10 लाख फलदार पौधों पर संकट
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : प्रदेश में नवंबर से चल रहे सूखे के कारण करीब 10 लाख नन्हे फल
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : प्रदेश में नवंबर से चल रहे सूखे के कारण करीब 10 लाख नन्हे फलदार पौधों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। अगले 10 से 15 दिन तक मौसम का ऐसा ही मिजाज रहा तो तीन साल से कम आयु के आम, संतरा, लीची, अनार, पपीता व अमरूद प्रजाति के छोटे पौधे सूखकर नष्ट हो जाएंगे। इन हालात में उद्यान विभाग भी परेशान हो गया है और बागवानों को पौधों को बचाने की सलाह दे रहा है। प्रदेश में केवल 48 फीसद हिस्से में ही सिंचाई सुविधा है। शेष हिस्से में लगाए गए पौधों को सिंचाई सुविधा न मिलने से बागवानों की चिंता बढ़ती जा रही है।
उद्यान विभाग आम, लीची, अमरूद, अनार, संतरा और पपीता प्रजाति के हर साल सात से नौ लाख पौधे बागबानों को वितरित करता है। पिछले तीन साल में विभाग ने 25 लाख पौधे बांटे हैं। इनमें से 10 लाख ऐसी स्थानों पर लगे हैं जहां सिंचाई की सुविधा नहीं है। सूखे के कारण छोटे पौधों पर पानी की उचित मात्रा नहीं मिल रही है। मौसम की यही स्थिति अगर अगले एक सप्ताह तक रहती है तो ये पौधे सूख जाएंगे।
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किस मौसम में कितने पानी की जरूरत
नए लगाए गए फलदार पौधों को सर्दियों के मौसम में 15 से 20 दिन के भीतर हर हाल में खुलकर पानी मिलना चाहिए। गर्मियों के मौसम में हर दूसरे व तीसरे दिन पानी मिलना चाहिए, ताकि पौधे सूख न सकें और उनका विकास हो सके।
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संतरा व अमरूद की फसल प्रभावित
सूखे का असर दिखना शुरू हो गया है। इस साल संतरे और अमरूद में रस बहुत कम मात्रा में है। साथ ही फलों का आकार भी छोटा है। मौसम की मार इस बार ऑन ईयर होने के बावजूद आम पर साफ देखने को मिलेगी।
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'सूखे के कारण फलदार पौधों पर तो असर पड़ा ही है। साथ ही दो-तीन साल से कम आयु के पौधों पर भी अधिक असर पड़ेगा और ये सूख भी सकते हैं। बागवान पौधों के चारों ओर घास बिछा दें ताकि मिट्टी की नमी जल्द समाप्त न हो।'
-डॉ. एमएल धीमान, संयुक्त निदेशक उद्यान विभाग