दलाईलामा के नामित उत्तराधिकारी को मान्यता नहीं देगा चीन
चीन ने दलाई लामा के इस दावे को खारिज कर दिया है कि उनका उत्तराधिकारी भारत से हो सकता है। चीन सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि दलाईलामा द्वारा नामित व्यक्ति का सम्मान नहीं किया जाएगा। और तिब्बती बौद्ध धर्म के अगले आध्यात्मिक नेता को कम्युनिस्ट सरकार द्वारा अनुमोदित किया जाएगा। दलाईलामा ने सोमवार को एक समाचार एजेंसी से बातचीत में यह कहा था कि यह संभव है कि जब वह मर जाए तो उनका अवतार भारत में पाया जा सकता है और चीन द्वा
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : चीन ने तिब्बती धर्मगुरु के उस दावे को खारिज कर दिया है, जिसमें दलाईलामा ने अपना उत्तराधिकारी भारत से होने की बात कही थी। चीन सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि दलाईलामा की ओर से नामित व्यक्ति को चीन मान्यता नहीं देगा। साथ ही कहा है कि अगले आध्यात्मिक नेता को कम्युनिस्ट सरकार की ओर से अनुमोदित किया जाएगा।
तिब्बती धर्मगुरु ने सोमवार को एक समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा था कि उनका उत्तराधिकारी भारत से हो सकता है और चीन की ओर से नामित किसी अन्य व्यक्ति का सम्मान नहीं किया जाएगा। चीन सरकार ने दलाईलामा के इस वक्तव्य को सिरे से खारिज कर दिया है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने बीजिंग में कहा कि पुनर्जन्म तिब्बती बौद्ध धर्म का अनोखा तरीका है। इसमें कर्मकांड और व्यवस्थाएं तय हैं। चीन सरकार के पास धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता की नीति है। उन्होंने कहा, हम तिब्बती बौद्ध धर्म के ऐसे तरीकों का सम्मान करते हैं और उनकी रक्षा भी करते हैं। दलाईलामा तिब्बती लोगों के आध्यात्मिक नेताओं को दी गई उपाधि है। यह उपाधि उन लोगों को दी जाती है जिन्हें गेलुग स्कूल का सबसे महत्वपूर्ण भिक्षु माना जाता है। गेंग शुआंग ने कहा कि 1935 में जन्मे वर्तमान दलाईलामा की पहचान उनके पूर्ववर्ती के पुनर्जन्म के रूप में की गई थी और उस समय वह सिर्फ दो साल के थे। 14वें दलाईलामा को धार्मिक अनुष्ठानों में भी मान्यता दी गई है और सरकार ने भी अनुमोदित किया था, उन्हें पुनर्जन्म के लिए राष्ट्रीय नियमों, विनियमों और धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करना चाहिए। दलाईलामा का तिब्बत से संबंध है। चीन धर्म को नहीं मानता है और धर्म का उल्लंघन करने वाले को दलाईलामा के उत्तराधिकारी से क्या मतलब है। यह चीन की जनता नहीं बल्कि वहां के नेता कह रहे हैं। धर्म को न मानने वाले चीन की बातों पर क्या विश्व विश्वास करेगा। यह सभी जानते हैं कि तिब्बत के मसले पर चीन का क्या रुख हमेशा से रहा है।
-आचार्य यशी फुंचोक, उपसभापति
निर्वासित तिब्बत संसद