बिना मैच करवाए रेबड़ियों की तरह बांटे मेडल
धर्मशाला में हुई तीसरी नेशनल इंटर स्टेट चैंपियनशिप के आयोजकों
संवाद सहयोगी, धर्मशाला : धर्मशाला में हुई तीसरी नेशनल इंटर स्टेट चैंपियनशिप के आयोजकों ने प्रतिभागियों को पदक रेबड़ियों की तरह बांट दिए। बिना मैच खिलाए ही आयोजकों ने अपने ही स्तर पर विभिन्न खेलों की टीमों को विजेता व उपविजेता घोषित कर दिया। कुछेक ने तो सिफारिश लगाकर अपने आधे रुपये वापस ले लिए, परंतु अधिकतर खिलाड़ियों को नजरअंदाज किया गया।
राष्ट्रस्तरीय प्रतियोगिता में बड़ी बात तो यह रही है कि आयोजकों ने क्रिकेट का एक भी मैच नहीं करवाया और खुद ही पंजाब की टीम को विजेता और मध्य प्रदेश की टीम को उपविजेता घोषित कर दिया व रजत पदक लेने के लिए कह दिया। लेकिन मध्य प्रदेश की टीम ने बिना मैच खेले कोई भी मेडल लेने से साफ शब्दों में इन्कार कर दिया।
मध्य प्रदेश क्रिकेट टीम के कोच योगेंद्र कुमार, योगन प्रताप व खिलाड़ियों में सत्यम ¨सह चौहान, आर्यन नामदेव, तरुण अग्रवाल, अनुज तिवारी, ईशु सक्सेना, श्याम पाठक, अनिल शुक्ला ने बताया कि उन्हें आयोजकों ने न तो खाने की व्यवस्था की और न ही रहने का कोई ठिकाना था। वह अपने स्तर पर ही पिछले तीन दिनों से निजी होटल में रह रहे हैं। मंगलवार तक आयोजकों ने उनका कोई मैच नहीं करवाया। बुधवार को आयोजकों ने कहा कि वह उपविजेता के मेडल ले लें।
वहीं टीम के सदस्य योगेंद्र कुमार गौतम ने बताया कि उनके पंजीकरण के नाम पर 7000 रुपये फीस ली है, जिसमें हवाला दिया गया था कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम धर्मशाला में मैच खिलाया जाएगा, लेकिन यहां आकर कहीं भी मैच नहीं खिलाया है। आयोजकों की इस स्थिति को लेकर देश की 10 में से सात टीमें पहले ही जा चुकी थीं। मंगलवार तक आयोजकों ने मुश्किल से तीन टीमों को रोककर रखा था।
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सचिन का फोटो दिखाकर ललचाया
यहां कथित तौर पर होने वाली क्रिकेट प्रतियोगिता में आयोजकों ने क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर का नाम भी 'खराब' किया है। प्रचार पोस्टर में सचिन तेंदुलकर का फोटो लगाकर युवाओं को ललचाया। यही नहीं, मध्य प्रदेश के खिलाड़ियों का कहना है कि आवेदन की अंतिम तिथि पहली जुलाई थी, लेकिन इसके बाद ही आयोजकों ने सीधे एंट्री करवाई है। पहली जुलाई के बाद खिलाड़ियों से पांच-पांच हजार रुपये वसूल किए हैं।
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नहीं होगी प्रमाणपत्रों की मान्यता
आयोजकों द्वारा प्रतिभागियों को दिए जा रहे प्रमाणपत्रों की मान्यता नहीं है। न तो इस प्रमाणपत्र से खिलाड़ियों को नौकरी में स्पोर्ट्स कोटा मिलेगा और न ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिलेगा, क्योंकि बोर्ड से जारी होने वाले प्रमाणपत्र किसी फेडरेशन से संबंधित ही नहीं हैं।
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आवेदन शुल्क निर्धारित था और बोर्ड ने उसने ही पैसे लिए हैं। आरोप झूठे हैं, बाकी मौसम को देखकर मैचों का आयोजन किया गया है।
-नरेश मलिक, सचिव खेल विकास बोर्ड।