गाड़ी अपनी जगह, पर साइकिल का अलग मजा
धर्मशाल में एमटीबी साइकिल रैली के विजेता चैंपियनों ने अपने मन की बात बताई।
मुनीष गारिया, धर्मशाला
ध्वनि व वातावरण प्रदूषण से परे साइकिल की सवारी का अपना ही मजा है, अनुभव हो तो स्पीड की खूब चलती है और छोटी बड़ी सभी राहों में सरपट दौड़ती है साइकिल। न पक्की सड़क की जरूरत न कोई बड़े रास्ते की, बस पगडंडी से होते हुए हर कोई आसानी से अपनी राह तक पहुंच सकता है। हालांकि आज की दौड़ में गाड़ी होना जरूरी है, क्योंकि यह समय की मांग है। लेकिन गाड़ी अपनी जगह है पर साइकिल की सवारी का अपना अलग अंदाज व मजा है।
यह कहना है कि हीरो एमटीबी हिमालया साइकिल चैंपियनशिप के महिला व पुरुष वर्ग के चैंपियनों का। पुरुष वर्ग के विजेता नॉर्वे के थॉमस इंग्रसजर्ड कहते हैं कि वह दूसरी बार चैंपियनशिप में भाग ले रहे हैं। पिछली बार जब वह दूसरे स्थान पर रहे थे तो उन्हें बुरा नहीं लगा था क्योंकि यहां दिग्गज साइकलिस्टों की भरमार होती है। इस बार जिस उम्मीद के साथ उतरे थे तो पहले ही दिन से ही जीत व ट्रेक की बीच चुनौतियां दिखने लगी थी, क्योंकि यहां हर रोज कभी नदी किनारे का सफर, कभी जंगल का रास्ता इन सभी परिस्थितियों में जीत के लिए हर रोज हर हाल में सबसे आगे रहना था। यहां आते वक्त जितना जोश थी उससे ज्यादा की जरूरत थी। बतौर साइकलिस्ट चैंपियनशिप एवं इसके नौ दिन आज के जीवन में सबसे कठिन दिन रहे हैं और उनकी ही कठोर रही है रेस। लेकिन जीत को परचम लहराना था तो कठिन परिस्थितियों में भी लगातार बढ़ता रहा।
वहीं महिला वर्ग के चार साल से जीत का ताज बांधे इंग्लैंड की कैथरीन विलियमसन इस बार प्रतिभागिता को देखकर हैरान थीं। वह तीन साल से चैंपियनशिप की विजेता हैं। लेकिन इस बार महिला वर्ग के अंतरराष्ट्रीय साइकिल रेस के चैंपियनों की भरमार थी। इससे मनोबल टूट भी रहा था। क्योंकि चैंपियनों के सामने अच्छा प्रदर्शन करना आसान नहीं होता। लेकिन जिस तरह का ट्रैक बनाया जाता है, अलग पड़ावों को देखकर मन वैसे ही मंत्रमुग्ध हो जाता है। भारत जैसा महौल पूरे विश्व में कहीं नहीं है।
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यह रहा रूट
पहले दिन भेखाल्टी से गढ़कुफ्फर, दूसरे दिन गढ़कुफ्फर से स्वाड़, तीसरे दिन स्वाड़ से गाढ़ागुशानी, चौथे दिन गाढ़ागुशानी से बगसैड़, पांचवें दिन बगसैड़ से कमांद, छठे दिन कमांद से ज¨टगरी, सातवें दिन ज¨टगरी से पालमपुर व नौवें दिन पालमपुर से धर्मशाला था।