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एचआरटीसी बढ़ा रहा लोगों का आत्मविश्वास

हिमाचल पथ परिवहन निगम सड़क पर बसें दौड़ाकर लोगों में आत्मविश्वास बढ़ाने का प्रयास कर रहा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Jun 2020 08:48 PM (IST)Updated: Thu, 04 Jun 2020 08:48 PM (IST)
एचआरटीसी बढ़ा रहा लोगों का आत्मविश्वास
एचआरटीसी बढ़ा रहा लोगों का आत्मविश्वास

नीरज व्यास, धर्मशाला

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हिमाचल पथ परिवहन निगम सड़क पर बसें दौड़ाकर लोगों में आत्मविश्वास बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन और क‌र्फ्यू के चलते लोग अपने घरो में थे और महामारी से भयभीत भी हैं। ऐसे में जब अनलॉक-1 तक पहुंचे तो सरकार के आदेश पर एचआरटीसी ने अपनी बसें उतार दी हैं। सीधे-सीधे चालीस फीसद घाटा तो यह है ही, साथ ही यात्रियों की कमी के कारण भी यह घाटा ज्यादा हो रहा है। निजी बस ऑपरेटरों की बसें भी सड़कों पर बहुत कम नजर आ रही हैं। ज्यादातर निजी बस ऑपरेटरों ने घाटे से बचने के लिए अपनी गाड़ियों को सड़कों पर ही नहीं उतारा है।

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आय में जमीन-आसमान का अंतर

सामान्य दिनों में एचआरटीसी के एक डिपो की आय की तुलना अनलॉक-1 के दिनों से नहीं कर सकते। जमीन व आसमान का अंतर है और दैनिक घाटे को जोड़ा जाए तो यह लाखों से करोड़ों में पहुंच जाएगा। ऐसा कब तक चल सकेगा, इसको लेकर एचआरटीसी के प्रबंधक व अधिकारी भी यही मान रहे हैं कि कब तक और कितने दिनों तक घाटा उठा सकेंगे। धर्मशाला डिपो की बात करें तो सामान्य दिनों में सात लाख रुपये के करीब कैश प्रतिदिन जमा होता था। इसमें बुकिग काउंटर कैश अलग से था, लेकिन वर्तमान में रूट से लौट रहे परिचालक जो कैश जमा करवा रहे हैं वह सात हजार रुपये को भी मुश्किल से छू पा रहा है।

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किस रूट पर चली कितनी बसें

धर्मशाला मंडल के तहत 313 बसें सड़क पर दौड़ी। इनमें धर्मशाला डिपो में 40, नगरोटा बगवां 54, पालमपुर में 66, बैजनाथ व जोगेंद्रनगर 81 पठानकोट में 33 रूटों पर बसें दौड़ी हैं। देहरा डिपो के तहत 39 रूटों पर ही बस सेवाएं मिली हैं।

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सरकार के निर्देश पर बसें चल रही हैं, लोगों की सेवा के लिए बसें चलाई जा रही हैं। ात्रियों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जा रहा है।

-पंकज चड्ढा, क्षेत्रीय प्रबंधक, एचआरटीसी।

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कोरोना महामारी से डरे लोगों में आत्मविश्वास जगाने के लिए सरकार ने बसें चलाई हैं। जो कमाई पहले होती थी वह अब नहीं हो सकती। लोगों को सहूलियत दी गई है।

-डॉ. विशाल शर्मा, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी, कांगड़ा।

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हम तो कोशिश कर रहे हैं। 160 बसें निजी चली हैं। रूटों पर सवारियां कम हैं। चालक-परिचालक व ऑपरेटर कोरोना योद्धा के रूप में काम कर रहे हैं।

हैप्पी अवस्थी, जिलाध्यक्ष, कांगड़ा प्राइवेट बस ऑपरेटर यूनियन।

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एक सप्ताह तक बसें नहीं चलाएंगे। अभी बसें चलाना घाटे का सौदा है। यात्री ही नहीं हैं। जो बसे चल रही हैं उनमें भी यात्री बहुत कम हैं।

रवि दत्त शर्मा, जिलाध्यक्ष कांगड़ा निजी बस ऑपरेटर वेलफेयर सोसायटी।


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