स्वच्छता में बेमिसाल, तकनीक भी कमाल
मुकेश मेहरा, पालमपुर गांव किस तरह से आधुनिकता की ओर बढ़ रहे हैं इसका उदाहरण ह
मुकेश मेहरा, पालमपुर
गांव किस तरह से आधुनिकता की ओर बढ़ रहे हैं इसका उदाहरण है पालमपुर उपमंडल की आईमा पंचायत। यह प्रदेश की एकमात्र ऐसी पंचायत है जहां कहीं भी कचरा नजर नहीं आता है। हर घर में कूड़ादान व शौचालय हैं। पंचायत की अपनी वेबसाइट है तो कार्यालय भी वाईफाई सुविधा से लैस है। बड़ी बात यह है कि प्रदेश उच्च न्यायालय ने भी आईमा की तर्ज पर राज्य के अन्य क्षेत्रों में कूड़ा संयंत्र लगाने का आदेश दिया है।
प्रधान संजीव राणा की सोच और जज्बे का ही नतीजा है कि वीआइपी कहलाने वाली यह पंचायत सच में अपने नाम को सार्थक कर रही है। वर्तमान में पंचायतें कचरे के निष्पादन के लिए अन्य जगहों पर निर्भर रहती हैं लेकिन आईमा ने कूड़ा संयंत्र लगाकर न केवल आय का स्त्रोत बनाया, बल्कि प्रदेश के लिए भी रोल मॉडल बनी है। विकास की बात करें तो पंचायत की अपनी वेबसाइट है। हर गली पक्की है और उनमें टाइलें डली हुई हैं। गलियों में कचरा न बिखरे इसके लिए गीले व सूखे कचरे को घर में रखने के लिए दो अलग-अलग कूड़ादान भी पंचायत की ओर से मुहैया करवाए गए हैं। रोज सुबह गाड़ी पंचायत क्षेत्र का दौरा कर 2200 घरों से कचरा एकत्रित करती है। इस कार्य के लिए प्रति परिवार मात्र 42 रुपये महीने के लिए जाते हैं। पंचायत में होने वाले हर विकास कार्यो, योजनाओं और बजट की जानकारी पंचायत की वेबसाइट पर रहती है। प्रदेश की अन्य किसी पंचायत में अभी तक यह सुविधा नहीं है।
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कूड़ा संयंत्र में सीसीटीवी कैमरे
पंचायत कार्यालय व आसपास का क्षेत्र वाईफाई से लैस है। साथ ही जहां कूड़ा संयंत्र बनाया गया है वहां भी वाईफाई व सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। आधुनिक तकनीक के कारण यहां होने वाली हर गतिविधि पंचायत प्रधान के मोबाइल फोन पर नजर आती है।
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300 पंचायत प्रतिनिधियों से हो चुकी है बैठक
प्रधान संजीव राणा बताते हैं कि हाइकोर्ट की ओर से आईमा पंचायत को रोल मॉडल बनाने के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कर्मचारियों ने यहां आकर जांच की तथा इसे क्लीयरेंस दी है। इसके बाद इस मॉडल को पूरे प्रदेश में लागू करने का आदेश हुआ है। बकौल संजीव राणा, गत दिनों उनकी बैठक 300 पंचायत प्रतिनिधियों के साथ शिमला में हुई है।
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'मैंने प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान से प्रभावित होकर पंचायत में कूड़ा संयंत्र स्थापित किया है। इसे लगाने में तीन माह लगे हैं। आज पंचायत के सारे कचरे का निष्पादन होता है। पंचायतवासियों को हर सुविधा मिले इसके लिए प्रयासरत हूं।'
-संजीव राणा, प्रधान आईमा पंचायत