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धर्मशाला में हाईकोर्ट की सर्किट बैंच का लोगों को मिलेगा लाभ : शांता

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की ओर से धर्मशाला में प्रदेश उच्च न्यायालय का सर्किट बैंच खोलने के संबंधत में सहमित जताने पर सांसद शांता कुमार ने प्रसन्नता जाहिर की है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 31 Aug 2018 09:00 AM (IST)Updated: Fri, 31 Aug 2018 09:00 AM (IST)
धर्मशाला में हाईकोर्ट की सर्किट बैंच का लोगों को मिलेगा लाभ : शांता

जागरण संवाददाता, पालमपुर : धर्मशाला में हाईकोर्ट की सर्किट बैंच से लोगों को लाभ मिलेगा। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा इस पर सहमति जताने पर सांसद शांता कुमार ने प्रसन्नता जाहिर की है। यहां जारी बयान में शांता कुमार ने कहा कि यह मांग अरसे से उठती रही है। चंबा व कांगड़ा जिला के लोगों के लिए शिमला से बहुत दूर है। चंबा तक के लोगों को शिमला उच्च न्यायालय में जाने के लिए बहुत अधिक असुविधा होती है। इसलिए धर्मशाला में सर्किट बैंच की मांग उचित है। शांता कुमार ने कहा है कि इस संबध में उन्होंने भारत सरकार में भी बात की है। वर्तमान सरकार के कानून मंत्री से विस्तार से उनकी बात हुई थी। उनकी इस संबध में पूरी सहमति है। अब हिमाचल सरकार भी इसके लिए पूरी तरह से सहमत है। अब मामला हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय पर निर्भर करता है। उन्हें पूरी आशा है कि हिमाचल सरकार इस संबध में उच्च न्यायालय से बात करेगी। उन्होंने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय से विशेष अनुरोध किया है कि कांगड़ा-चंबा की भौगोलिक आवश्यकता और आम लोगों की असुविधा का ध्यान रखकर वह इस बहुत पुरानी मांग के लिए अपनी सहमति दे।

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क्या है सर्किट

सर्किट बैंच प्रदेश उच्च न्यायालय का ही हिस्सा होता है। जिस स्थान पर इसको खोला जाना होता है वहां पर हाईकोर्ट के जज केसों की सुनवाई करते हैं तथा उसके लिए क्षेत्र भी बांट दिया जाता है। यह हाईकोर्ट तय करता है कि सर्किट बैंच कब बैठेगा और कितने समय के लिए। इसको बैठाने का उद्देश्य लोगों को घर द्वार पर न्याय उपलब्ध करवाना होता है।

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सर्किट बैंच के लाभ

पालमपुर बार काउंसिल के अध्यक्ष मिलाप चंद राणा और सचिव शब्बीर ने बताया कि सर्किट बैंच यदि धर्मशाला में खुलता है तो इसका लाभ लोगों को होगा, क्योंकि जिन क्षेत्रों को इसमें शामिल किया जाएगा वहां के लोगों को शिमला के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। खासकर कांगड़ा-चंबा के लिए यह बड़ी राहत होगी। सर्किट बैंच के खुलने से जहां हाईकोर्ट पर भी काम का बोझ कम होगा, जिन क्षेत्रों को इसमें शामिल किया जाएगा वहां केस धर्मशाला में ही हल होंगे, लोगों पर शिमला जाने, ठहरने और नया वकील आदि करने के खर्च भी बचेगा, हाईकोर्ट में होने वाली रिट व पीआइएल धर्मशाला भी हो सकेंगी। स्थानीय वकीलों को भी हाईकोर्ट में काम करने का मौका मिलेगा।


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