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याचिका खारिज, अब बिछेगी चुनावी बिसात

कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक के अध्यक्ष जगदीश सिपेहिया की न्यायालय में दायर याचिका के खारिज होने के बाद अब एक बार फिर से बैंक के अध्यक्ष पद के लिए चुनावी बिसात बिछेगी। भाजपा सरकार द्वारा सत्ता में आने के बाद बैंक के निदेशक मंडल को भंग कर नए निदेशक मंडल के लिए चुनावी प्रक्रिया को भी शुरू कर दिया गया था। लेकिन बैंक के अध्यक्ष द्वारा मामला न्यायालय में ले जाने के चलते बैंक के निदेशक मंडल सहित अध्यक्ष पद का मामला भी लटक गया

By JagranEdited By: Published: Sat, 27 Oct 2018 07:02 PM (IST)Updated: Sat, 27 Oct 2018 07:02 PM (IST)
याचिका खारिज, अब बिछेगी चुनावी बिसात
याचिका खारिज, अब बिछेगी चुनावी बिसात

दिनेश कटोच, धर्मशाला

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कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक (केसीसीबी) के अध्यक्ष जगदीश सिपहिया की याचिका कोर्ट में खारिज होने के बाद अब अध्यक्ष पद के लिए फिर से बिसात बिछेगी। भाजपा सरकार ने सत्ता में आने के बाद निदेशक मंडल को भंगकर नए निदेशक मंडल के लिए चुनावी प्रक्रिया शुरू की थी लेकिन अध्यक्ष की ओर से मामला न्यायालय में ले जाने के कारण यह अधर में पड़ गई थी। अब याचिका खारिज होने के बाद निदेशक मंडल सहित अध्यक्ष पद के लिए राजनीतिक सरगर्मियां तेज होने लगी हैं। भले ही अब तक निदेशक मंडल सदस्यों के चुनाव के लिए तिथि की घोषणा नहीं हुई है लेकिन कई तलबगार गोटियां फिट करने में शुरू हो गए हैं। केसीसी प्रदेश का बड़ा सहकारी बैंक है और इसके निदेशक मंडल सहित अध्यक्ष पद के लिए भाजपा से कई नेता लाइन में हैं। केसीसीबी प्रदेश के पांच जिलों में हैं और इसकी 217 शाखाएं हैं। इन जिलों से कई ऐसे तलबगार भी हैं जो कि निदेशक मंडल में जगह पाने के लिए आतुर हैं। सरकार की यही कोशिश होगी कि ऐसे लोगों को निदेशक मंडल में शामिल किया जाए, जो कि पार्टी के वफादार हैं। भले ही निदेशक मंडल का चयन चुनाव प्रक्रिया से होगा, लेकिन इसमें सरकार की भूमिका अहम रहेगी। अभी निदेशक मंडल का चुनाव होना है लेकिन सरकार की किरकिरी इसलिए भी हो रही है कि क्योंकि अभी तक एक भी स्थायी एमडी बैंक को नहीं दे पाई है। जिला कांगड़ा में इस समय नूरपुर से राजीव भारद्वाज व पालमपुर से रणजीत राणा अध्यक्ष पद की दौड़ में हैं। निदेशक मंडल चुनाव में ही यह पता चल पाएगा कि कौन-कौन चेहरे सामने आएंगे और उनमें से ही एक अध्यक्ष भी बनेगा।

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ऐसे होता है चुनाव

केसीसीबी में निदेशक मंडल सदस्यों की संख्या 22 है और इनमें से 16 सहकारी सभाओं से चुनकर आते हैं। तीन को सरकार मनोनीत करती है और तीन अन्यों में बैंक का एमडी, सहकारिता विभाग के उपपंजीयक व एक स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक का सदस्य होता है। ये सभी अध्यक्ष पद के लिए मतदान करते हैं।

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'बैंक की प्रपोजल के बाद सहकारिता विभाग अब दोबारा से बैंक निदेशक मंडल चुनाव के लिए तिथि घोषित करेगा। जैसे ही बैंक प्रबंधन से प्रपोजल आएगी, चुनाव के लिए तिथि घोषित कर दी जाएगी।'

-पीसी अकेला, अतिरिक्त पंजीयक सहकारिता विभाग

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यह हुआ था सारा घटनाक्रम

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने केसीसीबी का निदेशक मंडल यानी बीओडी भंग किया था और डीसी कांगड़ा को प्रशासक नियुक्त किया है। घोटालों के लिए सुर्खियों में आए केसीसीबी का मामला विधानसभा के बजट सत्र में गूंजा था। इस दौरान बैंक के एनपीए के अलावा विदेश दौरों और लोन बांटने में आरबीआइ व नाबार्ड के नियमों को दरकिनार करने की बात कही थी। सत्र की समाप्ति के बाद सरकार ने बैंक के निदेशक मंडल को भंग करने की अधिसूचना जारी की थी। इसके बाद रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव सोसायटी ने पहले 6 अप्रैल व दोबारा 19 जुलाई को बैंक अध्यक्ष सहित सभी निदेशकों को निलंबित कर दिया था। 6 अप्रैल के आदेश को 19 जुलाई को तकनीकी कारण बताते हुए वापस ले लिया था और उसी दिन नए आदेश पारित कर फिर से उन्हें निलंबित कर दिया था। बैंक के अध्यक्ष जगदीश सिपहिया ने इस बाबत न्यायालय में याचिका दायर की और अब उसे खारिज कर दिया गया है।


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