तेज रफ्तार जुनून नहीं ..मनोरोग
युवाओं को संभालने की जरूरत है और सड़क सुरक्षा को देखते हुए पहली कक्षा से ही सड़क सुरक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।
धर्मशाला, जेएनएन। यदि आपका बच्चा या आपके पड़ोस में कोई बाइक या गाड़ी तेज रफ्तार से चलाता हो तो संभल जाएं.. यह कोई जुनून नहीं बल्कि मानसिक रोग की निशानी हो सकती है। प्रदेश में ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं जिनमें तेज रफ्तार से हादसे हो रहे हैं और कई युवकों की जान जा रही है। मनोचिकित्सकों की मानें तो ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं और इसके लिए एक कारण जिम्मेदार है और वह है मानसिक उत्तेजना। इस तरह से युवकों में अगर कोई संकेत सामने आ रहे हैं तो उन्हें आराम और काउंस¨लग की जरूरत है। ऐसे युवकों को न अपनी जान की परवाह होती है और न ही दूसरों की जिंदगी से कोई लेना-देना होता है। मंगलवार को धर्मशाला में जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में भी हादसों पर काफी चर्चा हुई। इस दौरान यही बात सामने आई कि युवाओं को संभालने की जरूरत है और सड़क सुरक्षा को देखते हुए पहली कक्षा से ही सड़क सुरक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।
'मनोविज्ञान में अगर देखा जाए तो इसका मुख्य कारण सकारात्मक ऊर्जा का सही प्रयोग नहीं करना है। इसे जुनून नहीं माना जा सकता है और न ही कोई गुस्सा। यह केवल एक ऐसा कार्य है, जिसमें युवा बिना सोचे समझे ऊर्जा को ऐसे क्षेत्र में लगा रहे हैं, जहां केवल नुकसान ही होगा। इसमें सबसे अधिक वे युवा शामिल होते हैं जो न पढ़ने-लिखने में आगे बढ़ पाते हैं और न ही खेलकूद या अन्य अच्छी गतिविधियों में। ऐसे में उनके अभिभावकों की जिम्मेदारी अहम हो जाती है।
- डॉ. मोनिका मक्कड़, विभागाध्यक्ष, मनोविज्ञान विभाग, धर्मशाला कॉलेज।
तेज रफ्तार में गाड़ी चलाना मानसिक उत्तेजना है। ऐसे लोग अपनी और दूसरों की जान की परवाह किए बिना मस्ती के लिए तेज रफ्तार से गाड़ी चलाते हैं। किशोर अवस्था और नशे के आदी लोगों में यह प्रवृत्ति ज्यादा देखी जाती है। ऐसे लोगों का उपचार करवाना जरूरी है और इसके लिए योग, ध्यान और काउंस¨लग की जरूरत है। ऐसे लोग उपचार नहीं करवाते हैं। इन्हें पता होता है कि तेज रफ्तार स्वयं के साथ-साथ दूसरों के जीवन के लिए खतराक है फिर भी आनंद की अनुभूति के लिए तेज रफ्तार से वाहन दौड़ाते हैं।
-डॉ. रवि शर्मा, मनोरोग विशेषज्ञ व प्रिंसिपल आइजीएमसी शिमला
वाहन तेज रफ्तार से चलाना वेबकूफी है। इसे एक बीमारी भी कहा जा सकता है। इसका कोई लाभ नहीं होता बल्कि इससे अपने आपको व परिवार को ही नुकसान पहुंचाया जाता है। तेज रफ्तार के कारण दूसरे आदमी का पूरा परिवार उजाड़ जाता है। ऐसे युवकों पर पुलिस कार्रवाई भी करती है। जब तक अभिभावक ऐसे युवकों को जागरूक नहीं करेंगे तब तक इसमें सफलता नहीं मिल सकती है।
-संतोष पटियाल, जिला पुलिस प्रमुख, कांगड़ा। .
ये बरतें सावधानियां
-तेज रफ्तार में बाइक या स्कूटी न चलाएं।
- हमेशा हेलमेट पहनें।
- यातायात नियमों का पालन करें।
- बाइक चलाते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें।
- 5 माह में 107 की मौत जिला कांगड़ा में पांच माह में सड़क हादसों में 107 लोगों की मौत हुई है। इसमें आधे हादसे ऐसे हैं, जिनमें तेज रफ्तार के कारण ही जान गई है।
कुछ ऐसे मामले भी हैं जिसमें कुछ लोगों के घर ही उजड़ने की कगार पर पहुंच गए हैं। 2018 में पहली जनवरी से 31 मई तक 223 सड़क हादसों में 107 लोगों की मौत हुई है जबकि 337 घायल हुए हैं। सर्वाधिक हादसे नूरपुर थाना क्षेत्र में हुए हैं। यहां 24 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं। धर्मशाला में 23 हादसे हुए हैं। अकेले नूरपुर में ही उक्त दुर्घटनाओं में 39 लोग काल का ग्रास बने और 32 घायल हुए हैं। धर्मशाला में सड़क हादसों में दो की मृत्यु हुई है तो 33 घायल हुए हैं। बात इंदौरा की करें तो यहां अब तक हुई नौ सड़क दुर्घटनाओं में सात की मौत तो तीन लोग घायल हुए हैं।