पाठक ही नहीं रहेगा तो लिखेंगे किसके लिए
केएलबी डीएवी कॉलेज पालमपुर में ऑथर्स गिल्ड्स ऑफ हिमाचल प्रदेश का साहित्यिक कार्यक्रम हुआ।
संवाद सहयोगी, पालमपुर : केएलबी डीएवी कॉलेज पालमपुर में ऑथर्स गिल्ड्स ऑफ हिमाचल प्रदेश की ओर से रविवार को साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। दो सत्रों में आयोजित इस कार्यक्रम के प्रथम सत्र में तीन लेखकों हितैषी, त्रिलोक मेहरा व राजेंद्र राजन को स्मृतिचिह्न देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में चंद्ररेखा, प्रोफेसर इंदु शर्मा व माधुरी सूद ने 'हम क्यों लिखते हैं', विषय पर अपने शोध पत्र पढ़े। तीन शोध पत्रों के बाद हेमराज कौशिक, ¨प्रसिपल सतीश चंद्र कौड़ा व सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी केआर भारती ने टिप्पणियां प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि ऐसा महसूस किया गया है कि साहित्यकार पाठकों से बराबर कट रहा है। यह ¨चता व्यक्त की गई कि यदि पाठक ही नहीं रहेगा तो लेखक लिखेगा किसके लिए। कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. सुशील कुमार फुल ने आशा व्यक्त की कि लेखक अपने ढंग से रचना करते रहेंगे। इनका कोई मकसद तो होना ही चाहिए। कोई भी रचना समाज के लिए उपयोगी होगी, तभी उसकी प्रासंगिकता बनती है। मुख्य अतिथि ने ऑथर्स गिल्ड्स ऑफ हिमाचल प्रदेश की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि ये लोग शमशी से पालमपुर में आकर आयोजन करते हैं, यह बहुत ही प्रशंसा का विषय है। इस अवसर पर राममूर्ति वासुदेव प्रशांत की पुस्तक 'हिमाचल की रोचक लोक कथाएं' का भी विमोचन किया गया। प्रथम सत्र के प्रारंभ में जयदेव विद्रोही ने कार्यक्रमों एवं उद्देश्यों की रूपरेखा प्रस्तुत की तथा आगंतुकों का अभिवादन एवं स्वागत किया। रमेश मस्ताना ने मंच का संचालन किया। पीसी कटोच, सरोज परमार, सुदर्शन भाटिया, चंद्ररेखा, आरके शर्मा आदि ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।
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कविताओं में उठाए सामाजिक मुद्दे
प्रदेश के विभिन्न भागों से आए कवियों ने कार्यक्रम के दूसरे सत्र में बहुभाषी कविताओं के माध्यम से सामाजिक मुद्दों को उठाया। सरोज परमार, प्रज्ञा मिश्रा, चंद्ररेखा, विभा नाजली, सरला चंबियाल, डॉ. ओम, सुमन सिक्का, पुनीत पटियाल, इंदु भारद्वाज, सुनीता ठाकुर, आशा शर्मा, आशु फुल्ल, सुरेश भारद्वाज निराश, डोलमा, शारदा आनंद गौतम, अर¨वद ठाकुर, सुमन शेखर, कल्याण जग्गी, सुदर्शना भटेडि़या, सूरत ठाकुर, सतपाल, चित्रांशी ऋषि, जयदेव विद्रोही, उत्तरा ठाकुर आदि कवियों और कवियित्रियों ने मंडी, कुल्लू, हमीरपुर और कांगड़ा से आकर विभिन्न सामाजिक विषयों पर अपनी रचनाएं प्रस्तुत की।