नूरपुर स्कूल बस हादसा: बच्चों की जान पर भारी पड़े सड़क के जख्म
एडीएम कांगड़ा मस्तराम भारद्वाज की अगुवाई में हुई मजिस्ट्रेटी जांच की रिपोर्ट में कहीं भी बस चालक को नींद आने या बच्चों का शोर मचाने का कोई उल्लेख नहीं है
धर्मशाला, जेएनएन। नूरपुर स्कूल बस हादसे में बच्चों की जान पर सड़क के जख्म भारी पड़े थे। हादसे की जांच के लिए बनाई गई टीम ने आखिरकार यह माना है कि जिस स्थान पर यह हादसा हुआ है, वहां सड़क की हालत ठीक नहीं थी। यहां एक ऐसा ब्लैक स्पॉट था, जहां लोक निर्माण विभाग ने न तो कोई क्रैश बैरियर लगाया था और न ही कोई क्रेट लगाया गया था। यहां मिट्टी भी काफी कमजोर थी तथा यहां भूस्खलन भी हो रहा था, ऐसे में यहां सुरक्षा के उपाय होने चाहिए थे।
एडीएम कांगड़ा मस्तराम भारद्वाज की अगुवाई में हुई मजिस्ट्रेटी जांच की रिपोर्ट में कहीं भी बस चालक को नींद आने या बच्चों का शोर मचाने का कोई उल्लेख नहीं है। वीरवार को जिला प्रशासन ने सरकारी प्रवक्ता के माध्यम से इस रिपोर्ट के मुख्य अंश जारी किए हैं। इसमें साफ कहा गया है कि हादसा काफी अलग परिस्थितियों में हुआ है। हालांकि रिपोर्ट में यह कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है कि हादसे के दौरान बस बायीं साइड से दायीं तरफ कैसे गई, लेकिन इस बात का जिक्र जरूर है कि बस में सवार एक बच्चे के अनुसार आगे से कोई मोटरसाइकिल आया था, जो गलत दिशा में था, उसे बचाने के चक्कर में शायद बस दायीं तरफ गई हो और यह हादसा पेश आया हो। लेकिन इस संबंध में कोई पुख्ता गवाह न होने के कारण अभी जांच में रखा गया है।
जांच में माना गया है कि सड़क में दायीं तरफ बस को नियंत्रित करने में जगह काफी कमी थी। रिपोर्ट में चालक पर कहीं भी जिम्मेवारी नहीं डाली गई है, रिपोर्ट में चालक को लेकर आई कई बातों का जिक्र है, इसमें कहा गया है कि चालक का न कभी चालान हुआ है और न ही गांव के लोगों या अन्य किसी ने उसे तेज रफ्तारी से ड्राइविंग करते हुए देखा था।
दैनिक जागरण ने बताई थी सड़क की दास्तां
नूरपुर क्षेत्र की मलकवाल-ठेहड़ सड़क की खस्ताहालत का मामला ‘दैनिक जागरण’ ने प्रमुखता से उठाया था।सड़क पर बने ब्लैकस्पॉट ही हादसे का कारण बने हैं। अब जांच रिपोर्ट में भी हादसे की वजह सड़क का खराब होना बताया गया है। इस सड़क पर बने ब्लैक स्पॉट को दूर करने के लिए लोक निर्माण विभाग ने भी जहमत नहीं उठाई। यही वजह है कि मासूम बच्चों को जान से हाथ धोना पड़ा।
क्या था मामला
कांगड़ा जिला के नूरपुर उपमंडल के चेली गांव में नौ अप्रैल को छुट्टी के बाद घर छोड़ने जा रही स्कूल बस गहरी खाई में गिर गई थी। इस हादसे में 24 बच्चों समेत कुल 28 लोगों की जान गई थी। हादसे के बाद सरकार ने इसकी मजिस्ट्रेटी जांच का आदेश दिया था।
मजिस्ट्रेटी जांच रिपोर्ट के मुख्य अंश:
-जहां हादसा हुआ था, वहां सड़क की हालत ठीक नहीं थी। यहां एक ब्लैक स्पॉट था। यहां भूस्खलन हुआ था, लेकिन यहां कोई भी क्रैश बैरियर, पैरापिट या क्रेट नहीं लगाया गया था। इस सड़क की हालत काफी खराब थी। जो हादसे का एक बड़ा कारण रहा।
-चालक लापरवाही से वाहन चलाता हो, ऐसा कहीं भी नहीं पाया गया है। चालक का कभी भी तेज गति से वाहन चलाने या शराब पीकर वाहन चलाने का चालान नहीं हुआ था। रिपोर्ट में कहीं भी चालक के बच्चों के शोर मचाने से नियंत्रण खोने या नींद आने का जिक्र नहीं है।
-हादसे के कारणों में किसी तरह की तकनीकी खराबी भी नहीं पाई गई है।
-बस हादसे में सबसे पहले बाहर आए एक दस साल के बच्चे द्वारा मोटरसाइकिल आगे से आने का जिक्र है, लेकिन किसी अन्य चश्मदीद गवाह न होने को लेकर अभी इस बात पर संशय ही बना हुआ है।
-बस बायीं ओर से दायीं तरफ कैसे गई, यह भी रिपोर्ट में अभी सामने नहीं आया है।