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कागजी सुरक्षा के भरोसे हवाबाजी का खेल

कांगड़ा के धर्मशाला व बीड़ बिलिंग में हो रही पैराग्लाइंडिंग में सुरक्षा के इंतजाम केवल यहां होने वाली प्रतियोगिताओं तक ही सीमित हैं।

By BabitaEdited By: Published: Fri, 22 Jun 2018 09:35 AM (IST)Updated: Fri, 22 Jun 2018 09:35 AM (IST)
कागजी सुरक्षा के भरोसे हवाबाजी का खेल
कागजी सुरक्षा के भरोसे हवाबाजी का खेल

धर्मशाला, जेएनएन। पैराग्लाइंडिंग के सहारे पर्यटकों को आसमान की सैर करवा रही व्यवस्था कागजी सुरक्षा के भरोसे है। जिला कांगड़ा के धर्मशाला व बीड़ बिलिंग में हो रही पैराग्लाइंडिंग में सुरक्षा के इंतजाम केवल यहां होने वाली प्रतियोगिताओं तक ही सीमित हैं। अन्य दिनों में यहां रेस्क्यू उस व्यवस्था के सहारे है, जो मौजूद ही नहीं है। न तो कहीं हेलीकाप्टर का इंतजाम है और न ही लैंडिंग या टेक ऑफ साइट में एंबुलेंस का प्रबंध। 

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प्राथमिक चिकित्सा तक का प्रबंध भी सरकार के नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों के भरोसे है, जो अवकाश वाले दिन बंद रहते हैं। इन दोनों स्थानों में कोई हादसा होता है तो भगवान ही बचा सकता है। बीड़ बिलिंग व धर्मशाला में रोजाना सैकड़ों पैराग्लाइडर की टेंडम उड़ाने होती हैं। दोनों ही स्थानों में 160 के करीब पायलटों को इसके लिए लाइसेंस प्रदान किए गए हैं। एयरो स्पोट्र्स एक्ट के तहत इन पायलटों को तभी लाइसेंस दिया जा सकता है, जब वे किसी एयरो स्पोट्र्स एक्ट के तहत पंजीकृत ट्रेवल एजेंसी से जुड़े हों, लेकिन जिला कांगड़ा

में पर्यटन विभाग के पास वर्तमान में ऐसी कोई एजेंसी पंजीकृत नहीं है।

 

ऐसे में बिलिंग में एक प्री वल्र्ड कप व एक वल्र्ड कप का आयोजन करवा  चुकी  बिलिंग  पैराग्लाइंडिंग  एसोसिएशन जो एयरो स्पोट्र्स क्लब से जुड़ी हुई है, उसके माध्यम से पायलटों को टेंडम उड़ानों के लिए लाइसेंस दिया जाता रहा है। इसका प्रावधान एयरो स्पोट्र्स एक्ट में करवाया गया था। इसमें पायलटों को उक्त एसोसिएशन कुछ फीस लेकर आपात स्थिति में रेस्क्यू का आश्वासन देती है, लेकिन इस एसोसिएशन के पास भी मौके पर फिलहाल न कोई हेलीकाप्टर है और न ही आज तक कोई एंबुलेंस है। ऐसे में सारी व्यवस्था महज कागजों तक सीमित है। यही कारण है कि इस बार पर्यटन विभाग के पास लाइसेंस के लिए पहुंचे करीब 90 आवेदनों में अधिकांश पायलटों ने रेस्क्यू के लिए उक्त एसोसिएशन का रेस्क्यू के लिए जारी होने वाला पत्र नहीं लगाया है। पायलटों का साफ कहना है कि जब सुरक्षा ही नहीं है, तो वह ऐसे कागज लगाकर खुद को भी गुमराह क्यों करें। 

जो आवेदन आए हैं, उनकी जांच की जा रही है। जो रेस्क्यू की बात है उसे देखा जा रहा है। 

डॉ. मधु चौधरी, उपनिदेशक, पर्यटन विभाग। 

 

चुनौती बने लाइसेंस

पर्यटन विभाग के लिए लाइसेंस जारी करना चुनौती बन गया है। अधिकांश पायलटों ने आवेदनों में रेस्क्यू की जानकारी नहीं दी है और न ही किसी एयरो स्पोट्र्स एजेंसी का हवाला दिया है। इंश्योरेंस कंपनी के माध्यम से हो व्यवस्था जिला भाजपा पर्यटन प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सतीश अबरोल का कहना है कि एयरो स्पोट्र्स एक्ट में संशोधन के लिए सरकार से आग्रह किया गया है। जो व्यवस्था कांग्रेस के शासन से चल रही है वह पायलटों को मंजूर नहीं है। क्योंकि जिस एजेंसी की रेस्क्यू के लिए बात की जा रही है, उसके बाद यहां कोई प्रबंध नहीं है। हमारी मांग है कि सरकार यहां प्रतियोगिता के समय इंश्योरेंस सुविधा का प्रबंध करें, ताकि इंश्योरेंस कंपनी से जरूरत के समया हेली एंबुलेंस तुरंत उपलब्ध हो सके। 


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