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नौतोड़ ने तोड़ा पक्ष-विपक्ष का जोड़

मंगलवार को सदन में दिखा पक्ष व विपक्ष का जोड़ बुधवार को जनजातिय क्षेत्रों के लोगों के नौतोड़ के मामले ने तोड़ दिया। सत्र के तीसरे दिन प्रश्नकाल से पूर्व ही इस मामले को लेकर सदन गर्माया और शोर शराबे के बीच विपक्ष सदन से वाकआऊट कर गया। विपक्ष के शोर शराबे का कारण नौतोड़ पर चर्चा के लिए समय मिलना नहीं रहा। नौतोड़ को लेकर सत्ता पक्ष व विपक्ष में आपसी नोंकझोंक भी हुई। मामले को किन्नौर के विधायक जगत ¨सह नेगी द्वारा सदन में चर्चा के लिए उठाया गया लेकिन विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इस मामले के न्यायालय में

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Dec 2018 08:41 PM (IST)Updated: Wed, 12 Dec 2018 08:41 PM (IST)
नौतोड़ ने तोड़ा पक्ष-विपक्ष का जोड़
नौतोड़ ने तोड़ा पक्ष-विपक्ष का जोड़

जागरण संवाददाता, धर्मशाला : मंगलवार को सदन में दिखा पक्ष व विपक्ष का जोड़ बुधवार को जनजातीय क्षेत्रों के लोगों के लिए नौतोड़ भूमि के मामले ने तोड़ दिया। सत्र के तीसरे दिन प्रश्नकाल से पूर्व ही इस मामले पर सदन गर्माया और शोरशराबे के बीच विपक्ष ने वाकआउट कर दिया। इसकी वजह नौतोड़ भूमि पर चर्चा के लिए समय न मिलना बताया जा रहा है। इस मामले में सत्ता पक्ष व विपक्ष में नोकझोंक भी हुई। मामले को किन्नौर के विधायक जगत ¨सह नेगी ने चर्चा के लिए उठाया लेकिन विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने कोर्ट का हवाला देकर चर्चा से मना कर दिया। इस पर विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। विपक्ष के शोरगुल के बीच सदन की कार्यवाही को आगे बढ़ाते हुए जैसे ही प्रश्नकाल शुरू हुआ तो विपक्ष ने तेवर और तीखे किए व नारेबाजी शुरू कर दी। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष ने नारेबाजी को सदन की कार्यवाही से बाहर किया। विपक्ष का कहना था कि उन्हें सदन में बात रखने का मौका नहीं दिया जा रहा है। शीत सत्र के तीन दिन के भीतर विपक्ष अब तक दो बार वाकआउट कर चुका है। हर बार विपक्ष सरकार के समक्ष यही सवाल उठा रहा है कि उन्हें डराया-धमकाया जा रहा है और सदन में बात रखने का मौका नहीं दिया जा रहा है। तर्क दिया कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो विपक्ष सरकार को सहयोग नहीं करेगा।

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क्या है नौतोड़ भूमि का मामला

नौतोड़ भूमि जनजातीय क्षेत्रों के लोगों को दी जानी है। प्रत्येक परिवार को 20 बीघा भूमि सरकार देगी। जनजातीय क्षेत्रों में यह भूमि पहले कुछ लोगों को दी गई थी, लेकिन उसके बाद यह मामला न्यायालय में चला गया और लोग भूमि से वंचित रह गए। पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में यह भूमि देने के लिए कदम उठाए गए लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ गया। जनजातीय क्षेत्रों किन्नौर, लाहुल-स्पीति, पांगी और भरमौर के लोगों को यह भूमि मिलनी थी। भूमि के आवंटन के लिए मामला कोर्ट में चल रहा है।


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