शैक्षणिक संस्थानों पर रहेगी उच्चतर शिक्षा परिषद की नजर
शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए प्रदेश में उच्चतर शिक्षा परिषद का गठन किया जाएगा। परिषद प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों पर नजर रखेगी और शिक्षा में सुधार के लिए जरूरी सिफारिशें भी प्रदेश सरकार से करेगी। शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने सदन हायर एजुकेशन काउंसिल बिल-201
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए प्रदेश में उच्चतर शिक्षा परिषद का गठन किया जाएगा। परिषद प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों पर नजर रखेगी और शिक्षा में सुधार के लिए जरूरी सिफारिशें भी प्रदेश सरकार से करेगी। शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने सदन हायर एजुकेशन काउंसिल बिल-2018 रखा, जिस पर सदन में चर्चा होगी। परिषद की चयन समिति में मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री समेत विपक्ष ने नेता भी शामिल होंगे। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को अपने स्तर पर प्रदेश की शिक्षा नीति बनाने के निर्देश जारी किए हैं। इसी कड़ी में गुजरात, पंजाब, मिजोरम, गोवा सहित कई राज्यों में काउंसिल गठित की गई है, तो कई राज्यों में काम चल रहा है। परिषद के गठन के बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत जारी बजट को भी विवि प्रशासन अपने स्तर पर नहीं खर्च कर पाएगी। काउंसिल के गठन के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत प्रदेश को बजट लाने का प्रावधान रहेगा। साथ ही इसके खर्च पर भी काउंसिल की नजर रहेगी।
इससे पहले विवि अनुदान आयोग और राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत बजट लाने और खर्च करने का काम सीधा विवि प्रशासन के पास होता था। वहीं परिषद का मुख्यालय शिमला में होगा।
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इन संस्थानों पर नजर रखेगी परिषद
10 से 15 सदस्यों वाली उच्चतर शिक्षा परिषद के तहत शिक्षण संस्थानों में बोर्ड ऑफ गवर्नेंस और प्रोजेक्ट मॉनीट¨रग यूनिट गठित होंगी। स्वास्थ्य शिक्षा, इंजीनिय¨रग शिक्षा, नर्सिंग शिक्षा, आर्किटेक्चर शिक्षा, विधि शिक्षा और तकनीकी शिक्षा देने वाले शिक्षण संस्थानों को भी काउंसिल के दायरे में लाया जाएगा।
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ऐसे होगा गठन
-उच्चतर शिक्षा परिषद का अध्यक्ष शिक्षाविद् होगा, जबकि उच्चतर शिक्षा सचिव उपाध्यक्ष होंगे।
-राज्य सरकार के दो विवि कुलपति, केंद्रीय विवि कुलपति, निजी विवि के दो कुलपति, वित सचिव, तकनीकी शिक्षा सचिव, उच्चतर शिक्षा निदेशक इसके सरकारी सदस्य व रूसा के राज्य परियोजना निदेशक परिषद के सदस्य सचिव।
-गैर सरकारी सदस्यों में कला, विज्ञान, सिविल सोसायटी, प्रौद्योगिकी या कौशल विकास क्षेत्र में राज्य सरकार द्वारा नामित पांच सदस्य।
-उद्योगों से दो विशेषज्ञ, महाविद्यालय की तीन प्राचार्य, मानव संसाधन मंत्रालय के एक सदस्य, उच्चतर शिक्षा में योजना और नीति बनाने की अनुभव रखने वाले एक गैर सरकारी सदस्य होंगे।
-सदस्य का कार्यकाल छह वर्ष की अवधि के लिए होगा, इसके एक तिहाई सदस्य दो वर्ष बाद सेवानिवृत हो जाएंगे।
-प्रथम अध्यक्ष राज्य सरकार नियुक्त करेगी।
-अध्यक्ष नियुक्ति के लिए समिति की संस्तुतियां देने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में तीन सदस्यों की सलाहकार समिति बनेगी।
-सलाहकार समिति में दो सदस्य शिक्षाविद होंगे, एक का चयन राज्य सरकारी व दूसरे का चयन परिषद करेगी।
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-कौन होंगे समिति में
मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री और नेता प्रतिपक्ष चयन समिति के शामिल होंगे। समिति सलाहकार समिति की सिफारिश पर अध्यक्ष का चयन करेगी, लेकिन अध्यक्ष का कार्यकाल पांच साल के लिए होगा। अध्यक्ष राज्य सरकार द्वारा हटाया जा सकेगा। यह उसी सूरत में हटाया जा सकेगा, यदि उनका कार्य या आचरण सतोषजनक नहीं पाया जाता है। सरकार किसी भी सदस्य को हटा सकेगी, लेकिन वह किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो या परिषद से इजाजत लिए बिना तीन बैठकों में गैर हाजिर रहा हो।
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परिषद के कार्य
-उच्चतर शिक्षा के लिए भावी योजना, वार्षिक योजना और बजट पर संस्तुतियां देना।
-राज्य के संस्थानों की योजना बनाने और कियांवन करने में सहायता।
-सरकारी स्तर पर और संस्थान की स्तर पर समय समय पर उच्चतर शिक्षा संबंधित डाटा एकत्रित करना।
-परीक्षा प्रणाली में सुधार सुझाव।
-पाठ्यक्रम को समकालीन और सुसंगत बनाना।
-विवि के लिए नियम व अधिनियम बनाना।
-परिषद लेखों की रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रस्तुत करेगी।