Move to Jagran APP

फरिश्ता बनकर जानलेवा बीमारी से बचाए दो सगे भाई

चिकित्सकों ने हीमोफीलिया के इलाज में असमर्थता जताई। टांडा व आइजीएमसी से भी यहीं जवाब मिला। फिर विपिन ने हीमोफीलिया फेडरेशन ऑफ इंडिया से संपर्क किया।

By BabitaEdited By: Published: Wed, 21 Mar 2018 02:55 PM (IST)Updated: Wed, 21 Mar 2018 02:56 PM (IST)
फरिश्ता बनकर जानलेवा बीमारी से बचाए दो सगे  भाई
फरिश्ता बनकर जानलेवा बीमारी से बचाए दो सगे भाई

चंबा, सुरेश ठाकुर। जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहे दो सगे भाइयों के लिए विपिन किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं। हीमोफीलिया नामक बीमारी से ग्रसित 14 वर्षीय संदीप व 16 वर्षीय मुकेश के इलाज के लिए पिता ने संपत्ति व माल- मवेशी भी बेच दिए, लेकिन बीमारी ने उन्हें इतना कंगाल कर दिया था कि कोई उम्मीद की किरण नजर नहीं आ रही थी। इस दौरान फरिश्ते के रूप में आए विपिन ने लाचार पिता की उम्मीदों का बोझ कंधों पर उठाया।

loksabha election banner

चंबा जिला की चुराह घाटी के चरड़ा में दो भाइयों के पिता धर्म चंद ने तीसा, चंबा, मेडिकल कॉलेज चंबा, आइजीएमसी शिमला व पीजीआइ चंडीगढ़ में ठोकरें खाई, लेकिन कहीं भी बेटों का सही इलाज नहीं हुआ। हीमोफीलिया के लिए फैक्टर-9 नाम का एक इंजेक्शन लगना था जो किसी भी स्वास्थ्य संस्थान में उपलब्ध नहीं था। इसकी कीमत करीब पांच हजार बताई जाती है। सभी संस्थान भाइयों का अस्थायी इलाज करते रहे।

धर्म चंद बेहद गरीब परिवार से संबंध रखता है। पशुओं व जमीन को बेचने के बाद उन्होंने घर-घर जाकर मदद मांगनी शुरू की। इसी दौरान वह चुराह घाटी के समाजसेवी विपिन राजपूत से मिले। उन्होंने जब पूरा मामला सुना तो इस विषय में चंबा मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों से संपर्क किया। चिकित्सकों ने हीमोफीलिया के इलाज में असमर्थता जताई। टांडा व आइजीएमसी से भी यहीं जवाब मिला। फिर विपिन ने हीमोफीलिया फेडरेशन ऑफ इंडिया से संपर्क किया। उन्हें पता चला कि प्रदेश सरकार ने पूरे प्रदेश में हीमोफीलिया का इलाज मुफ्त कर दिया है।

मरीजों को मुफ्त इंजेक्शन लगते हैं, लेकिन सरकार ने जिन पांच मेडिकल कॉलेज को मान्यता दी है उनमें कसी भी संस्थान को इसकी जानकारी नहीं थी और न ही इनमें इंजेक्शन मिला। इस लापरवाही में गरीब पिता की जमीन-जायदाद बिकगई। विपिन राजपूत ने तत्कालीन उपायुक्त चंबा सुदेश मोख्टा की मदद से युनाइटेड किंगडम (यूके) से फैक्टर-9 के इंजेक्शन मंगवाए। इसमें चंबा मेडिकल कॉलेज के एमएस डॉ. विनोद कुमार ने भी काफी मदद की। आज दोनों पीडि़त भाइयों का इलाज मेडिकल कॉलेज चंबा में मुफ्त हो रहा है।

चोट लगने पर नहीं रुकता रक्तस्राव

हीमोफीलिया एक सबसे पुराने जेनेटिक रक्तस्नाव रोग में से एक है। इस बीमारी में खून के थक्के बनने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। ऐसे में कोई छोटी चोट लगने पर भी रोगी को काफी देर तक रक्तस्नाव होता रहता है।

खासतौर हीमोफीलिया के रोगियों में घुटनों, टखनों और कोहनियों के अंदर होने वाला रक्त स्त्राव अंगों और ऊत्तकों को भारी नुकसान पहुंचाता है। एक समय पर बेहद खतरनाक माने जाने वाले इस रोग से पीडि़त रोगी आज लगभग सामान्य उम्र तक जीवन जी सकते हैं। हालांकि अभी पूरी तरह से इस रोग का उपचार संभव नहीं हुआ है, लेकिन आधुनिक चिकित्सा हीमोफीलिया के प्रभावी उपचार में काफी प्रभावी साबित हुई है।

क्या है हीमोफीलिया

हीमोफिलिया बी, एक आनुवांशिक रक्त विकार है। यह माता-पिता से बच्चों में आने वाले जीन में खराबी से होता है। अकसर यह बीमारी महिलाओं से बच्चों में होने की अधिक आशंका होती है, लेकिन कभी-कभी यदि जन्म से पहले जीन में किसी प्रकार का बदलाव आ जाए (म्यूटेशन), तो ऐसी स्थिति में भी होने वाले बच्चे को हीमोफिलिया बी हो सकता है।

स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है

चंबा मेडिकल कॉलेज में दो युवकों का हीमोफिलिया का उपचार चल रहा है। उन्हें यूके से फैक्टर-9 के इंजेक्शन मंगवाए गए हैं। अब दोनों युवकों के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। 

-डॉ. विनोद शर्मा, चिकित्सा अधीक्षक मेडिकल कॉलेज चंबा। 

कहीं नहीं मिली स्वास्थ्य सुविधा

दोनों सगे भाइयों का इलाज तीसा, चंबा, मेडीकल कॉलेज चंबा, आइजीएमसी शिमला व पीजीआइ चंडीगढ़ में भी नहीं हुआ। उन्हें फैक्टर-9 नाम का एक इंजेक्शन लगना था, जो किसी भी स्वास्थ्य संस्थान में उपलब्ध नहीं था।

-विपिन राजपूत, समाजसेवी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.