Move to Jagran APP

फाइलों में ही हरे-भरे प्राकृतिक जलस्रोत

ग्रामीण विकास विभाग भी पंचायतों व महिला मंडलों के माध्यम से प्राकृतिक जलस्रोतों को फाइलों में ही हरा-भरा रखने का प्रयास कर रहा है।

By BabitaEdited By: Published: Thu, 15 Mar 2018 10:01 AM (IST)Updated: Thu, 15 Mar 2018 10:01 AM (IST)
फाइलों में ही हरे-भरे प्राकृतिक जलस्रोत
फाइलों में ही हरे-भरे प्राकृतिक जलस्रोत

धर्मशाला, जेएनएन। जिला कांगड़ा के लोगों के हल्क तर करने वाले प्राकृतिक जलस्रोत आज उपेक्षा का शिकार हैं। उपेक्षा भी ऐसी हो रही है कि इनका अस्तित्व तक मिटने लगा है। दम तोड़ रहे इन प्राकृतिक जलस्रोतों को मरहम लगाने का जिम्मा पंचायतों को सौंप रखा है। सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग ने तो इनके संरक्षण से पल्ला झाड़ लिया है। ग्रामीण विकास विभाग को इनके संरक्षण की जिम्मेदारी सौंपी गई है। विभाग भी पंचायतों व महिला मंडलों के माध्यम से प्राकृतिक जलस्रोतों को फाइलों में ही हरा-भरा

loksabha election banner

रखने का प्रयास कर रहा है।

हालत यह है कि जिला के अधिकांश स्थानों में कुएं, तालाब व बावडिय़ां अंतिम सांसें गिन रहे हैं। कुछ स्थानों पर पानी की कमी के कारण इन्हें नगर निकाय व समाजसेवी संस्थाओं के सहारे चलाया जा रहा है, लेकिन कभी अपनी चकाचौंध दिखाने वाले यह स्रोत आज अनदेखी का शिकार हो गए हैं। 

नूरपुर में अब भी प्राकृतिक स्रोतों को सलाम

शहर में आज तक भी प्राकृतिक जलस्रोतों को सहेज कर रखा जा रहा है। मेन बाजार में चौधरियां दा खूह आज भी राहगीरों की प्यास बुझा रहा है। गर्मी के मौसम में रोजाना सैकड़ों राहगीर इसी कुएं का शीतल जल पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं। चौधरियां दा खूह नूरपुर के मेन बाजार में है तथा कुएं के ऊपर दुर्गा माता का भव्य मंदिर बना हुआ है। कुएं की सफाई व रखरखाव स्थानीय लोगों द्वारा किया जाता है। गर्मी के मौसम में तो लोग एक व्यक्ति को पानी पिलाने के लिए तैनात करते हैं। वहीं, नूरपुर के विशेषर तालाब को भी नगर परिषद समय-समय पर साफ करवाती है। नगर परिषद ने कुछ समय पहले तालाब में बतखें डाली थीं, आज यह बतखें भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी आरएस वर्मा ने बताया कि नगर परिषद तालाब की सफाई पर विशेष ध्यान रखती है। 

धर्मशाला के रामनगर और श्यामनगर में एक दिन छोड़कर मिलेगा पानी जिला मुख्यालय धर्मशाला के रामनगर में पेयजल संकट गहरा गया है। इस स्थान को पेयजल की आपूर्ति भागसूनाग के वाटरफॉल के समीप स्थित जलस्रोत से होती है, लेकिन इस स्थान में मुख्य स्रोत ही ड्राई होने लगा है। ऐसे में धर्मशाला के एक बड़े क्षेत्र में पेयजल संकट के आसार गहराने लगे हैं। पेयजल संकट को देखते हुए आइपीएच विभाग ने धर्मशाला के रामनगर व श्यामनगर में एक दिन छोड़कर पानी की आपूर्ति करने का निर्णय लिया है। इसके तहत शिव विहार रामनगर, एक जोत कॉलोनी, जोधाजंग डेयरी के आसपास, कबूतर मोहल्ला और नरेश राणा के घर के पास वीरवार, शनिवार, सोमवार व बुधवार को सप्लाई होगी। जबकि गमरू, खनियारा रोड, महाजन क्लीनिक की तरफ, शुक्ला नर्र्सिंग होम की तरफ शुक्रवार, रविवार व मंगलवार को सप्लाई होगी।

यह जानकारी सहायक अभियंता संदीप चौधरी ने दी। उन्होंने बताया कि इस समस्या का समाधान करने का प्रयास किया जा रहा है।

प्राकृतिक जलस्रोतों का नहीं कोई आंकड़ा

जिला में कुल कितने तालाब, कुएं व बावडिय़ां हैं, इसका अभी तक कोई डाटा नहीं है। कुछ डाटा पंचायतों के पास भी है, लेकिन इसमें भी अधूरी जानकारी है। कुछ प्राकृतिक जलस्रोत तो अब लगभग समाप्त होने के कगार पर पहुंच चुके हैं। पपरोला के खूह बाजार का कुआं भी बुझा रहा प्यास पपरोला का दशकों पुराना कुआं अब भी लोगों की प्यास बुझा रहा है। इस कुएं के कारण यहां एक बाजार का नाम भी खूह बाजार पड़ा हुआ है। यहां लोग अपने स्तर पर कुएं की सफाई करते हैं। बाजार के चेतन सूद व कपिल सूद बताते हैं कि इस कुएं पर अगर सरकार कुछ बजट दे तो पपरोला के एक बड़े हिस्से को पेयजल उपलब्ध करवा सकता है।

क्या कहते हैं पाठक

प्राकृतिक जलस्रोतों के संरक्षण का जिम्मा अब आइपीएच विभाग के पास नहीं है। फिर भी विभाग जहां भी ऐसे स्रोतों के संरक्षण में कुछ मदद हो सकती हो, वहां सहयोग करता है। जहां-जहां पेयजल संकट के आसार बन रहे हैं, वहां समस्या का समाधान किया जा रहा है।

-राजेश बख्शी, मुख्य अभियंता, आइपीएच, नॉर्थ जोन।

प्राकृतिक पेयजल स्रोतों को फिर से सहेजना होगा। घर में 24 घंटे पानी उपलब्धता की मांग बेशकविभाग व सरकारों से हो रही है, लेकिन अपने कर्तव्य को निभाना होगा और हर आदमी को पानी

बचाने के लिए प्राकृतिक स्रोतों की तरफ लौटना होगा। 

-प्रेम सागर, कांगड़ा

प्राकृतिक स्रोत कुएं व बावड़ी को फिर से संवारने के लिए कदम उठाए जाएं तो यह सभी केलिए बेहतर होगा। जहां-जहां पानी की बावडिय़ां हैं वहां पर समय रहते उनकी क्लोरीनेशन होती रहनी चाहिए। पानी को टेस्ट करने के बाद उसका प्रयोग पेयजल के लिए लाना चाहिए। 

-देवराज, कांगड़ा

पेयजल स्रोतों को बचाने के लिए विभाग को भी जागना चाहिए और प्रशासन को इन्हें सहेजने के लिए पहल करनी चाहिए। इसमें जनभागीदारी के साथ प्राकृतिक स्रोतों को सहेजना होगा। 

-गुलशन कुमार, कांगड़ा

पूर्व में बुजुर्गों ने पेयजल स्रोतों को दूषित होने से बचाने के लिए प्राकृतिक स्रोतों को धर्म व संस्कृति के साथ जोड़ा था। इससे प्राकृतिक स्रोत दूषित नहीं होते थे, लेकिन अब धर्म के नाम पर भी यह स्रोत सुरक्षित नहीं

रहे हैं। 

-धीरज, कांगड़ा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.