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अतिक्रमण पी गया कूहलों का पानी

कूहलों को किसानों की लाईफ लाईन कहा जाता है। कूहलों से लाए गए पानी से किसान अपनी फसलों की सिचाई करते है। लिहाजा

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Apr 2019 07:49 PM (IST)Updated: Mon, 08 Apr 2019 06:35 AM (IST)
अतिक्रमण पी गया कूहलों का पानी
अतिक्रमण पी गया कूहलों का पानी

शारदा आनंद गौतम, पालमपुर

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कूहलों को किसानों की लाइफ लाइन कहा जाता है और इनके माध्यम से ही खेतों की सिंचाई की जाती है। उपमंडल पालमपुर के चंगर क्षेत्र की हजारों कनाल भूमि को कूहलों से सींचा जाता है और इनमें पानी न्यूगल खडड से आता है। न्यूगल के बाद कूहलें सबसे पहले ग्राम पंचायत आईमा में प्रवेश करती हैं और इसके बाद ही शनै: शनै: आगे बढ़ती हैं। खैरा, गुग्गा सलोह और थुरल के नौण तक इनके माध्यम से सिंचाई की जाती है। पहले इन कूहलों को बड़े सलीके से रखा जाता था। बाकायदा हिसाब रखा जाता था कि किस भाग में इन्हें संवारने की जिम्मेदारी किसकी है। करीब आठ के दशक तक बढि़या तरीके से इनका प्रबंधन होता रहा मगर इसके बाद जो कहानी है वह वर्तमान व्यवस्था से लेकर राजनीतिकऔर अफसरशाही पर प्रहार करती है। अब गंदगी और अतिक्रमण के कारण कूहलें सूखने की कगार पर हैं। अब हालत यह है कि कूहलों में पुराने कपड़ों को फेंका जाता है। साथ ही मरे हुए जानवरों को भी इनमें फेंकने से लोग परहेज नहीं करते हैं। साथ ही कूहलों का निरीक्षण भी नहीं किया जाता है। परिणामस्वरूप अब कूहलें थुरल तक नहीं पहुंचती हैं और रास्ते में ही दम तोड़ जाती हैं।

आईमा से निकलती हैं चार कूहलें

ग्राम पंचायत आईमा से चार कूहलें निकलती हैं। सबसे लंबी है कृपाल चंद कूहल, जो थुरल के नौण तक जाती है। इसके बाद मियां फतेह चंद कूहल गुग्गा सलोह तक जाती है। दाई दी कूहल का खैरा तक का सफर रहता है। आखिर में दीवान चंद कूहल है। यह भी खैरा क्षेत्र में खेतों की सिंचाई करती थी। सात के दशक में दीना और छपो कोहली ने ऐसी व्यवस्था बनाई थी कि किसानों को हर समय पानी मिलता था और घराट भी नियमित चलते थे। इतना ही नहीं रेलवे विभाग ने भी कूहलों का रखरखाव बेहतर तरीके से किया, क्योंकि भाप के ईजन से गाड़ी चलती थी और उसके लिए पानी चाहिए था। पानी कूहलों के माध्यम से ही मिलता था।

-यशपाल शर्मा, सेवानिवृत्त उपनिदेशक पहले इन कूहलों में बहुत अधिक पानी आता था। पानी के साथ बड़ी मात्रा में रेत-बजरी भी आती थी और इन्हें नियमित रूप से निकाला जाता था। अब गंदगी के कारण कूहलें बदहाल हो गई हैं।

-संजीव कुमार कूहलों को संवारने की जरूरत है। वर्तमान में इनकी हालत दयनीय है। आईमा पंचायत स्वच्छता के लिए प्रदेश में ही नहीं बल्कि देशभर में विख्यात है। कूहलें जिस प्रकार से गंदगी से भरी हैं, वह व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है।

सतीश भारद्वाज सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि वह पंचायतों की जिम्मेदारी तय कर दे। जिन-जिन पंचायतों से कूहलों को ले जाया गया है वहां पर पंचायत की सीमा पर बेरीकेड लगाए जाएं। स्वच्छता के लिए पंचायत ने बेहतर काम किया है पर कूहलों में जिस प्रकार से गंदगी डाली जा रही है, वह चिंतनीय है।

-संजीव राणा, प्रधान ग्राम पंचायत आईमा कूहलों का रखरखाव किया जा रहा है। पंचायतों को गंदगी डालने वालों पर जुर्माने का अधिकार है। लिहाजा पंचायत गंदगी फैलाने वालों पर कार्रवाई करे।

-संजय ठाकुर, अधिशाषी अभियंता, आइपीएच विभाग कूहलों के रखरखाव को विधायक प्राथमिकता में डाला है। मुख्यमंत्री से वित्तीय मदद के लिए भी कहा था। कूहलों के रखरखाव के लिए जागरूकता भी बहुत आवश्यक है। जिन स्थानों से कूहलों को लाया जा रहा है, उन स्रोतों की देखभाल भी जरूरी है। यहां पर तो स्रोतों ही बदहाल हैं। सरकार कूहलों को देख ही नहीं रही है।

आशीष बुटेल, विधायक पालमपुर


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