प्रदेश के प्राकृतिक सौंदर्य व सत्कार ने छोड़ी गहरी छाप
बकौल कोविंद प्रदेश के प्राकृतिक सौंदर्य व यहां के अतिथि सत्कार ने हमेशा उन पर गहरी छाप छोड़ी है। वर्ष 1974 में पहली बार हिमाचल प्रदेश आए थे और तब से लेकर आज तक की प्रत्येक यात्रा ने नई स्फूर्ति का संचार किया है। उन्होंने कहा कि कवियों, कलाकारों व शक्ति के उपासकों, भगवान बुद्ध व कांगड़ा की प्रसिद्ध चित्रकला यहां ही विकसित हुई थी जोकि आज पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।