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1998 से बंद है धरवास का कृषि फार्म

जनताजीय क्षेत्र पांगी में किसानों व बागवानों को नई तकनीक से खेती करने एवं उन्हें उन्नत किस्म के बीज उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से सरकार ने धरवास में 129 बीघा जमीन में कृषि फार्म शुरू किया था।

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Jul 2020 08:38 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jul 2020 08:38 PM (IST)
1998 से बंद है धरवास का कृषि फार्म
1998 से बंद है धरवास का कृषि फार्म

संवाद सहयोगी, पांगी : जनताजीय क्षेत्र पांगी में किसानों व बागवानों को नई तकनीक से खेती करने एवं उन्हें उन्नत किस्म के बीज उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से सरकार ने धरवास में 129 बीघा जमीन में कृषि फार्म शुरू किया था। यह फार्म वर्ष 1998 से बंद पड़ा है। ऐसे में किसानों व बागवानों को उक्त फार्म की सुविधा नहीं मिल पा रही है। पूर्व पंचायत समिति उपाध्यक्ष नील चंद ठाकुर ने बताया इस फार्म में गेहूं तथा सब्जियों का उत्पादन किया जाता था। इसमें नई तकनीक से बीज तैयार करके लोगों को वितरित किए जाते थे। विभाग की ओर से यहां पर तैयार सब्जियां किलाड़ में लाकर बेची जाती थीं।

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ठाकुर ने बताया पांगी में एकल प्रशासन प्रणाली के दौरान उद्यान विभाग ने सेब, प्लम, नाशपती, खुमानी समेत अन्य फलदार पौधों की नर्सरियां तैयार कर पांगी में बागवानी को भी बढ़ावा दिया। पांगी घाटी में जो सेब के बगीचे तैयार किए गए हैं, वो इस फार्म की देन हैं। किसानों व बागवानों को यहां पर प्रशिक्षण भी दिया जाता था।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार कृषि व बागवानी को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है। पांगी में मिट्टी की जांच करने की कोई सुविधा नहीं है। बिना टेस्टिग के पुराने आधार पर खेती की जा रही है। उन्होंने कृषि मंत्री डॉ. रामलाल मार्कंडेय से मांग की है कि धरवास कृषि फार्म को चालू करने के विभाग को आदेश दें।

उधर, कृषि विकास अधिकारी पांगी भानु प्रताप ने कहा कि धरवास कृषि फार्म 129 बीघा जमीन पर है। इसमें 75 बीघा जमीन कृषि योग्य है। 2003-04 तक इस फार्म में बीज तैयार किया जाता था। कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर की टीम धरवास फार्म का निरीक्षण करेगी। इसके बाद यहां पर कृषि विज्ञान की सब ब्रांच को खोली जानी है। इसके बाद कृषि व बागवानी संबंधित तमाम सुविधाएं सब विज्ञान केंद्र के माध्यम से मिलेंगी।


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