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जिले में 38 बच्चे अति कुपोषित

जिला कांगड़ा के हर उपमंडल में औसतन दो बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। 38 बच्चे अति कुपोषित हैँ।

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Sep 2018 09:42 PM (IST)Updated: Mon, 03 Sep 2018 09:42 PM (IST)
जिले में 38 बच्चे अति कुपोषित
जिले में 38 बच्चे अति कुपोषित

जागरण संवाददाता, धर्मशाला : जिला कांगड़ा के हर उपमंडल में औसतन दो बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। इन बच्चों का भार और लंबाई उनकी उम्र से बहुत कम है। इन बच्चों को अति कुपोषित की श्रेणी में रखा गया है, क्योंकि कुपोषण के कारण ये सभी बच्चे बार-बार बीमार हो रहे हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग के सर्वे के अनुसार जिला कांगड़ा में इस समय 38 बच्चे अति कुपोषित पाए गए हैं, जबकि 4959 बच्चे सामान्य कुपोषित की श्रेणी में रखे गए हैं। इन्हें आहार एवं खान पान के साथ अन्य बदलाव करने के बाद सामान्य किया जा सकता है। जिले में कुपोषण प्रभावित क्षेत्रों का आकलन करने एवं एक से पांच वर्ष के बच्चों की स्थिति जानने के लिए स्वास्थ्य विभाग का शनिवार को विशेष जागरूकता अभियान शुरू हो गया है। जिले में कुपोषित बच्चों की पहचान और उसके निवारण के लिए स्वास्थ्य विभाग ने सितंबर माह में विशेष अभियान चलाया है। इसके तहत ऐसे बच्चों की पहचान कर उन्हें पूरक आहार मुहैया करवाया जाएगा।

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बच्चे के कुपोषित होने के लक्षण

-शरीर की वृद्धि रुकना।

-मासपेशियां ढीली होना अथवा सिकुड़ जाना।

-झुर्रियां युक्त पीले रंग की त्वचा।

-कार्य करने पर शीघ्र थकान आना।

-मन में उत्साह का अभाव चिड़चिड़ापन व घबराहट होना।

-बाल रूखे और चमक रहित होना।

-चेहरा कांतिहीन, आंखें धंसी हुई व उनके चारों ओर काला वृत बनना।

-शरीर का वजन कम होना तथा कमजोरी।

-नींद व पाचन क्रिया का गड़बड़ होना।

-हाथ पैर पतले और पेट बढ़ा होना या शरीर में सूजन आना (अक्सर बच्चों में)।

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कुपोषण के कारण

कुपोषण का प्रमुख कारण गरीबी है। धन के अभाव में गरीब पर्याप्त, पौष्टिक चीजें जैसे दूध, फल व घी इत्यादि नहीं खरीद पाते। कुछ तो केवल अनाज से मुश्किल से पेट भर पाते हैं। गरीबी के साथ ही एक बड़ा कारण अज्ञानता व निरक्षरता भी है। अधिकांश लोगों विशेषकर ग्रामीणों को संतुलित भोजन के बारे में जानकारी नहीं होती है। इस कारण वे स्वयं बच्चों के भोजन में आवश्यक वस्तुओं का समावेश नहीं करते। इससे बच्चे रोगग्रस्त हो जाते हैं। परिवार को भी कुपोषण का शिकार बना देते हैं।

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गर्भावस्था के दौरान लापरवाही पड़ती है भारी

गर्भवती महिलाओं का कुपोषण का शिकार होने का कारण खून की कमी और उचित आहार न लेना है। गर्भावस्था में महिलाएं स्वयं के खान-पान पर ध्यान नहीं देतीं, जबकि गर्भवती स्त्रियों को अधिक पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है। उचित पोषण के अभाव में गर्भवती माताएं स्वयं तो रोग ग्रस्त होती ही हैं। साथ ही बच्चे भी कमजोर और रोग ग्रस्त होते हैं।

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कुपोषण का मुख्य कारण खान पान एवं पौष्टिक आहार की कमी है। सितंबर में विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसमें आशा वर्कर्स सहित सभी फील्ड स्टाफ लोगों को कुपोषण के संबंध में जागरूक करेगा।

डॉ. राजेश गुलेरी, जिला स्वास्थ्य अधिकारी कांगड़ा।

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आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की रिपोर्ट के आधार पर जिला में कुपोषण के आंकड़े सामने आए हैं। जिले में 15 उपमंडल हैं। औसतन हर उपमंडल के दो से तीन बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। जहां-जहां बच्चे कुपोषित पाए गए हैं, वहां दूध, अंडा जैसे अन्य पौष्टिक खाद्य पदार्थो का कोटा बढ़ा दिया गया है।

-रणजीत सिंह, जिला परियोजना अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग कांगड़ा।


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